Breaking News: भोपाल के अकबरपुर में गौशाला बनाम कब्रिस्तान: 100 करोड़ की जमीन पर छिड़ा विवाद

भोपाल, 26 June 2025 – भोपाल के कोलार क्षेत्र के अकबरपुर में प्रस्तावित 100 करोड़ रुपये की हाईटेक गौशाला के लिए हुए भूमि पूजन ने एक बड़े विवाद को जन्म दे दिया है। यह विवाद हिंदू और मुस्लिम पक्षों के बीच है, जिसमें मुस्लिम पक्ष का दावा है कि जिस जमीन पर गौशाला का निर्माण होना है, वह दरअसल एक कब्रिस्तान है, जबकि हिंदू पक्ष और स्थानीय विधायक इसे सरकारी जमीन बताते हुए गौशाला बनाने पर अड़े हैं।

क्या है पूरा मामला

यह पूरा मामला अकबरपुर में स्थित लगभग 100 करोड़ रुपये की अनुमानित कीमत वाली एक जमीन से जुड़ा है। कांग्रेस नेता अश्विनी श्रीवास्तव का दावा है कि यह जमीन उनकी है और वह इस पर एक हाईटेक गौशाला का निर्माण करना चाहते हैं। हाल ही में इस गौशाला के लिए भूमि पूजन किया गया, जिसके बाद ऑल इंडिया मुस्लिम त्योहार कमेटी (AIMTC) और अन्य मुस्लिम संगठनों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई।

मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह जमीन वक्फ बोर्ड के तहत कब्रिस्तान के रूप में दर्ज है। ऑल इंडिया मुस्लिम त्योहार कमेटी के संरक्षक शमशुल हसन बल्ली ने दस्तावेज दिखाते हुए दावा किया कि यह जमीन कब्रिस्तान के नाम पर दर्ज है और इस पर कई कब्रें मौजूद हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भू-माफिया स्थानीय विधायक रामेश्वर शर्मा को गुमराह कर इस जमीन पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं। मुस्लिम संगठनों का कहना है कि कब्रिस्तान पर गौशाला बनने से गंदगी होगी, जिसे वे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे।

भूमि पूजन के बाद, ऑल इंडिया मुस्लिम त्योहार कमेटी समित के सदस्यों और अन्य मुस्लिमों ने वक्फ बोर्ड कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने प्रतीकात्मक अर्थी बनाकर वक्फ बोर्ड से सवाल किया, “जब कब्रिस्तान चले जाएंगे तो मुर्दे कहां जाएंगे?” प्रदर्शनकारियों ने कुछ युवकों को कफन में लपेटकर सड़क पर लिटाया और “गुम होते जा रहे कब्रिस्तान, कहां दफन करें जिंदा इंसान, कहां गया यह कब्रिस्तान जमीन खा गया या आसमान?” जैसे नारे लिखे बैनर प्रदर्शित किए। मुस्लिम पक्ष ने इस मामले को लेकर आंदोलन करने और न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की भी चेतावनी दी है।

बीजेपी और कांग्रेस विधायकों के अलग-अलग बयान

इस मामले में सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी कांग्रेस के नेताओं के बयान भी आमने-सामने हैं। बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने मुस्लिम पक्ष के दावों को खारिज करते हुए कहा कि यह जमीन सरकारी है। उन्होंने दावा किया कि नवाबी काल में लगभग 60 साल पहले यहां हिंदू बच्चों को दफनाया जाता था। उन्होंने इसे मुस्लिम समुदाय द्वारा 100 करोड़ की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश करार दिया और स्पष्ट किया कि यहां सिर्फ गौशाला ही बनेगी। उन्होंने कहा, “यह उनके अब्बा की जमीन नहीं है।”

वहीं, भोपाल मध्य से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने मुस्लिम पक्ष का समर्थन करते हुए कहा कि यह वक्फ की जमीन है और भाजपा विधायक जबरन इस पर कब्जा कर रहे हैं।

स्थानीय निवासियों का रुख

स्थानीय हिंदू आबादी भी मुस्लिम पक्ष के कब्रिस्तान के दावे से बेहद नाराज है। उनका कहना है कि यहां पर कभी कब्रिस्तान नहीं रहा है और चारों तरफ हिंदू आबादी निवास करती है। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि कब्रिस्तान के नाम पर जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की जा रही है, जबकि यह उनके बच्चों के खेलने की जगह है। उन्होंने गौशाला बनाने की मांग की है और कहा है कि वे कब्रिस्तान नहीं बनने देंगे। कई स्थानीय निवासियों ने बताया कि वे पिछले 15-20 सालों से यहां रह रहे हैं, लेकिन उन्होंने कभी यहां कब्रों को दफन होते नहीं देखा।

आगे की राह

यह मामला अब एक बड़े कानूनी और सामाजिक विवाद का रूप ले चुका है। मुस्लिम पक्ष अपने दस्तावेजों और वक्फ बोर्ड के दावे के साथ न्यायालय जाने की तैयारी में है, जबकि बीजेपी विधायक और स्थानीय हिंदू आबादी गौशाला के निर्माण पर अड़ी है। इस संवेदनशील मुद्दे पर प्रशासन की भूमिका महत्वपूर्ण होगी ताकि तथ्यों की जांच हो सके और सही निर्णय लिया जा सके। आने वाले दिनों में यह विवाद और गरमाने की संभावना है।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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