Breaking News: ईरान की संसद में परमाणु विद्रोह: सीजफायर के बाद इजरायल और अमेरिका के प्रति ईरान का बदलता रुख

तेहरान, 26 जून, 2025: इजरायल के साथ हालिया संघर्षविराम के बाद ईरान की संसद में एक “परमाणु विद्रोह” की खबरें सामने आई हैं, जो देश के परमाणु कार्यक्रम और अंतरराष्ट्रीय संधियों को लेकर एक नए तनाव का संकेत दे रही हैं। हालांकि “परमाणु विद्रोह” शब्द का प्रयोग सीधे तौर पर किसी सशस्त्र विद्रोह के लिए नहीं किया गया है, बल्कि यह ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के साथ अपने सहयोग को सीमित करने और संभवतः परमाणु अप्रसार संधि (NPT) से बाहर निकलने के इरादे को दर्शाता है।

परमाणु कार्यक्रम पर नया रुख:

हाल ही में, IAEA के एक प्रस्ताव में ईरान को उसके अप्रसार दायित्वों का उल्लंघन करने वाला बताया गया था, जिसके बाद ईरान ने इस महीने IAEA के साथ अपने सहयोग को निलंबित करने वाले एक महत्वपूर्ण बिल को संसद में पारित कराया है। यह कदम अमेरिकी हवाई हमलों के बाद आया है, जिसमें अमेरिका ने दावा किया था कि उसने ईरान के परमाणु ठिकानों को नष्ट कर दिया है। हालांकि, अमेरिकी रक्षा खुफिया एजेंसी की लीक हुई रिपोर्टें इस दावे का खंडन करती हैं और बताती हैं कि ईरान के परमाणु ठिकाने सुरक्षित हैं और उसका परमाणु कार्यक्रम जल्द ही सामान्य स्थिति में लौट सकता है।

पेंटागन की खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, ईरान के पास वर्तमान में 400 किलोग्राम संवर्धित यूरेनियम है और वह परमाणु हथियार बनाने की क्षमता के बेहद करीब है। कई रिपोर्टों में यह भी दावा किया गया है कि ईरान ने हमले से पहले ही अपने परमाणु सामग्री को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया था। ईरान ने यह बात IAEA के महानिदेशक राफेल ग्रॉसी से भी नहीं छिपाई है कि उसने यूरेनियम को सुरक्षित किया है। यह सब ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में गहरी चिंता पैदा कर रहा है।

सीजफायर के बाद इजरायल के प्रति ईरान का रुख:

इजरायल के साथ 12 दिनों के संघर्षविराम के बाद ईरान का रुख काफी दृढ़ और विजयी है। ईरान ने दावा किया है कि इजरायल को हार माननी पड़ी है और उसे एकतरफा सीजफायर के लिए मजबूर किया गया है। ईरान की टॉप सिक्योरिटी बॉडी ने यह भी कहा है कि उसकी सेनाएं इजरायल के किसी भी हमले का जवाब देने के लिए तैयार हैं। संघर्षविराम के बाद भी ईरान ने इजरायल के लिए जासूसी के आरोप में कई लोगों को गिरफ्तार किया है और कुछ को फांसी भी दी है, जो इजरायल के प्रति उसकी सख्त नीति को दर्शाता है। ईरान ने इस दौरान भारत के लोगों का भी शुक्रिया अदा किया है, जिन्होंने इजरायल के साथ युद्ध के दौरान ईरान का समर्थन किया था।

सीजफायर के बाद अमेरिका के प्रति ईरान का रुख:

अमेरिका के प्रति ईरान का रुख भी जटिल और विरोधाभासी है। एक तरफ, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीजफायर के बाद ईरान के पुनर्निर्माण के लिए सहायता की बात कही है और तेल प्रतिबंधों में ढील देने का संकेत दिया है। वहीं, अमेरिकी खुफिया रिपोर्टों से पता चलता है कि अमेरिकी हमलों के बावजूद ईरान की परमाणु क्षमता और जवाबी क्षमताएं “काफी मजबूत” हैं। ईरान ने अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर मिसाइल हमले करके यह संकेत दिया है कि वह अभी भी एक खतरा बना हुआ है। हालांकि, ईरान ने इन हमलों से पहले अमेरिका को “एडवांस नोटिस” देने का दावा किया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि वह सीधे टकराव से बचना चाहता है और अपनी जनता तथा मुस्लिम देशों के सामने अपनी ताकत का प्रदर्शन करना चाहता है।

कुल मिलाकर, सीजफायर के बाद ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर अधिक मुखर और अंतरराष्ट्रीय निगरानी के प्रति कम झुकाव दिखा रहा है। इजरायल के प्रति उसका रुख सख्त बना हुआ है, जबकि अमेरिका के प्रति वह एक अजीब संतुलन साधने की कोशिश कर रहा है, जहां वह अपनी ताकत का प्रदर्शन भी कर रहा है और साथ ही पुनर्निर्माण के लिए संभावित मदद की संभावनाओं को भी खुला रख रहा है। यह सब मध्य पूर्व में एक अस्थिर और अप्रत्याशित भविष्य की ओर इशारा करता है।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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