गाइडलाइन दरों में बड़े जनहितैषी सुधार: वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने स्लैब दरें बहाल करने समेत 11 महत्वपूर्ण फैसलों की घोषणा की
वृक्षों का मूल्य जोड़कर गणना करने की व्यवस्था समाप्त; 78 लाख की छूट से क्रेता को मिली 8.58 लाख रजिस्ट्री शुल्क में राहत

रायपुर। छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने भाजपा कार्यालय एकात्म परिसर में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए राज्य में लागू नवीन गाइडलाइन दरों में किए गए महत्वपूर्ण जनहितैषी सुधारों की घोषणा की। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के मार्गदर्शन में विभिन्न हितधारकों से प्राप्त सुझावों पर विचार कर ये बड़े फैसले लिए गए हैं, जो 8 दिसंबर से प्रभावशील हो गए हैं।
वित्त मंत्री चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर पंजीयन प्रक्रिया को सरल एवं जन हितैषी बनाया जा रहा है।
नगरीय एवं बहुमंजिला भवनों के लिए प्रमुख राहत
मंत्री चौधरी ने नगरीय क्षेत्रों और आवास क्षेत्र को बड़ी राहत देते हुए कहा कि 1,400 वर्ग मीटर तक भूखंडों के लिए इंक्रीमेंटल आधार पर गणना के प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है। अब पूर्व प्रचलित उपबंधों के अनुसार नगर निगम क्षेत्र में 50 डेसिमल तक, नगर पालिका में 37.5 डेसिमल तक, और नगर पंचायत में 25 डेसिमल तक स्लैब दर से मूल्यांकन का प्रावधान यथावत लागू रहेगा।
बहुमंजिला भवनों के संबंध में उन्होंने कहा कि फ्लैट, दुकान, कार्यालय के अंतरण पर सुपर बिल्ट अप एरिया के आधार पर बाजार मूल्य की गणना के प्रावधान को विलोपित कर दिया गया है। अब बिल्ट अप एरिया के आधार पर मूल्यांकन किया जाएगा। यह कदम वर्टिकल डेवलपमेंट को प्रोत्साहित करेगा।
मध्यम वर्ग को राहत देते हुए उन्होंने बताया कि बहुमंजिला भवन एवं कमर्शियल कॉम्प्लेक्स में बेसमेंट एवं प्रथम तल पर 10 प्रतिशत कमी, जबकि द्वितीय तल एवं उससे ऊपर के तल पर 20 प्रतिशत कमी के साथ मूल्यांकन किया जाएगा, जिससे किफायती दर पर फ्लैट उपलब्ध होंगे।
कृषि भूमि और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 11 महत्वपूर्ण फैसले
वित्त मंत्री ने जोर देकर कहा कि 20 नवंबर को लागू गाइडलाइन दरों में कई महत्त्वपूर्ण जन हितैषी सुधार किए गए हैं, विशेष रूप से कृषि और ग्रामीण भूमि के लिए:
- नजूल, आबादी और परिवर्तित भूमि पर अब कृषि भूमि के लिए लागू प्रावधान लागू होंगे। इससे रायपुर के शहीद हेमू कल्याणी वार्ड जैसे क्षेत्रों में 1 एकड़ भूमि का मूल्य 78 करोड़ से घटकर 2.4 करोड़ हो जाएगा।
- ग्रामीण क्षेत्र में परिवर्तित भूमि के लिए सिंचित भूमि का ढाई गुना मूल्य लगाने की व्यवस्था समाप्त की गई।
- दो फसली भूमि पर बाजार मूल्य पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त जोड़ने का प्रावधान हटाया गया।
- ट्यूबवेल, बोरवेल, कुएं का अतिरिक्त मूल्य (85,000 से 70,000) जोड़ने की व्यवस्था पूरी तरह समाप्त।
- वाणिज्यिक फसलें (केला, पपीता, गन्ना) पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त मूल्य जोड़ने का प्रावधान हटाया गया।
- वृक्षों का मूल्य भूमि मूल्य में जोड़कर गणना करने की व्यवस्था को पूरी तरह समाप्त किया गया। उदाहरण के लिए, कांकेर में एक क्रेता को 78 लाख के वृक्ष मूल्य पर लगने वाले रजिस्ट्री शुल्क 8.58 लाख की सीधी राहत मिली। यह प्रावधान पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा देगा।
- शहर से लगे गांवों में 25-37.5 डिसमिल तक कृषि भूमि का मूल्यांकन अब हेक्टेयर दर से होगा। (जैसे, ग्राम बरौदा में मूल्य 26.75 लाख से घटकर 6.30 लाख होगा)।
- ग्रामीण कृषि भूमि पर अब केवल दो दरें (मुख्य मार्ग और सिंचित) लागू होंगी, जबकि असिंचित भूमि का मूल्यांकन सिंचित दर से 20 प्रतिशत कम पर होगा।
- बाउंड्री वॉल और प्लिंथ लेवल का अतिरिक्त मूल्य जोड़ने का प्रावधान पूरी तरह समाप्त।
- निर्मित संपत्तियों के लिए पहले लागू 21 प्रकार की दरों को घटाकर अब केवल दो प्रकार की दरें लागू होंगी, जिससे आमजन के लिए मूल्यांकन गणना सरल होगी।
वित्त मंत्री ओ पी चौधरी ने जिला मूल्यांकन समिति को भी निर्देश दिए जाने की बात कही कि वे 31 दिसंबर तक गाइडलाइन दरों में पुनः पुनरीक्षण प्रस्ताव केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड को भेजें।



