संत गुरु घासीदास की शिक्षा आज भी प्रासंगिक है-विकास उपाध्याय

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रायपुर । विधायक व संसदीय सचिव विकास उपाध्याय आज बाबा गुरु घासीदास जी के जयंती पर गुरु घासीदास परिसर में स्थित जैतखंभ में माथा टेक कर माह भर चलने वाले जयंती समारोह की शुरुआत कर उनके कहे उपदेशों को पूरे समाज में फैलाने आज से विभिन्न आयोजनों में लगातार सम्मिलित होंगेे।

बाबा के उपदेश जीव हिंसा मत करो,मदिरापान मत करो,व्याभिचारी मत करो,दूसरे स्त्री को माता एवं बहन के समान मानो,चोरी मत करो।जुआ मत खेलो,मांस भक्षण मत करो।सब मनुष्य बराबर हैं,मनखे मनखे एक समान को लेकर समाज में अलख जगायेंगे।

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विकास उपाध्याय ने कहा, बाबा गुरु घासीदास जी का जन्म ऐसे समय में 18 दिसम्बर 1756 को हुआ जब समाज में छुआछूत, ऊंचनीच, झूठ-कपट का बोलबाला था और बाबा उस समय में समाज में समाज को एकता, भाईचारे तथा समरसता का संदेश दिया। जो आज समाजों में फलीभूत होते हम देख रहे हैं। उन्होंने कहा, गुरु घासीदास ने समाज के लोगों को सात्विक जीवन जीने की प्रेरणा दी। उन्होंने न सिर्फ सत्य की आराधना की, बल्कि समाज में नई जागृति पैदा की और अपनी तपस्या से प्राप्त ज्ञान और शक्ति का उपयोग मानवता की सेवा के कार्य में किया। इसी प्रभाव के चलते लाखों लोग बाबा के अनुयायी हो गए।

विधायक विकास उपाध्याय ने कहा,फिर इसी तरह छत्तीसगढ़ में ‘सतनाम पंथ’ की स्थापना हुई। इस संप्रदाय के लोग ही नहीं छत्तीसगढ़ के सभी लोग उन्हें अवतारी पुरुष के रूप में मानते हैं।बाबा गुरु घासीदास ने समाज के लोगों को प्रेम और मानवता का संदेश दिया। संत गुरु घासीदास की शिक्षा आज भी प्रासंगिक है। इसी कारण पूरे छत्तीसगढ़ राज्य में गुरु घासीदास की जयंती 18 दिसंबर से एक माह तक बड़े पैमाने पर उत्सव के रूप में पूरे श्रद्धा और उत्साह के साथ हर वर्ष मनाई जाती है।

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Richa Sahay

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