व्यक्ति के सम्मान का आधार उसका आचरण: आचार्य श्री महाश्रमण

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रायपुर। आचार्य श्री महाश्रमण के पावन सान्निध्य में रायपुर वासियों द्वारा अभिवंदना अभ्यर्थना का क्रम चल रहा . शनिवार को जैनम मानस भवन में आयोजित प्रवचन समारोह में आचार्य महाश्रमण ने कहा कि जीवन में कर्तव्य बोध का बहुत महत्व है और जब कर्तव्य बोध हो तब उसका पालन भी सही तरह से किया जा सकता है. बोध और क्रियान्वयन दोनों का गहरा संबंध है. ज्ञान के साथ आचरण जुड़ा हुआ है. कुछ ऐसे होते हैं जो जानते हैं पर आचरण नहीं करते. जो ज्ञान के अनुरूप आचरण करते हैं उनका सम्मान होता है. क्योंकि केवल ज्ञान होना, सही गलत की जानकारी होना पर्याप्त नहीं है.

जीवन में कर्तव्य बोध और कर्तव्य का पालन दोनोंजरूरी है. आचार्यश्री ने आगे कहा कि श्रावक कर्तव्य बोध और कर्तव्य पालन के प्रति जागरूकता रखें. जब यह दोनों होते हैं तो परिपूर्णता होती है. श्रद्धायुक्त धर्म का महत्व है. जिनेश्वर देव, गुरु और धर्म के प्रति सच्ची श्रद्धा होनी चाहिए. जो अर्हत वीतराग देव है उनके द्वारा प्रवेदित किया गया ही सत्य है, निःशंक है। उनके प्रति श्रद्धा के भाव और महाव्रती गुरुओं के प्रति श्रद्धा के भाव रखते हुए अरिहंत भगवान ने जो धर्म बताया है उसके प्रति श्रद्धा के भाव होने चाहिए. ज्ञान युक्त श्रद्धा ही सही रूप में रह सकती है. पहले श्रद्धा, ज्ञान और फिर क्रिया हो यह जरूरी है. श्रावक यथार्थ के प्रति श्रद्धा रखे. अहिंसा और मैत्री में विश्वास रखे. सम्यक देव, गुरु, धर्म के प्रति श्रद्धा रखे.

आज  होगी भव्य दीक्षा

रविवार 21 फरवरी यानि की आज गीदम के मुमुक्षु राहुल, केसिंगा की मुमुक्षु चंदनबाला एवं समणी ओजस्वी प्रज्ञा को जैनम मानस भवन में आयोजित भव्य समारोह में दीक्षा दी जाएगी. रायपुर में पहली बार तेरापंथ धर्मसंघ का दीक्षा समारोह आयोजित किया जा रहा है. शनिवार को दीक्षार्थियों का बरगोड़ा निकाला गया, जिसमें श्रावक श्राविकाओं ने दीक्षार्थियों के प्रति आध्यात्मिक मंगल कामनाएं प्रेषित की.

समाज में प्रामाणिक चेतना जगे

उद्बोधन देते हुए साध्वीवर्या संबुद्धयशा जी ने कहा- जिस प्रकार बगीचे की फूलों से और फूलों की बगीचे से शोभा होती है उसी प्रकार धर्मसंघ की श्रावकों से और श्रावकों की धर्मसंघ से शोभा होती है. आज समाज में नैतिकता, प्रामाणिकता चेतना जगे यह जरूरी है। प्रमाणिकता से जैन श्रावक की पहचान होनी चाहिए। प्रमाणिकता से व्यक्ति विश्वास का अर्जन करता है. श्रावक के लिए बारह व्रतों का भी उल्लेख होता है. सभी में व्रत एवं साधना की भावना बढ़े.

डॉ वीरबाला छाजेड़ की पुस्तक का विमोचन

अस्तित्ववाद आचार्य महाप्रज्ञ एवं जीन पॉल सार्त्र के विचारों का तुलनात्मक अध्ययन- डॉ वीरबाला छाजेड़ असिस्टेंट प्रोफेसर, जैन स्कॉलर, प्रशिक्षक एवं उपासिका की लिखी पुस्तक का विमोचन भी समारोह में किया गया.

न्यायाधीशों ने पाई आध्यात्मिक प्रेरणा

दोपहर में राज्य के न्यायाधीश आचार्य महाश्रमण के दर्शनार्थ पहुंचे. आचार्यवर ने उन्हें आध्यात्मिक चेतना का विकास कर, नैतिकता से कार्य करने की प्रेरणा दी.

विधायक विकास उपाध्याय ने भी आचार्य प्रवर के दर्शन किये। चीफ सेक्रेटरी अमिताभ जैन भी आचार्य महाश्रमण के दर्शनार्थ पहुंचे. स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने भी आचार्य प्रवर के दर्शनार्थ जैनम मानस भवन आए.

ज्ञानशाला ने दिया पर्यावरण बचाने का संदेश

ज्ञानशाला के बच्चों ने जैन धर्म के पालन से पर्यावरण बचाने का संदेश दिया. छोटे छोटे बच्चों ने रोचक अंदाज़ में बताया कि कैसे हवा, पानी और जंगलों को सुरक्षित रखकर धरती पर जीवन बचाया जा सकता है.

कार्यक्रम में अभिवंदना के क्रम में व्यवस्था समिति उपाध्यक्ष संपतराज डागा, आईएस ऑफिसर जयश्री जैन, दिलीप पोकरना, पूजा जैन, सौम्या लुंकड़, सम्यक लुंकड़ आदि ने अपने विचार रखे. तेयुप एवं किशोर मंडल के सदस्यों ने गीत का संगान किया. पूर्व कन्या मंडल की बहनों ने अभ्यर्थना में प्रस्तुति दी. ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने रोचक परिसंवाद का मंचन किया. इस अवसर पर तेरापंथ महिला मंडल भीलवाड़ा की अध्यक्षा विमला रांका ने पूज्यचरणों में दिग्दर्शिका भेंट करते हुए मंडल सदस्यों के साथ गीत की प्रस्तुति दी.

Richa Sahay

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