नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की आराधना से मिलती है विजय, शांति और आत्मबल
शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन देवी दुर्गा के तृतीय स्वरूप माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। यह दिन साहस, सौम्यता और शक्ति के संतुलन का प्रतीक है। जानिए इस दिन की पूजा विधि, पौराणिक कथा और धार्मिक महत्व।

रायपुर, 23 सितंबर 2025: शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन देवी दुर्गा के तीसरे स्वरूप माँ चंद्रघंटा की आराधना के लिए समर्पित होता है। यह दिन विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है जो जीवन में भय, मानसिक तनाव और बाधाओं से मुक्ति चाहते हैं।
माँ चंद्रघंटा का स्वरूप सौम्य होते हुए भी अत्यंत शक्तिशाली है। उनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित होता है, जिससे उनका नाम ‘चंद्रघंटा’ पड़ा।
माँ चंद्रघंटा का स्वरूप और महत्व
माँ चंद्रघंटा दस भुजाओं वाली देवी हैं, जिनके हाथों में तलवार, गदा, धनुष-बाण, त्रिशूल, कमंडल, जपमाला और कमल जैसे अस्त्र-शस्त्र होते हैं। वे सिंह पर सवार होती हैं और उनका स्वरूप युद्ध मुद्रा में होता है।
उनका यह रूप भक्तों को निडरता, आत्मबल और मानसिक शांति प्रदान करता है। ज्योतिषीय दृष्टि से यह दिन मंगल ग्रह की शांति के लिए भी अत्यंत शुभ माना जाता है12।
माँ चंद्रघंटा की पौराणिक कथा
पुराणों के अनुसार, जब महिषासुर ने देवताओं को स्वर्ग से निष्कासित कर दिया और इंद्र का सिंहासन छीन लिया, तब त्रिदेवों के क्रोध से एक दिव्य तेज उत्पन्न हुआ जिससे माँ दुर्गा का जन्म हुआ। सभी देवताओं ने उन्हें अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए।
भगवान शिव ने त्रिशूल, विष्णु ने चक्र, इंद्र ने वज्र और घंटा, सूर्य ने किरणें, यमराज ने कालदंड और हिमालय ने सिंह वाहन दिया। माँ दुर्गा ने भयंकर गर्जना की जिससे महिषासुर की सेना भयभीत हो गई।
युद्ध में माँ ने अपने घंटे की ध्वनि से महिषासुर को विचलित कर उसका वध किया और देवताओं को स्वर्ग पुनः प्राप्त कराया1।
पूजा विधि
नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा इस प्रकार की जाती है:
- प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें
- पूजा स्थल पर माँ चंद्रघंटा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें
- कलश पूजन के बाद माँ का आवाहन करें
- देवी को लाल या पीले वस्त्र, सफेद कमल या चमेली के फूल अर्पित करें
- नैवेद्य में दूध से बनी मिठाई या मखाने की खीर अर्पित करें
- मंत्र जाप करें: ‘ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः’ या ‘ॐ श्रीं हीं क्लीं चंद्रघंटायै नमः’
- दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा और आरती का पाठ करें23
तीसरे दिन का विशेष महत्व
यह दिन शक्ति और सौम्यता के संतुलन का प्रतीक है। माँ चंद्रघंटा का स्वरूप दर्शाता है कि देवी अपने भक्तों के लिए शांत और कल्याणकारी हैं, लेकिन दुष्टों के विनाश में वे संकोच नहीं करतीं।
इस दिन की पूजा से आत्मविश्वास, साहस और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है। लाल रंग के वस्त्र धारण करना विशेष रूप से शुभ माना गया है2।
दान और पुण्य का महत्व
नवरात्रि के तीसरे दिन दान का विशेष महत्व है। जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। कई भक्त इस दिन विशेष अनुष्ठान और साधनाएं करते हैं ताकि जीवन की बाधाओं से मुक्ति मिल सके1।
डिस्क्लेमर:
यह खबर विभिन्न धार्मिक स्रोतों, मान्यताओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल सूचना प्रदान करना है। किसी भी पूजा विधि या धार्मिक अनुष्ठान को करने से पहले किसी विद्वान से सलाह अवश्य लें। www.the4thpillar.live किसी भी व्यक्तिगत अनुभव या दावे की पुष्टि नहीं करता है।



