भारत-चीन संबंधों में नई शुरुआत: शी जिनपिंग के सीक्रेट लेटर और ट्रंप की टैरिफ नीति ने बदला समीकरण


रायपुर, 30 अगस्त 2025 : अमेरिका की टैरिफ नीति से उत्पन्न वैश्विक व्यापारिक तनाव के बीच भारत और चीन के रिश्तों में अप्रत्याशित सुधार देखा गया है।
गलवान संघर्ष के बाद जमी बर्फ को पिघलाने की पहल चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एक सीक्रेट लेटर के माध्यम से की, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजा गया। इसके बाद जून 2025 से शुरू हुए बैकचैनल संवाद ने दोनों देशों को फिर से करीब लाने का रास्ता खोला।
अमेरिका की टैरिफ नीति बनी भारत-चीन के समीकरण बदलने की वजह
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति ने वैश्विक व्यापार को झकझोर दिया है। भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने के फैसले ने नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच तनाव बढ़ा दिया है। वहीं चीन पर भी ट्रंप प्रशासन ने भारी टैरिफ लगाए हैं, जिससे बीजिंग ने अपने रणनीतिक साझेदारों की ओर रुख करना शुरू किया।
शी जिनपिंग का सीक्रेट लेटर: रिश्तों की बहाली की नींव
मार्च 2025 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक गुप्त पत्र भेजा। इस पत्र में भारत-चीन संबंधों को सुधारने की इच्छा जताई गई थी और गलवान संघर्ष के बाद उत्पन्न अविश्वास को दूर करने के लिए संवाद का प्रस्ताव रखा गया। यह पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचाया गया और इसके बाद जून से दोनों देशों के बीच बैकचैनल कम्युनिकेशन शुरू हुआ।
जून से शुरू हुआ संवाद, अगस्त में वांग यी की भारत यात्रा
जून 2025 से भारत और चीन के बीच सीमा विवाद, व्यापार सहयोग और रणनीतिक साझेदारी को लेकर गहन बातचीत शुरू हुई। अगस्त में चीन के विदेश मंत्री वांग यी भारत आए और दोनों देशों ने गलवान घाटी से जुड़े मुद्दों पर समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाए। चीन ने भारत की चिंताओं को गंभीरता से लेते हुए फर्टिलाइजर, दुर्लभ धातुओं और टनलिंग मशीनों के आयात को लेकर आश्वासन दिया।
31 अगस्त को मोदी-जिनपिंग मुलाकात: वैश्विक नजरें टिकीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग की बहुप्रतीक्षित मुलाकात 31 अगस्त को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक के दौरान होगी। यह मोदी की सात साल बाद चीन यात्रा होगी। दोनों नेताओं के बीच जिन मुद्दों पर चर्चा की उम्मीद है, उनमें शामिल हैं:
- सीमा विवाद को कम करने के लिए ठोस रणनीति
- व्यापारिक साझेदारी और निवेश को बढ़ावा
- एशिया में क्षेत्रीय स्थिरता और शांति सुनिश्चित करना
- अमेरिका पर निर्भरता घटाकर साझा हितों पर काम करना
एशिया में नया संतुलन: भारत-चीन साझेदारी का प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और चीन की बढ़ती साझेदारी एशिया में स्थिरता और निवेश को बढ़ावा दे सकती है। अमेरिका की टैरिफ नीति ने दोनों देशों को एकजुट होने का अवसर दिया है। चीन ने भारत के साथ व्यापारिक बाधाओं को कम करने की इच्छा जताई है, जिससे दोनों देशों को वैश्विक मंच पर एक नई भूमिका मिल सकती है।
निष्कर्ष:
भारत और चीन के बीच हालिया संवाद और शी जिनपिंग की पहल से यह स्पष्ट है कि दोनों देश वैश्विक व्यापारिक दबावों के बीच अपने संबंधों को फिर से परिभाषित करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। 31 अगस्त की मोदी-जिनपिंग मुलाकात इस नई शुरुआत को औपचारिक रूप देने का अवसर हो सकती है।