अक्सर कुछ रातें खामोश सी

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अक्सर कुछ रातें खामोश सी मुस्कुराती है,

मानो कह रही हों ;

मैं हूं तुम्हारे साथ , बस कदम तुम्हें बढ़ाना है;

मैं हूं तुम्हारे साथ , बस हिम्मत तुम्हें जुटाना है;

मैं हूं तुम्हारे साथ , तुम्हें मंजिल तक पहुंचाना है;

अक्सर कुछ रातें खामोश सी ,

तुम्हें पंख मैं दूंगी , बस उड़कर तुम्हें जाना है;

तुम्हें रंग मैं दूंगी , बस सुंदर चित्र तुम्हें बनाना है;

तुम्हें राह में दूंगी , बस मंजिल तक तुम्हें जाना है;

अक्सर कुछ रातें खामोश सी ।।

” लिली ”

 

Richa Sahay

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