नवरात्रि का छठा दिन देवी कात्यायनी का होता है। 22 अक्टूबर को अश्वनी माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि है। स्थिति पर देवी के कात्यायनी स्वरूप की पूजा की जाती है।देवी दुर्गा के नौ रूपों में मां कात्यायनी की आराधना से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
मां कात्यायनी का स्वरूप
मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है । मां का यह स्वरूप स्वर्ण के समान चमकता हुआ प्रतीत होता है। इनकी चार भुजाएं हैं। दाएं तरफ की ऊपर वाली भुजा अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में मां के बाएं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है। वा नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। मां कात्यायनी का वाहन सिंह है।
मां कात्यायनी की पूजा विधि
नवरात्रि के छठवें दिन इतना ध्यान के पश्चात लाल रंग के वस्त्र पहनकर मां कात्यायनी की प्रतिमा या फोटो के सामने माता का ध्यान करें।इसके बाद कलश आदि पूजन करने के बाद मां कात्यायनी की पीले रंग के फूलों से विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
आराधना मंत्र
कात्यायनी महामये महायोगिन्य धीश्वरि,
नंदगोप शुतम देवी पतिमें कुरू ते नमः ।।
मां कात्यायनी को चढ़ाया जाने वाला भोग
मां कात्यायनी को पीला रंग बहुत प्रिय है। पूजा के पश्चात मां कात्यायनी को पीले रंग का नैवेद्य का भोग लगाया जाता है।
मां कात्यायनी की पूजा विधि पूर्वक करने से व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है. मां कात्यायनी की पूजा करने से शत्रुओं का नाश होता है. रोग से मुक्ति मिलती है. मां का ध्यान गोधुलि बेला यानि शाम के समय में करना चाहिए. ऐसा करने से माता अधिक प्रसन्न होती हैं.