18 क्रांति वीरों ने आज ही रायपुर में काट लिया था अत्याचारी मेजर सिडवेल का सिर, पढ़िए इतिहास के पन्नों से

0
180

पुलिस लाइन स्वतंत्रता संग्राम का गवाह रहा है। सन् 1857 में हुए विद्रोह के बाद 18 जनवरी 1858 को यहां रायपुर में भी सैनिक विद्रोह हुआ था। हनुमान सिंह ने अपने दो गोलंदाजों की सहायता से अंग्रेजी अफसर मेजर सिडवेल की घर घुसकर हत्या कर दी थी। इस दौरान कई सिपाही इस विद्रोह में शामिल हुए। 17 सिपाहियों को फांसी की सजा भी हुई थी।

1. 18 जनवरी 1858 को रात करीब 8 बजे शस्त्रागार लश्कर हनुमान सिंह ने अपने दो गोलंदाजों की सहायता से देसी इंफैन्ट्री की तीसरी रेजीमेन्ट के सार्जेंट मेजर सिडवेल की उसके घर में घुसकर हत्या कर दी। तब आज का पुलिस लाइन ब्रिटिशकाल में फौजी छावनी हुआ करता था। छावनी से भागते हुए हनुमान सिंह और उनके साथियों ने विद्रोह का स्वर मुखर करते हुए चिल्लाना शुरू कर दिया। इस दौरान तोपखाने के हवलदार और कई सिपाहियों ने अंग्रेजों के तोपों को अपने कब्जे में ले लिया। यह विद्रोह की शुरुआत थी।

2. यह पूरा विद्रोह लगभग 6 घंटे तक चला लेकिन संगठन कमजोर होने के कारण विद्रोह करने वाले सिपाहियों को काफी संघर्ष करना पड़ा। बाद में उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया। जैसे ही लेफ्टिनेंट रिबोट व लेफ्टिनेंट स्मिथ विद्रोह की जानकारी मिलने पर छावनी पहुंचे, उन्होंने अपने सिपाहियों को बुलाया। इसके बाद तोपखाने के हवलदार, 14 प्राइवेट और तीसरी रेजीमेंट के दो सिपाहियों को गिरफ्तार कर लिया गया। लश्कर हनुमान सिंह भागने में कामयाब रहे। पुरस्कार की घोषणा के बाद भी उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सका।

3. रायपुर के डिप्टी कमिश्नर चार्ल्स इलियट ने गिरफ्तार 17 सिपाहियों पर तत्काल मुकदमा चलाने का आदेश दिया। दो दिन तक चले मुकदमे के बाद सभी पर राजद्रोह और विद्रोह का आरोप लगाते हुए मृत्युदंड की सजा सुना दी गई। उन्हें 22 जनवरी 1858 को सैनिक टुकड़ी और रायपुर की जनता की मौजूदगी में फांसी दी गई। फांसी के बाद इनकी सारी संपत्ति भी जब्त कर ली गई। जिन गांव के लोगों ने विद्रोह में भाग लिया था, उनके परिवारों की सूची बनाई गई फिर रायपुर के डिप्टी कमिश्नर ने उन पर भी कठोर कार्रवाई की।

4. फरार होने के बाद हनुमान सिंह ने आजादी के लिए एक सेना का गठन किया था। विद्रोह में शामिल उनके साथियों को फांसी पर लटकाए जाने के बाद रायपुर में अंग्रेजों के खिलाफ आजादी का आंदोलन काफी तेज हो गया था। उस समय हनुमान सिंह की सेना में शामिल सिपाहियों को गोलंदाज कहा जाता था। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अंग्रेजों से लड़ाई के लिए मोतीबाग में गोपनीय बैठक आयोजित करते थे। यहां अंग्रेजों के खिलाफ रणनीति बनाई जाती थी। इसके अलावा भी कई जगह गोपनीय बैठकें आयोजित होती थी।

ब्रिटिशकाल के दौरान पुलिस लाइन में थी छावनी

Richa Sahay

The 4th Pillar, Contact - 9893388898, 6264744472