गोवर्धन पूजा के अगले दिन कार्तिक कृष्ण द्वितीया को यम द्वितीया, भाई दूज के नाम से मनाया जाता है। यह दिन 5 दिन के महापर्व का समापन दिवस होता है ।
ज्योतिषियों के मुताबिक, भाई दूज के दिन टीका करने का शुभ मूहूर्त सोमवार, 16 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 56 मिनट से 03 बजकर 06 मिनट तक रहेगा. यानी भाई दूज का त्योहार मनाने के लिए 2 घंटे 9 मिनट का शुभ मुहूर्त है.यदि आप किसी कारणवश शुभ मुहूर्त में भाई को तिलक नहीं कर पा रही हैं तो अभिजीत मुहूर्त में त्योहार मना सकती हैं. आज 11 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 27 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त में तिलक किया जा सकता है.
पौराणिक कथा के अनुसार
भगवान सूर्य नारायण की 2 पत्नियां थी । जिसमे संज्ञा नामक पत्नी से पुत्र यमराज व पुत्री यमुना का जन्म हुआ। यमराज , यमलोक में पापियों को कई प्रकार कठोर दण्ड देते रहते थे। जिससे दुखी होकर बहन यमुना , यमपुरी को छोड़कर गोलोक में आ गयी थी। कुछ समय बाद जब यमराज को बहन की याद सताने लगा तो मिलने गोलोक आये । यमुना ने अपने भाई यमराज को अपने घर आये देख कर ख़ुशी से आदर सत्कार करके भाई को तिलक कर आरती उतारी व अपने हाथ से अच्छे अच्छे पकवान बनाकर भोजन करायी । बहन के इस तरह निश्छल प्रेम से प्रसन्न होकर यमराज ने अपनी बहन को वरदान मांगने कहा तब यमुना ने वर माँगा – भैया मैं चाहती हूँ कि आज के दिन जो भी यमुना में स्नान करके अपनेे बहन के हाथ का भोजन करेगा उसे यमलोक नही जाना पड़े । यमराज ने यह वरदान दे दिया । तब से यह दिन , भाई बहनों के लिये पावन पर्व बन् गया है।
भारतीय परम्परा के अनुसार विवाह के बाद कन्या का अपने घर मायके आना कभी कभी होता है। मायके से भी परिवार के सदस्यों का उनसे मिलने जाना कभी कभार ही होता है।
ऐसे में भाई अपनी बहन से उदासीन न हो जाय वरन स्नेह सदा बना रहे , बहन के सुख दुःख का पता भाई को चलता रहे , दोनों के सम्बन्ध मधुर बना रहे ,इन्ही भावनाओं के साथ भाई दूज का यह पर्व मनाया जाता है।