संयुक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर 27 सितम्बर को भारत बंद को सफल करने की अपील

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रायपुर । शहीदे आजम भगतसिंह की 125 वीं जयंती और छत्तीसगढ़ के महान मजदूर नेता कमरेड शंकर गुहा नियोगी की शहादत दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ के विभिन्न किसान मजदूर और नागरिक संगठनों के समन्वय से बनी छत्तीसगढ़ के नेतृत्व में 25 सितम्बर 2021 दिन मंगलवार को सुबह 11:00 बजे कृषि उपज मंडी प्रांगण राजिम जिला गरियाबंद में एक दिवसीय राज्य स्तरीय किसान महापंचायत का आयोजन किया जा रहा है।

जिसमें प्रमुख वक्ता के रूप में संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली के नेताओं चौधरी राकेश टिकैत, डॉ. दर्शनपाल सिंह, योगेन्द्र यादव, नया पाटकर और डॉ. सुनीलम को आमंत्रित किया गया है।

केन्द्र सरकार द्वारा बड़े औद्योगिक घरानों के हित में पारित किसान, कृषि और आम उपभोक्ता विरोधी कानून को रद्द करने और सभी कृषि उपजों को न्यूनतम समर्थन मूल्य में खरीदी की गारंटी के लिए कानून बनाने की मांग को लेकर 26 नवम्बर 2020 से किसानों का आन्दोलन दिल्ली सीमाओं पर जारी है जिसमें 650 से अधिक किसानों ने अपनी प्राणों की आहुति दिया है। साल दर साल किसानों का उत्पादन लागत लगातार बढ़ रही है लेकिन उपज का लाभकारी दाम किसानों को नहीं मिलता है। यहां तक कि सरकार द्वारा कृषि उपजों के लिए घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल पाता है। राज्य सरकार द्वारा 14 क्विटल 80 किलो प्रति एकड़ धान की खरीदी की जाती है लेकिन बाकी धान को औने पौने दाम पर बेचने मजबूर होते हैं। गेंहू या मक्का के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य जरूर निर्धारित होती है लेकिन खरीदी की कोई व्यवस्था नहीं होने से खुले बाजार पर निर्भर है जहां सही दाम नहीं मिलता है। नये कानून में सरकार यह बात कह रही है कि किसान अपनी उपज को कहीं भी किसी भी व्यापारी को अपने मनचाहे दाम पर बेच इसकता है लेकिन इसके लिए कोई कानूनी गारंटी नहीं देता है कि स्वामीनाथन आयोग के सिफारिशों अनूरुप उपज का लागत से डेढ़ गुणा अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य तय होगा और मंडी के भीतर या बाहर कहीं पर भी तय मूल्य से कम में खरीदी होने पर कानूनी कार्यवाही होगी।

यह लड़ाई आम उपभोक्ताओं के लिए भी जरूरी जैसे कि हमने लॉक डाउन के दौर में देखा है कि 10 किलो का नमक 100रु में और 30 रु किलों का आलू 70 रु में खरीदना पड़ा। बड़े व्यापारियों के गोदामों में राशन जमा होने के बाद जमाखोरी कालाबाजारी और महंगाई बढ़ जाती है। इसलिए आज किसान, कृषि को बचाकर ही आम उपभोक्ताओं के लिए भीजन का अधिकार सुरक्षित रहेगा। किसान और खेती को बचाने के लिए उनके उपज का लाभकारी दाम मिलना जरुरी है। दही केन्द्र सरकार सभी सार्वजनिक उपक्रमों जैसे रेलवे, बैंक बीमा, आदि का निजीकरण ठेकाकरण कर बेच रही है जिससे युवाओं के सामने सुरक्षित रोजगार का विकल्प समाप्त होते जा रही है तो दूसरी ओर श्रम कानूनों को समाप्त कर चार श्रम संहिता के माध्यम से मजदूरों के सारे अधिकार कॉरपोरेट घरानों के हित में छीन लिया गया है। इस प्रकार सरकार की जनविरोधी नीतियो के माध्यम से किसान व मेहनतकश परिवार के युवाओं के सामने सुरक्षित रोजगार व आजीविका का संकट पैदा किया जा रहा है। जिसके विरुद्ध किसानों का आन्दोलन जारी है और संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 27 सितम्बर को भारत बंद के आवान को सफल बनाने अपील करते हैं।

Richa Sahay

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