पारंपरिक त्यौहार तीजा: छत्तीसगढ़ में महिलाएं कड़ूभात खाकर रखती है व्रत

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तीज पर्व पर मायके आई महिलाओं के लिए अंचल के विभिन्न ग्रामों में बुधवार को सामूहिक कड़ूभात खाने का आयोजन होगा। ग्राम चारभाठा, पसौद, मासुल, कुथरेल सहित अन्य ग्रामों में महिलाएं सामूहिक रूप से कड़ूभात खाकर उपवास रहेगी।

ग्राम चारभाठा के ग्रामीणों ने मीडिया द्वारा किए गए सवाल पर कहा कि विगत तीन वर्षो से ग्राम में सामूहिक कड़ूभात का आयोजन युवाओं के योगदान से किया जा रहा हैं। वहीं, ग्राम मासुल में युवा सरपंच द्वारा पहली बार इस वर्ष ग्राम में सामूहिक कड़ूभात का आयोजन किया जाएगा।

छत्तीसगढ़ के पारंपरिक त्यौहार तीजा पर सुहागिनें पति की लंबी उम्र और कुंवारी लड़कियां अच्छे पति की कामना को लेकर गुरुवार को तीजा पर्व मनाएंगी। बता दें कि महिलाएं माता पार्वती और भगवान शिव की आराधना करके निर्जला व्रत रखेंगी। व्रत का संकल्प लेने से पहले आज रात को कड़ूभात, खीरा, करेला और चावल को पकाकर खाने की परंपरा निभाएंगी।

हिंदू पंचांग के अनुसार, हरतालिका तीज व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। विवाहित और अविवाहित महिलाओं के लिए यह व्रत महत्वपूर्ण माना जाता है। जहां, सुहागिन महिलाएं इस व्रत को अखंड सौभाग्यवती और दांपत्य जीवन को सुखी बनाने की कामना से करती हैं तो वहीं कुंवारी कन्याएं योग्य वर प्राप्ति के लिए इस व्रत को करती हैं। इस दिन मां पार्वती और भगवान शिव की आराधना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि जो महिलाएं यह व्रत सच्चे मन से करती हैं तो मां गौरी उनकी कामना को पूर्ण करती हैं। यह व्रत विधि-विधान से किया जाता है। दरअसल हरतालिका तीज व्रत निर्जल रखा जाता है। इसलिए यह व्रत कठिन व्रतों में से एक माना जाता है।

Richa Sahay

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