जब इस शेर को विदाई देने थम गई थी मुंबई : दो लाख लोग आए थे अंतिम दर्शन करने

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साल 1996… कार्टूनिस्ट प्रशांत कुलकर्णी एक राजनीतिक हस्ती का इंटरव्यू ले रहे थे।बात शुरू होने से पहले ही प्रशांत से कहा गया कि आपका बनाया ब्रोकन एरो वाला कार्टून अच्छा था। चलो,अब एक कार्टून की ही बात करते हैं । दर्शन तारीफ करने वाला शख्स खुद भी एक कार्टूनिस्ट था और उनका नाम था-बालासाहेब ठाकरे।

यह किस्सा बहुत खास है क्योंकि प्रशांत के जिस कार्टून की तारीफ की गई थी, उसका उस समय राजनीतिक तौर पर महत्व बहुत ज्यादा था। दरअसल, पुणे के अलका थिएटर में रमेश किणी की लाश मिली थी और उस समय वह थिएटर में अंग्रेजी फिल्म ब्रोकन एरो देख रहे थे। इस हत्या को लेकर बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे पर उंगलियां उठ रही थी और खूब चर्चित हुआ। प्रशांत ने अपने कार्टून में टूट तीर की नोंक से टपकता खून दिखाया था। उसके साथ लिखा था-ब्रोकन एरो-खलबली मचाने वाला डरावना सिनेमा। शिवसेना का चुनाव चिन्ह भी तीर कमान ही है। साफ है कि प्रशांत के कार्टून का हमला सीधे तौर पर शिवसेना पर ही था और बाल ठाकरे ने बेबाकी से उस पर अपनी बात रखी। ऐसी ही बेबाकी के साथ अपना जीवन जीने वाले बाल ठाकरे ने 17 नवंबर 2012 को आखिरी सांस ली थी।

1950 में फ्री प्रेस जनरल में मशहूर कार्टूनिस्ट आर के लक्ष्मण के साथ काम कर चुके बाल ठाकरे की कहानी एक किंग मेकर की कहानी है। ठाकरे के कार्टून जापान के एक डेली न्यूज़ पेपर “द असाही शिंबुन” और “द न्यूयॉर्क टाइम्स” के संडे एडिशन में छपा करते थे। उनके राजनीतिक कद का अंदाजा इस बात से लग सकता है कि उनके निधन के बाद पूरा मुंबई बंद हो गया था। अंतिम यात्रा में दो लाख से ज्यादा लोग शामिल थे।

बाल ठाकरे का जन्म 23 जनवरी 1926 को महाराष्ट्र के पुणे में हुआ था। बाल ठाकरे 9 भाई बहनों में सबसे बड़े थे। मीनाताई ठाकरे से शादी के बाद उन्हें तीन बेटे हुए – बिंदुमाधव ठाकरे , जयदेव ठाकरे और उद्धव ठाकरे।उद्धव आज महाराष्ट्र में शिवसेना के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री हैं।

1960 में वह पूरी तरह से राजनीति में सक्रिय हो गए। अपने भाई के साथ मार्मिक नाम से साप्ताहिक अखबार निकाला। 1966 में मराठी माणूस को हक दिलाने के लिए शिवसेना बनाई। खुद कभी चुनाव नहीं लड़ा और किंगमेकर की भूमिका ही निभाई। बेबाकी तो जैसे उनमें कूट-कूट कर भरी थी। जब अयोध्या में बाबरी ढांचा गिराया गया और कोई जिम्मेदारी नहीं ले रहा था तब बाल ठाकरे ही थे जो खुलकर कह गए कि शिव सैनिकों ने गिराई है मस्जिद ।

इमरजेंसी के दौरान विपक्ष में रहते हुए भी इंदिरा गांधी को समर्थन किया था। प्रतिभा पाटिल को राष्ट्रपति बनाने की बात हो या प्रणब मुखर्जी को, उन्होंने गठबंधन से बाहर जाकर अपनी बेबाकी दिखाई। 1995 में शिवसेना ने भाजपा के साथ गठबंधन सरकार बनाई । 2006 में जब बेटे उद्धव को शिवसेना की कमान सौंपी तो राज ठाकरे ने अलग होकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बनाई यह बात आखरी वक्त तक उन्हें टीसती रही ।

Richa Sahay

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