Wednesday, February 5, 2025
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Exclusive: भारत के GDP मे परिवार-स्वामित्व वाले व्यवसाय का 70 प्रतिशत योगदान, देश की अर्थव्यवस्था का एक एहम अंग

भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है और इसमें फैमिली बिजनेस का बहुत बड़ा योगदान है. परिवार-स्वामित्व वाले व्यवसाय सिर्फ देश की GDP में ही नहीं, बल्कि रोजगार सृजन और नए उद्योगों में नवाचार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. हाल ही में, मनीकंट्रोल फैमिली बिजनेस अवार्ड्स 2024 में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने परिवार-स्वामित्व वाले व्यवसायों के योगदान की सराहना की और इसे भारत की आर्थिक वृद्धि का मुख्य आधार बताया.

उन्होंने कहा कि परिवार-स्वामित्व वाले व्यवसाय भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, जो वर्तमान में GDP में 70% से अधिक योगदान करते हैं. वहीं साल 2047 तक, यह योगदान 80-85% तक पहुंचने का अनुमान है. इसका मतलब है कि फैमिली बिजनेस भारत को एक $5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएंगे.

हाल ही में आई मैकिन्से की एक रिपोर्ट आई है. जिसमें उन 300 फैमिली बिजनेस का विश्लेषण किया गया, जिनकी वार्षिक आय 2,000 करोड़ रुपये से अधिक है. रिपोर्ट के अनुसार भारत में फैमिली-स्वामित्व वाले व्यवसायों (FOBs) यानी फैमिली बिजनेस का वर्तमान में GDP में 70-75% योगदान है, जो दुनिया में सबसे अधिक प्रतिशत में से एक है. यह आंकड़ा न केवल भारत की अर्थव्यवस्था की स्थिरता को दर्शाता है, बल्कि भविष्य में इनके और ज्यादा योगदान की संभावना को भी उजागर करता है. अगर हम इसी रिपोर्ट में की गई भविष्यवाणी पर विश्वास करें, तो यह योगदान अगले दो दशकों में बढ़कर 80-85% तक पहुंच सकता है, जिससे यह साबित होता है कि फैमिली बिजनेस भारत की विकास यात्रा में एक स्थायी स्तंभ है.

भारत में 300 से ज्यादा फैमिली बिजनेस पर स्टडी किए जाने पर पाया गया कि साल 2017 से 2022 के बीच, इन व्यवसायों ने 2.3%  रेवेन्यू ग्रोथ दर्ज की थी, जो गैर-परिवार-स्वामित्व वाले व्यवसायों यानी सामान्य बिजनेस से कहीं ज्यादा थी. इसके अलावा, 2012 से 2022 के बीच, फैमिली बिजनेस ने अपने शेयरधारकों को दो गुना अधिक रिटर्न दिया है. ये आंकड़े इस बात को सबूत है कि फैमिली बिजनेस सिर्फ भारतीय अर्थव्यवस्था का हिस्सा ही नहीं हैं, बल्कि वे इसे गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

भारत की बड़ी और युवा जनसंख्या को देखते हुए, रोजगार सृजन एक बड़ी चुनौती है. फैमिली बिजनेस इस चुनौती का सामना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. भारत में फैमिली बिजनेस ने न सिर्फ छोटे और मझोले स्तर पर बल्कि बड़े उद्योगों में भी रोजगार के करोड़ों अवसर पैदा किए हैं. मैकिन्से के अनुसार, भारतीय फैमिली बिजनेस देश के रोजगार के एक महत्वपूर्ण हिस्से को कवर करते हैं. ये व्यवसाय न केवल पारंपरिक उद्योगों जैसे कि निर्माण, खुदरा, और कृषि में रोजगार उत्पन्न करते हैं, बल्कि नई तकनीक, हेल्थकेयर, और बायोटेक जैसे उच्च-तकनीकी क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसर प्रदान कर रहे हैं.

भारतीय अर्थव्यवस्था की बात करें तो यहां फैमिली बिजनेस की भूमिका सिर्फ रोजगार सृजन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह नवाचार और विविधीकरण में भी महत्वपूर्ण योगदान कर रहा है. भारत का वैश्विक नवाचार सूचकांक में 41वां स्थान इस बात का गवाह है कि भारत एक नवाचार-आधारित अर्थव्यवस्था की दिशा में बढ़ रहा है. भारतीय फैमिली बिजनेस ने नई तकनीकों और नवीन उत्पादों का विकास करके अपनी भूमिका को प्रगति की दिशा में और मजबूत किया है.

उदाहरण के लिए बायोटेक क्षेत्र में को ही ले लीजिये. साल 2014 में इस देश में केवल 50 बायोटेक स्टार्टअप थे, जबकि अब यह संख्या 9000 के करीब पहुंच गई है, जो देश में एक स्वस्थ और बढ़ते आर्थिक वातावरण का प्रमाण है. यह वृद्धि न केवल रोजगार में वृद्धि कर रही है, बल्कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत को भी एक मजबूत स्थान दिला रही है. फैमिली बिजनेस, अपनी स्थिरता और दीर्घकालिक दृष्टिकोण के कारण, न सर्फ अपने व्यवसायों को आगे बढ़ाते हैं, बल्कि नवाचार और शोध के क्षेत्र में भी योगदान कर रहे हैं.

भले ही आज फैमिली बिजनेस को भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जा रहा है, लेकिन इसके सामने कुछ चुनौतियां भी हैं, जो इनके विकास में रुकावट डाल सकती हैं.

सबसे बड़ी चुनौती है पीढ़ी दर पीढ़ी नेतृत्व परिवर्तन. इसका मतलब है कि जब एक पीढ़ी के बाद दूसरी पीढ़ी जिम्मेदारी संभालती है, तो कुछ फैमिली बिजनेस अपनी पहली पीढ़ी की सफलता को नहीं दोहरा पाते. एक रिपोर्ट के अनुसार, फैमिली बिजनेस की सफलता दर 20-25% तक रहती है, लेकिन जैसे-जैसे पीढ़ियाँ बदलती हैं, कम प्रदर्शन करने वाले व्यवसायों की संख्या बढ़ जाती है. उदाहरण के तौर पर, पहली पीढ़ी में लगभग 33% बिजनेस अच्छे से काम नहीं करते, और तीसरी पीढ़ी तक यह आंकड़ा बढ़कर 46% तक पहुंच जाता है.

दूसरी चुनौती है विविधीकरण, यानी फैमिली बिजनेस को जोखिम को कम करने और लंबे समय तक विकास के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में निवेश करना पड़ता है. इसका मतलब है कि एक ही क्षेत्र में अटकने के बजाय, फैमिली बिजनेस को नए-नए उद्योगों और टेक्नोलॉजी में भी अपना हाथ आजमाना पड़ता है. यह न केवल नए व्यवसायों को शुरू करने में मदद करता है, बल्कि स्थिरता और नई तकनीकों के विकास को भी सुनिश्चित करता है.

बिजनेस के कई प्रकार होते हैं, और हर व्यवसाय का उद्देश्य और काम करने के तरीका एक दूसरे से काफी अलग होता है. सबसे पहले, व्यवसाय की संरचना को देखें तो इसमें स्वतंत्र व्यवसाय होते हैं, जहां एक व्यक्ति पूरी जिम्मेदारी निभाता है. इस तरह के बिजनेस के संचालन में कोई साझेदारी नहीं होती.

इसके बाद आता है साझेदारी वाला बिजनेस, जहां दो या दो से ज्यादा लोग मिलकर व्यवसाय चलाते हैं और नफा नुकसान में हिस्सेदारी करते हैं. इसके बाद आते हैं कंपनियां, जो एक कानूनी संस्था होती हैं और इसमें कई शेयरधारक होते हैं. यह एक अधिक जटिल और संगठित संरचना होती है. इसके साथ ही, सहकारी संस्थाएं होती हैं, जिनमें कई लोग मिलकर एक उद्देश्य के तहत काम करते हैं, जैसे कि सहकारी बैंक या दूध सहकारी.

व्यवसायों को उनके कामकाजी क्षेत्र के आधार पर भी वर्गीकृत किया जा सकता है. उत्पादन व्यवसाय में वस्तुओं का निर्माण होता है, जैसे फैक्ट्रियां जो विभिन्न उत्पादों का निर्माण करती हैं. इसके अलावा, सेवा आधारित व्यवसाय होते हैं, जहां सेवाएं प्रदान की जाती हैं, जैसे अस्पताल, होटल या शिक्षा क्षेत्र. फिर, विभिन्न व्यापार के रूप में रिटेल और होलसेल व्यवसाय होते हैं, जहां रिटेल में ग्राहक से सीधे संपर्क होता है और होलसेल में उत्पादों को बड़े पैमाने पर खरीदा जाता है और फिर छोटे व्यापारी को बेचा जाता है.

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