विधानसभा में वंदे मातरम पर गरमाई बहस: सीएम साय बोले – इतिहास से सबक न लेने वाला समाज भविष्य खो देता है
छत्तीसगढ़ विधानसभा में राष्ट्रगीत वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर विशेष चर्चा, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा – यह गीत राष्ट्रीय चेतना और सार्वजनिक एकता का प्रतीक है, जिसे स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों ने अपने प्राणों से सींचा।

रायपुर, 17 दिसंबर 2025 — छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीतकालीन सत्र मंगलवार को उस समय ऐतिहासिक बन गया जब सदन में राष्ट्रगीत वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर विशेष चर्चा आयोजित की गई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने वंदे मातरम को राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह गीत न केवल देशभक्ति की भावना को जागृत करता है, बल्कि समाज को सार्वजनिक रूप से जोड़ने का कार्य भी करता है।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि जो समाज अपने इतिहास से नहीं सीखता, उसका भविष्य अंधकारमय हो जाता है। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम केवल एक गीत नहीं, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम की आत्मा है, जिसे सुनकर शहीदों ने फांसी के फंदे को भी मुस्कराकर स्वीकार किया।
सदन में भावनात्मक माहौल, विपक्ष पर भी निशाना
सीएम साय ने अपने भाषण में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि तुष्टिकरण की राजनीति के चलते तत्कालीन सरकारों ने वंदे मातरम को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया और इसके कुछ अंशों को ही स्वीकार किया गया, क्योंकि कुछ वर्गों को इससे आपत्ति थी। उन्होंने कहा कि जन्मभूमि की स्तुति करने वाले इस गीत को सीमित करना दुर्भाग्यपूर्ण था।
प्रधानमंत्री मोदी को दिया धन्यवाद
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताते हुए कहा कि संसद में भी वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर चर्चा कराई गई, जो देश की गौरवगाथा को सम्मान देने का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि हर देशवासी का कर्तव्य है कि वह अपने इतिहास, संस्कृति और राष्ट्रगान के महत्व को समझे और अगली पीढ़ी को भी इससे जोड़ने का प्रयास करे।
वंदे मातरम: एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
राष्ट्रगीत वंदे मातरम की रचना बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 1870 के दशक में की थी। यह गीत आनंदमठ उपन्यास का हिस्सा है और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यह गीत क्रांतिकारियों की प्रेरणा बना। 1905 के बंग-भंग आंदोलन से लेकर 1947 तक, यह गीत देशभक्ति का प्रतीक बना रहा।
राज्यभर में हुए आयोजन
विधानसभा के अलावा राज्य के विभिन्न जिलों में भी वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर कार्यक्रम आयोजित किए गए। रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग और अंबिकापुर में स्कूली बच्चों द्वारा सामूहिक गायन, प्रभात फेरियां और संगोष्ठियों का आयोजन किया गया। सरकारी कार्यालयों में भी राष्ट्रगीत का सामूहिक गायन हुआ।
निष्कर्ष
वंदे मातरम पर विधानसभा में हुई चर्चा ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह गीत आज भी राष्ट्रीय एकता, सांस्कृतिक गौरव और ऐतिहासिक चेतना का प्रतीक है। मुख्यमंत्री साय के वक्तव्य ने न केवल इतिहास की स्मृतियों को ताजा किया, बल्कि वर्तमान राजनीतिक विमर्श में भी राष्ट्रगीत की प्रासंगिकता को रेखांकित किया।



