आखिर सरकार किसको बचाना चाह रही,नकली दवा कंपनियों के खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं कराया जा रहा? : सुरेंद्र वर्मा
सरकार किसको बचाना चाह रही, सिर्फ प्रतिबंध भी खानापूर्ति

रायपुर। प्रदेश में लगातार मिल रही नकली दवाएं चिंता का विषय है। प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेन्द्र वर्मा ने कहा है कि सरकार नकली दवाएं सप्लाई करने वाली कंपनियों के खिलाफ कोई कार्यवाही क्यों नहीं कर रही है? दवाइयां अमानक है, उनके निर्माण में लापरवाही हुई है तो यह आपराधिक कृत्य है, ऐसी कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होना चाहिए, लेकिन स्वास्थ्य विभाग केवल दवाओं पर प्रतिबंध लगाकर चुप बैठ जाता है। इसका मतलब है कि मिलीभगत करके गुणवत्ताविहीन दवाएं खरीदी गयी है।
प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेन्द्र वर्मा ने कहा है कि प्रदेश में दवा के नाम पर ज़हर दिया जा रहा है, नकली अमानक, गुणवत्ताहीन, फंगस लगे दवा का वितरण मरीजों को किया जा रहा है, इतने गंभीर विषय पर यह सरकार गंभीर नहीं है, अब तक न किसी की जिम्मेदारी तय की गई, न ही कोई कार्यवाही हुई। छोटे-छोटे बच्चों को जो कृमि की जो दवाइयां खिलाई गई हैं, जांच में अमानक पाया गया, डायरिया पीड़ित मरीजों को दी गई दवाओं में फंगस मिला, कई एंटीबायोटिक दवाओं से मरीजों को एलर्जी हो रही है, गर्भवती महिलाओं और माताओं को बांटी गई आयरन, सल्फेट और फोलिक एसिड की दवाएं गुणवत्ताहीन पाई गई। सरकारी अस्पतालों में फफूंद लगे ग्लूकोस बोतल चढ़ाने से मरीजों की तबियत खराब हो रही है। पेरासिटामोल से लेकर सर्जिकल ब्लेड तक, एल्बेंडाजोल से लेकर प्रेगनेंसी किट तक अमानक निकले। यह सरकार उन दवाओं के उपयोग को लेकर मात्र एडवाइजरी जारी करके अपने जिम्मेदारियों से मुक्त होना चाहती है।
प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेन्द्र वर्मा ने कहा है कि जिन दवा कंपनियों के उत्पादों पर देश के विभिन्न राज्यों में प्रतिबंध लगा है, उन्हीं कंपनियों की लगभग वही दवाइयां प्रदेश में धड़ल्ले से बिक रही है। सरकार बताए कि डॉक्टरों की शिकायत के बाद भी सप्लायर कंपनियों पर कोई कार्यवाही अब तक कोई कार्यवाही क्यों नहीं की गई? आखिर गुणवत्ताहीन दवाओं के सप्लायरों को किसका संरक्षण है? कब तक मरीजों के जान से खिलवाड़ होता रहेगा?



