आज का पंचांग और धार्मिक महत्व: राहुकाल से लेकर अक्षय नवमी के शुभ मुहूर्त तक, जानें क्या करें और क्या नहीं

शुभ कार्यों के लिए कौन-सा समय है उत्तम? राहुकाल में भूलकर भी न करें ये काम, ज्योतिषीय गणना से जानें संपूर्ण विवरण।



रायपुर, 31 अक्टूबर 2025: कार्तिक मास, शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि (अक्षय नवमी) का संयोग आज के दिन को अत्यंत विशेष बना रहा है। किसी भी कार्य की सफलता के लिए शुभ समय का ज्ञान आवश्यक है। आज हम 31 अक्टूबर 2025, शुक्रवार के दिन के राहुकाल, शुभ-अशुभ मुहूर्त और पंचांग के बारे में विस्तार से जानेंगे।

राहुकाल: अशुभ समय का महत्व और कारण

राहुकाल क्या है और क्यों होता है?

राहुकाल ज्योतिष शास्त्र में एक अशुभ समय खंड है। यह सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच के कुल समय का आठवां भाग होता है और प्रत्येक दिन लगभग डेढ़ घंटे का होता है। यह अशुभ समय छाया ग्रह राहु से प्रभावित माना जाता है।

हिंदू ज्योतिष में राहु को एक क्रूर और पाप ग्रह माना गया है, जिसका स्वभाव विघ्न डालने वाला और नकारात्मक ऊर्जा से भरा होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान छल से अमृत पीने वाले दानव स्वरूप ‘स्वरभानु’ का सिर वाला हिस्सा राहु कहलाया।

इस समय कोई अच्छा या शुभ कार्य शुरू क्यों नहीं करना चाहिए?

मान्यता है कि राहुकाल के दौरान शुरू किए गए किसी भी शुभ या नए कार्य में राहु की नकारात्मक ऊर्जा के कारण बाधाएं आती हैं, काम असफल हो जाता है या उसका फल विपरीत मिलता है। इसीलिए, इस काल में शुरू किए गए शुभ कार्य बिना बाधा के पूरे नहीं होते।

इसलिए, राहुकाल को त्याग कर शुभ मुहूर्त में ही कोई भी महत्वपूर्ण कार्य आरंभ करने की सलाह दी जाती है।

आज 31 अक्टूबर 2025 (शुक्रवार) के लिए राहुकाल का समय

आज शुक्रवार को राहुकाल दिन के चौथे भाग में रहता है।

  • राहुकाल का समय: सुबह 10:38 बजे से दोपहर 12:01 बजे तक।

राहुकाल में क्या-क्या चीजें नहीं करनी चाहिए?

राहुकाल को अशुभ मानते हुए इस दौरान निम्नलिखित कार्यों से बचना चाहिए:

  • मांगलिक कार्य: विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, मुंडन, उपनयन संस्कार आदि जैसे कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।
  • नया व्यवसाय या महत्वपूर्ण शुरुआत: किसी नए व्यापार या कारोबार की शुरुआत, नया प्रोजेक्ट आरंभ करना, या किसी महत्वपूर्ण दस्तावेज (एग्रीमेंट/साइनिंग) पर हस्ताक्षर करना वर्जित माना जाता है।
  • यात्रा: किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए लंबी या नई यात्रा की शुरुआत करने से बचने की सलाह दी जाती है। यदि बहुत आवश्यक हो तो हनुमान चालीसा का पाठ करें या दही-गुड़ खाकर निकलें और पहले दस कदम उल्टे चलकर यात्रा शुरू करें।
  • क्रय-विक्रय (खरीदी-बिक्री): इस समय में वाहन, मकान, आभूषण (ज्वैलरी), मोबाइल, कंप्यूटर, या किसी भी बहुमूल्य वस्तु की खरीददारी या बड़े सौदे करने से हानि या वस्तु के जल्दी खराब होने की आशंका रहती है।
  • पूजा-पाठ: इस दौरान यज्ञ, हवन या किसी देवी-देवता के आह्वान (आवाहन) से संबंधित नए अनुष्ठान/पूजा की शुरुआत नहीं करनी चाहिए, क्योंकि वे फलित नहीं होते। हालांकि, नित्य पूजा या मंत्र जाप किया जा सकता है।

राहुकाल में क्या-क्या चीजें करनी चाहिए?

चूंकि राहुकाल को अशुभ माना जाता है, इसलिए इसमें कोई भी नया या शुभ कार्य शुरू नहीं किया जाता। हालांकि, कुछ कार्य किए जा सकते हैं:

  • पहले से शुरू किए गए कार्य: जो कार्य पहले शुभ मुहूर्त में शुरू हो चुके हैं, उन्हें जारी रखा जा सकता है।
  • नित्य कर्म: दैनिक स्नान, भोजन, आराम आदि जैसे नित्य कर्मों को करने में कोई दोष नहीं है।
  • आध्यात्मिक कार्य: मंत्र जाप, ध्यान, या धार्मिक ग्रंथों का पाठ किया जा सकता है।

आज के शुभ एवं अशुभ मुहूर्त (31 अक्टूबर 2025, शुक्रवार)

शुभ मुहूर्त (शुभ कार्यों के लिए उत्तम समय)

  • अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:39 बजे से दोपहर 12:23 बजे तक।
    • यह दिन का सबसे शुभ मुहूर्त माना जाता है, जो बुधवार को छोड़कर प्रतिदिन होता है।
  • अमृत कालम्: सुबह 08:05 बजे से सुबह 09:42 बजे तक।

अशुभ मुहूर्त (इन समयों में शुभ कार्य वर्जित हैं)

  • राहुकाल: सुबह 10:38 बजे से दोपहर 12:01 बजे तक।
  • गुलिक काल (गुलिकई कालम्): सुबह 07:58 बजे से सुबह 09:20 बजे तक।
  • यमगण्ड: दोपहर 02:48 बजे से शाम 04:10 बजे तक।

क्या राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त एक साथ पड़ जाए तो शुभ कार्य कर सकते हैं?

ज्योतिष शास्त्र में अभिजीत मुहूर्त को दिन का सबसे श्रेष्ठ और विजयदायक मुहूर्त माना जाता है। यह हर दिन (बुधवार को छोड़कर) होता है और इसका शाब्दिक अर्थ ही विजेता होता है।

यदि किसी विशेष दिन राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त एक साथ पड़ जाए, तो सामान्य नियम यह है कि राहुकाल को अभिजीत मुहूर्त से अधिक प्रभावी माना जाता है। इसलिए, उस अवधि को त्यागने की सलाह दी जाती है।

हालांकि, अभिजीत मुहूर्त अपने आप में एक अत्यंत शक्तिशाली दोष-नाशक मुहूर्त है। यदि कोई कार्य अत्यंत आवश्यक हो और उस दिन कोई अन्य शुभ मुहूर्त उपलब्ध न हो, तो कुछ ज्योतिषी यह मानते हैं कि अभिजीत मुहूर्त में किया गया कार्य राहुकाल के दोष को काफी हद तक समाप्त कर देता है।

विशेष रूप से यदि कार्य शुरू करने से पहले भगवान हनुमान की पूजा या हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए तो संकट कटता है। फिर भी, बड़े मांगलिक कार्यों (जैसे विवाह, गृह प्रवेश) के लिए राहुकाल की अवधि को पूरी तरह से टालना ही सर्वोत्तम माना जाता है।

आज का पंचांग (31 अक्टूबर 2025)

आज के पंचांग की विस्तृत जानकारी इस प्रकार है:

  • तिथि: आज कार्तिक मास, शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि सुबह 10:00 बजे तक रहेगी, जिसके बाद दशमी तिथि का आरंभ हो जाएगा।
  • वार: शुक्रवार।
  • नक्षत्र: धनिष्ठा नक्षत्र शाम 06:36 बजे तक रहेगा, जिसके बाद शतभिषा नक्षत्र शुरू होगा। धनिष्ठा नक्षत्र यात्रा और आध्यात्मिक कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।
  • योग: वृद्धि योग अगले दिन सुबह 04:25 बजे तक रहेगा।
  • करण: कौलव करण सुबह 10:00 बजे तक, फिर तैतिल करण रात 09:37 बजे तक।
  • सूर्य और चंद्र की स्थिति: सूर्य तुला राशि में संचरण कर रहे हैं। चंद्रमा सुबह 06:48 बजे तक मकर राशि में रहेंगे, जिसके बाद वे कुंभ राशि में प्रवेश कर जाएंगे।
  • सूर्योदय: सुबह 06:31 बजे।
  • सूर्यास्त: शाम 05:30 बजे।
  • विक्रमी संवत्: 2082।
  • शक संवत: 1947 (विश्वावसु)।

आज का धार्मिक महत्व: अक्षय नवमी (आंवला नवमी) और जगद्धात्री पूजा

आज, 31 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है, जिसका अत्यंत धार्मिक महत्व है। इस दिन मुख्य रूप से अक्षय नवमी (जिसे आंवला नवमी भी कहा जाता है) और जगद्धात्री पूजा का पर्व मनाया जाता है।

  • अक्षय नवमी (आंवला नवमी): इस दिन को अक्षय फल प्रदान करने वाला माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन किया गया कोई भी शुभ कार्य, दान, या पूजन कभी नष्ट नहीं होता और उसका पुण्य कई जन्मों तक मिलता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन भगवान कृष्ण ने कंस का वध करने से पहले ब्रज की परिक्रमा की थी। इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन करना और आंवले के वृक्ष की पूजा करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। यह दिन स्थायित्व, समृद्धि और निरंतर विकास का प्रतीक है।
  • जगद्धात्री पूजा: कुछ क्षेत्रों, विशेषकर बंगाल में, आज के दिन शक्ति की देवी माता जगद्धात्री की पूजा भी की जाती है। इन्हें संपूर्ण जगत को धारण करने वाली माना जाता है, और इनकी पूजा से जीवन में सुख, शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

आज के दिन दान और शुभ कार्य करने से मानसिक शांति और जीवन में खुशहाली आती है।

डिस्क्लेमर (Disclaimer): यह समाचार रिपोर्ट ज्योतिषीय गणनाओं, पारंपरिक मान्यताओं और इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल सूचना प्रदान करना है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले व्यक्तिगत रूप से किसी अनुभवी ज्योतिषी या विद्वान से परामर्श अवश्य करें। www.the4thpillar.live इन जानकारियों की सटीकता या किसी भी परिणाम की जिम्मेदारी नहीं लेता है।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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