आरबीआई एमपीसी बैठक: रेपो रेट स्थिर, जीडीपी अनुमान बढ़ा, मुद्रास्फीति घटने की उम्मीद
भारतीय रिज़र्व बैंक ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो रेट को 5.5% पर यथावत रखा है, जबकि जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 6.8% तक बढ़ाया गया है। मुद्रास्फीति में गिरावट और विदेशी मुद्रा भंडार में मजबूती से आर्थिक स्थिरता की उम्मीद जताई गई है।

रायपुर, 1 अक्टूबर 2025: भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक का समापन बुधवार को हुआ, जिसमें गवर्नर संजय मल्होत्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कई अहम घोषणाएं कीं। आरबीआई ने मौजूदा घरेलू और वैश्विक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर स्थिर बनाए रखने का फैसला किया है। साथ ही, मौद्रिक नीति का रुख तटस्थ (Neutral) रखा गया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि केंद्रीय बैंक बदलती आर्थिक स्थिति के अनुसार दरों में लचीलापन बनाए रखेगा12।
आरबीआई गवर्नर की 10 प्रमुख घोषणाएं:
- जीडीपी वृद्धि दर में संशोधन:
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 6.5% से बढ़ाकर 6.8% कर दिया है। यह वृद्धि मुख्यतः निजी उपभोग, सरकारी खर्च और ग्रामीण मांग में मजबूती के कारण दर्ज की गई है2। - मुद्रास्फीति में गिरावट:
खुदरा मुद्रास्फीति का अनुमान 3.1% से घटाकर 2.6% किया गया है। अगस्त 2025 में सीपीआई 2.07% रहा, जो आरबीआई के 4% के मध्यम अवधि लक्ष्य से काफी नीचे है3। - रेपो दर स्थिर रहने से ऋण दरों में स्थिरता:
रेपो दर में कोई बदलाव नहीं होने से आवास, वाहन और अन्य खुदरा ऋणों की ब्याज दरों में फिलहाल कोई बदलाव नहीं होगा1। - पहले की गई दर कटौती का असर:
फरवरी से जून 2025 के बीच आरबीआई ने रेपो दर में कुल 100 बेसिस पॉइंट की कटौती की थी, जिससे नए ऋणों की उधारी लागत में औसतन 0.58% की कमी आई है3। - विदेशी मुद्रा भंडार में मजबूती:
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 700.2 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है, जो लगभग 11 महीने के आयात के लिए पर्याप्त है। यह आर्थिक स्थिरता का संकेत है2। - वैश्विक चुनौतियों के बीच घरेलू मजबूती:
अमेरिकी टैरिफ, डॉलर की मजबूती और वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था में मजबूती बनी हुई है। बेहतर मानसून, जीएसटी दरों में कटौती और सरकारी निवेश से आर्थिक गतिविधियों को गति मिल रही है14। - वेट एंड वॉच मोड:
आरबीआई फिलहाल वेट एंड वॉच मोड में है, यानी वह दरों को स्थिर रखते हुए वैश्विक और घरेलू आर्थिक संकेतकों पर नजर बनाए रखेगा। - निवेश और उपभोग को बढ़ावा:
आरबीआई का मानना है कि कम मुद्रास्फीति और मौद्रिक नरमी से निवेश और उपभोग दोनों को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे आर्थिक चक्र को गति मिलेगी। - शेयर बाजार और बांड यील्ड स्थिर:
आरबीआई की घोषणा से पहले बैंकिंग शेयरों में तेजी देखी गई थी। 10-वर्षीय सरकारी बांड की यील्ड 6.57% पर स्थिर रही, जिससे बाजार में स्थिरता का संकेत मिला5। - आगे की नीति लचीलापन बनाए रखेगी:
आरबीआई ने संकेत दिया है कि यदि वैश्विक या घरेलू परिस्थितियों में बदलाव आता है, तो वह दरों में कटौती या अन्य मौद्रिक उपायों पर विचार कर सकता है।



