रायपुर की पटरी पर कानून की नींद: समता कॉलोनी के पीछे खुलेआम गांजा कारोबार, तीन थानों की चुप्पी सवालों के घेरे में
धड़ल्ले से बिक रहा गांजा,तीनों थानों को जानकारी..पर सब चुप, आखिर क्यों ?

रायपुर । राजधानी के समता कॉलोनी स्लम इलाके के पीछे स्थित रेल पटरी अब सिर्फ ट्रेनों का रास्ता नहीं, बल्कि अवैध कारोबार का अड्डा बन चुकी है। दोनों तरफ की घनी बस्तियों के बीच यह पटरी गांजा कारोबारियों की गिरफ्त में है, जहां दिन-दहाड़े लड़के-लड़कियां मिलकर नशे का सामान खुलेआम बेचते हैं।
यह सिर्फ अवैध कारोबार की कहानी नहीं, बल्कि कानून की आँखों के सामने चल रही एक ‘अघोषित छूट’ की गाथा है। एक तरफ आज़ाद चौक थाना, दूसरी तरफ रामनगर चौकी (गुड़ियारी थाना) और ऊपर से RPF की जानकारी में भी मामला मौजूद फिर भी कार्यवाही नदारद। आखिर क्यों?
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि कंवर हटेला और यास्मीन खान जैसे लोग खुलेआम नशा बेचते हैं।रेल पटरी के दोनों ओर बसे परिवारों की चिंता गहराती जा रही है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि हमारी बहू-बेटियाँ काम पर निकलती हैं, लेकिन डर बना रहता है कि कभी कोई अनहोनी न हो जाए। बस्ती में हर कोई सहमा हुआ है उनका कहना है कि अगर नाम बाहर आ गया, तो हम लोगों का जीना मुश्किल हो जाएगा ।
यह भी हैरानी की बात है कि न केवल स्थानीय थानों बल्कि रेलवे पुलिस (RPF) तक को इन गतिविधियों की जानकारी है। फिर भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही।
क्षेत्र में इस चुप्पी को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं:
- RPF को सब पता है, फिर उनकी कार्रवाई क्यों रुक गई?
- तीन थाने की जानकारी के बावजूद ज़ीरो एक्शन ,क्या आपराधिक गठजोड़ है?
- क्या यह नशा कारोबार राजनीतिक संरक्षण के बिना चल सकता है?
- क्या स्थानीय जनप्रतिनिधियों की चुप्पी इस खेल का हिस्सा है?
- या फिर यहां की बस्तियों की आवाज़ अब प्रशासन तक पहुंच नहीं पा रही?
एक और चिंताजनक तथ्य यह है कि कारोबारियों का व्यवहार हिंसक होता जा रहा है बात-बात पर चाकू निकालना, लोगों को धमकाना अब आम हो गया है। पुलिस की निष्क्रियता इस बात का संकेत देती है कि या तो मामला ‘ऊपर’ से दबाया जा रहा है, या फिर जनता की पीड़ा का कोई महत्व नहीं बचा।
अब यह देखना है कि जिला प्रशासन और कानून-व्यवस्था की मशीनरी इस सड़ांध को साफ करने का साहस जुटाती है या नहीं । या फिर यह पटरी केवल ‘अवैध मुनाफे गांजा’ की दौड़ में दौड़ती रहेगी।