आंध्र प्रदेश में मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली सरकार राज्य में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए बड़े कदम उठा रही है। इसी कड़ी में, सरकार ने हाल ही में आईटी दिग्गज कॉग्निजेंट टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता किया है, जिसके तहत कंपनी को विशाखापत्तनम में एक आईटी कैंपस स्थापित करने के लिए केवल 99 पैसे की टोकन लीज पर जमीन आवंटित की गई है। यह समझौता भारत की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के साथ किए गए ऐसे ही करार के दो महीने बाद हुआ है, जो राज्य को एक प्रमुख आईटी निवेश केंद्र के रूप में स्थापित करने की सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को दर्शाता है।
कॉग्निजेंट का विशाखापत्तनम में विशाल निवेश
न्यू जर्सी के टीनेक स्थित मुख्यालय वाली कॉग्निजेंट अगले आठ वर्षों में विशाखापत्तनम के तटीय शहर में 1,582.98 करोड़ रुपये का निवेश करने के लिए तैयार है। कंपनी का लक्ष्य कपुलुप्पाडा क्षेत्र में 21.31 एकड़ भूमि पर एक अत्याधुनिक आईटी कैंपस बनाना है, जिससे लगभग 8,000 लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। यह कैंपस, जिसे कंपनी मार्च 2029 तक अपना वाणिज्यिक संचालन शुरू करने का लक्ष्य रखती है, बेंगलुरु के बाद भारत में कॉग्निजेंट का दूसरा सबसे बड़ा आईटी हब बनने की उम्मीद है। यह कदम बेंगलुरु से लगभग 600 किलोमीटर और चेन्नई से 800 किलोमीटर दूर स्थित विशाखापत्तनम को एक उभरते हुए टेक गंतव्य के रूप में मजबूती देगा। यह परियोजना पूरी तरह से कॉग्निजेंट द्वारा वित्तपोषित होगी, जो आंध्र प्रदेश के प्रति कंपनी की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
टीसीएस ने भी किया समान समझौता
कॉग्निजेंट से पहले, आंध्र प्रदेश सरकार ने इसी साल अप्रैल में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) को विशाखापत्तनम के आईटी हिल नंबर 3 में 21.16 एकड़ जमीन 99 पैसे की सांकेतिक कीमत पर आवंटित की थी। टीसीएस ने इस भूमि पर एक आईटी सुविधा स्थापित करने के लिए 1,370 करोड़ रुपये का निवेश करने का वादा किया है, जिससे लगभग 12,000 नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है। दोनों कंपनियों के साथ ये “99 पैसे की डील” राज्य सरकार की एक रणनीतिक पहल का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित करना है।
विशाखापत्तनम को आईटी हब बनाने की सरकार की दूरदर्शिता
राज्य के आईटी मंत्री नारा लोकेश ने विशाखापत्तनम को आईटी निवेश के लिए एक नए हब के रूप में विकसित करने पर जोर दिया है। उनका लक्ष्य अगले पांच वर्षों में आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्रों में पांच लाख नौकरियां पैदा करना है। यह नीति नए उद्योगों को जन्म देगी, बुनियादी ढांचे में सुधार करेगी, राज्य में रोजगार बढ़ाएगी और अर्थव्यवस्था को व्यापक लाभ पहुंचाएगी। यह मॉडल पहले गुजरात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपनाई गई सफल रणनीति को दर्शाता है, जहाँ टाटा मोटर्स को साणंद में 99 पैसे में जमीन दी गई थी।
आंध्र प्रदेश सरकार केवल आईटी क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है। कैबिनेट ने विजयनगरम में अपने स्टील प्लांट का विस्तार करने के लिए महामाया इंडस्ट्रीज लिमिटेड के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है। इसके अतिरिक्त, गुंटूर जिले के नादिमपलेम में ESIC (कर्मचारी राज्य बीमा निगम) को 6.35 एकड़ भूमि 100 बिस्तरों वाले अस्पताल और आवासीय क्वार्टर बनाने के लिए आवंटित की गई है। सरकार विशाखापत्तनम में 500 एकड़ की ‘डेटा सिटी’ बनाने की भी योजना बना रही है, जिसका उद्देश्य डेटा सेंटर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अन्य उभरती हुई तकनीकी समाधानों पर ध्यान केंद्रित करना है।
इन पहलों के माध्यम से, आंध्र प्रदेश सरकार निवेश को आकर्षित करने, रोजगार सृजित करने और राज्य के आर्थिक विकास को गति देने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे विशाखापत्तनम भारत के नक्शे पर एक महत्वपूर्ण आईटी और प्रौद्योगिकी केंद्र के रूप में उभर रहा है।