23 नवंबर को वायनाड लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव की काउंटिंग पूरी हो गई. इस सीट पर प्रियंका गांधी ने CPI के सत्यन मोकेरी को 4 लाख 10 हजार वोटों से हरा दिया है. वहीं भाजपा की नव्या हरिदास 1 लाख 9 हजार वोटों से तीसरे नंबर पर रहीं.
प्रियंका भले इस वायनाड से उपचुनाव जीत कर राजनीति में एंट्री ले चुकी है लेकिन वह अपने भाई राहुल के 5 साल पुराने जीत का रिकॉर्ड नहीं तोड़ पाईं. राहुल ने 2019 के लोकसभा चुनाव में CPI (M) के पीपी सुनीर को 4 लाख 31 हजार वोटों के अंतर से हराया था.
कांग्रेस के लिए इस सीट पर जीत दर्ज करना बेहद जरूरी था, क्योंकि यह सीट राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद खाली हुई थी और इस बार प्रियंका गांधी वाड्रा के लिए यह उनकी राजनीतिक यात्रा का पहला लोकसभा चुनाव है.
पायलट ने अपने एक बयान में कहा था कि, ‘हम वायनाड से प्रियंका जी की ऐतिहासिक जीत चाहते हैं. वह बहुत सालों से पार्टी के साथ काम कर रही हैं. उन्होंने एक समय राहुल जी, सोनिया जी और यहां तक कि राजीव जी के लिए भी बहुत व्यापक प्रचार किया था. इसलिए वह देशभर के पार्टी कार्यकर्ताओं से बहुत अच्छी तरह से जुड़ी हुई हैं. ‘
इसी बयान में पायलट आगे कहते हैं कि, ‘लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में राहुल गांधी ने सरकार पर निशाना साधा है, उन्हें अधिक जवाबदेह होने के लिए मजबूर किया है और प्रियंका का इसमें शामिल होना एनडीए के लिए कठिन दिन होंगे. लोकसभा में वन प्लस वन 11 हो जाएंगे. संसद में राहुल जी के साथ उनके हाथ मिलाने से निश्चित रूप से बीजेपी और एनडीए की रातों की नींद उड़ जाएगी. ‘
कांग्रेस को कैसे मिलेगी मजबूती. 5 प्वाइंट में समझिये
प्रियंका गांधी की जीत से कांग्रेस में गांधी परिवार का नेतृत्व और भी मजबूत हो सकता है. इसका मतलब है कि पार्टी में गांधी परिवार की महत्वपूर्ण भूमिका को बढ़ावा मिलेगा. प्रियंका अगर जीतती हैं, तो इससे यह साफ होगा कि पार्टी को गांधी परिवार का नेतृत्व ही सबसे ज्यादा पसंद आता है, और इस परिवार के नेतृत्व में ही कांग्रेस आगे बढ़ सकती है.
इसके अलावा प्रियंका गांधी को लेकर कांग्रेस में युवाओं के बीच एक नया उत्साह और उम्मीद जगी है. उनकी जीत से कांग्रेस को एक और युवा और प्रभावशाली नेता मिल सकता है, जो पार्टी को आगामी चुनावों में नेतृत्व प्रदान कर सकता है.
प्रियंका गांधी का चेहरा पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान दे सकता है. वे एक तरह से आपातकालीन विकल्प की तरह उभर सकती हैं, जिनसे कांग्रेस की स्थिति को सुधारने की उम्मीद है.
2. मुस्लिम वोट बैंक को मिलेगा संदेश
प्रियंका गांधी की जीत से कांग्रेस को मुस्लिम वोट बैंक में भी एक सकारात्मक संदेश जा सकता है. प्रियंका गांधी अपनी राजनीति में एक समावेशी दृष्टिकोण अपनाती रही हैं और उन्होंने अलग अलग समुदायों के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है. उनकी जीत यह संदेश दे सकती है कि कांग्रेस विभिन्न समाजों और धर्मों की रक्षा करने वाली पार्टी है, खासकर मुसलमानों के लिए.
वायनाड सीट एक ऐसा क्षेत्र है जहां मुस्लिम वोटर्स की अच्छी खासी आबादी है. ऐसे में प्रियंका गांधी की जीत से कांग्रेस को मुसलमानों का समर्थन मिल सकता है, जो भाजपा और अन्य दक्षिणपंथी ताकतों के खिलाफ एक संतुलन बना सकता है. इसके अलावा प्रियंका की जीत से यह भी संदेश जा सकता है कि कांग्रेस धार्मिक ध्रुवीकरण की राजनीति के खिलाफ खड़ी है और वह एक ऐसी पार्टी है जो सभी समुदायों को समान रूप से महत्व देती है.
3. दक्षिण से मिलेगा बड़ा चेहरा
प्रियंका गांधी की जीत कांग्रेस के लिए दक्षिण भारत में एक और मजबूत चेहरा स्थापित कर सकती है. दक्षिण भारत में कांग्रेस को एक मजबूत नेतृत्व की जरूरत है, और प्रियंका गांधी का उभरना पार्टी के लिए यहां एक सशक्त विकल्प हो सकता है. केरल में कांग्रेस का अच्छा जनाधार रहा है, और प्रियंका की जीत से पार्टी को दक्षिण भारत में एक नया नेतृत्व मिल सकता है.
प्रियंका गांधी की जीत से कांग्रेस को केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में अपनी स्थिति मजबूत करने का मौका मिलेगा, जहां पार्टी की गतिविधियां और नेतृत्व पर ध्यान दिया जा सकता है. प्रियंका गांधी युवा और प्रगतिशील सोच रखने वाली नेता हैं, और उनकी जीत से दक्षिण भारत के युवा मतदाताओं में एक नई ऊर्जा और कांग्रेस के प्रति आकर्षण उत्पन्न हो सकता है.
4. गांधी परिवार के आभामंडल में कांग्रेस
प्रियंका गांधी की जीत से कांग्रेस में गांधी परिवार की अहमियत और बढ़ सकती है, जो पार्टी के लिए एक बड़ा फायदेमंद कदम साबित हो सकता है. गांधी परिवार का कांग्रेस में एक खास पहचान और आभामंडल है, जो पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाता है. अगर प्रियंका गांधी राजनीति में सक्रिय होती हैं और वायनाड जैसे चुनाव में जीतती हैं, तो इससे गांधी परिवार का ये आभामंडल और भी मजबूत होगा. इसका मतलब यह है कि कांग्रेस को लोगों के बीच एक मजबूत पहचान और विश्वास मिलेगा, जो पार्टी के लिए चुनावी दृष्टिकोण से फायदेमंद होगा.
गांधी परिवार के बिना कांग्रेस का भविष्य अक्सर संदेह के घेरे में रहता है. प्रियंका की जीत से यह साफ हो सकता है कि पार्टी को गांधी परिवार से अलग किए बिना सशक्त नेतृत्व और चुनावी सफलता की उम्मीद बनी रहती है. इसके अलावा प्रियंका गांधी का चेहरा कांग्रेस के लिए एक सशक्त ब्रांड बन सकता है, जो पार्टी के संदेश को प्रभावी ढंग से देशभर में प्रसारित कर सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां भाजपा और अन्य दल कांग्रेस का विकल्प नहीं होने के कारण हावी हो गए हैं.
5. प्रियंका गांधी की जीत का कांग्रेस के अंदरूनी समीकरणों पर प्रभाव
प्रियंका गांधी की जीत से कांग्रेस के भीतर कुछ अंदरूनी समीकरणों में भी बदलाव हो सकता है. प्रियंका की जीत पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं को उत्साहित कर सकती है, जिससे संगठनात्मक रूप से कांग्रेस को नई ताकत मिल सकती है.
राजनीतिक विश्लेषक विजय कुमार मानते हैं कि वायनाड में प्रियंका गांधी की जीत कांग्रेस के नेतृत्व के लिए “नई ऊर्जा” ला सकती है, खासकर अगर वह पार्टी की भविष्य की चुनावी रणनीतियों में अहम भूमिका निभाती है तो.
वहीं राजनीतिक रणनीतिकार और पब्लिक अफेयर्स एक्सपर्ट नितिन शर्मा का कहना है कि प्रियंका गांधी की जीत से कांग्रेस को उन मतदाताओं में भी पुनः विश्वास पैदा हो सकता है, जिन्होंने पिछले कुछ चुनावों में भाजपा को प्राथमिकता दी है.
प्रियंका अपने परिवार से राजनीति में आधिकारिक तौर पर प्रवेश करने वाली 9वीं सदस्य होंगी. उनसे पहले गांधी परिवार में से जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, फिरोज गांधी, संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी, मेनका गांधी, वरुण गांधी और राहुल गांधी राजनीति में एंट्री कर चुके हैं.
अगर शुरुआती रुझान परिणाम में बदलता है तो प्रियंका गांधी अपनी राजनीति की शुरुआत देश के दक्षिणी हिस्से से करेंगी. वह अपनी दादी और देश की पूर्व पीएम इंदिरा गांधी, मां सोनिया गांधी और चाची मेनका गांधी के बाद चौथी महिला सदस्य हैं जो संसद पहुंचेंगी.
साल 2019 में वायनाड में हुए लोकसभा चुनाव के नतीजों की बात करें तो उस चुनाव में राहुल गांधी ने 4,31,770 वोट और 2024 में 3,64,422 वोट से चुनाव जीता था. राहुल गांधी ने इस लोकसभा चुनाव में दो सीटों (अमेठी और वायनाड) पर जीत हासिल की थी. यही कारण था कि साल की शुरुआत में उन्होंने अमेठी में रहने का फैसला करते हुए वायनाड सीट खाली कर दी थी.