रायपुर । राजधानी के गायत्री नगर स्थित प्राचीन श्रीजगन्नाथ मंदिर में शनिवार को बाहुड़ा रथ यात्रा के अंतर्गत एक अनुपम धार्मिक दृश्य साकार हुआ। जब भगवान श्रीजगन्नाथ, अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ मौसी के घर (गुंडिचा मंदिर) से नौ दिवसीय प्रवास के पश्चात गर्भगृह लौटे, तो द्वार पर माता लक्ष्मी जी ने उनका मार्ग रोक लिया।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान जगन्नाथ हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को रथ यात्रा पर निकलते हैं । और इस यात्रा में माता लक्ष्मी को साथ नहीं ले जाने के कारण वे रुष्ट हो जाती हैं। उनके लौटने पर माता लक्ष्मी उन्हें द्वार में रोककर अपनी नाराज़गी प्रकट करती हैं।
शनिवार को जैसे ही रथ मंदिर द्वार के समीप पहुंचा, माता लक्ष्मी ने प्रभु से पूछा प्रभु, आप बिना मुझे बताए चले गए। क्या मैं इस घर की स्वामिनी नहीं हूँ? भगवान श्रीजगन्नाथ जी ने हाथ जोड़कर विनम्रता से क्षमा याचना की और वचन दिया अब से जब भी यात्रा होगी, मैं आपको साथ लेकर ही जाऊँगा।
इसके पश्चात माता लक्ष्मी ने प्रसन्न होकर भगवान को गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति दी। यह दृश्य देख श्रद्धालु भावविभोर हो उठे।
जगन्नाथ सेवा समिति के अध्यक्ष एवं उत्तर विधायक श्री पुरंदर मिश्रा ने कहा यह प्रसंग केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि जीवन में संवाद, प्रेम और समानता का प्रतीक है। यह परंपरा हमें सह-अस्तित्व और रिश्तों की मर्यादा का संदेश देती है।
इस अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं ने रथ खींचने का सौभाग्य प्राप्त किया और भगवान के दिव्य दर्शन किए। मंदिर परिसर को भव्य रूप से सजाया गया था। भक्ति संगीत, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और सामूहिक आरती से संपूर्ण वातावरण भक्तिमय हो गया।
विशेष अतिथियों में नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, डॉ. हिमांशु द्विवेदी, पूर्व विधायक गुलाब कमरो, मोहित केरकेट्टा, गुरमुख सिंह होरा, राजेन्द्र तिवारी, पंडित सदानंद तिवारी सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का समापन भगवान श्रीजगन्नाथ के गर्भगृह में पुनः विराजमान होने के साथ हुआ। इसके बाद सामूहिक आरती और प्रसाद वितरण में श्रद्धालुओं ने भाग लेकर पुण्य लाभ प्राप्त किया।