Exclusive: क्या होती है क्रिप्टो करेंसी (BITCOIN), कैसे होता है इस्‍तेमाल, कितना सही या फ्रोड, जानिए डिटेल

क्या आपने दुनिया में एक ऐसी करेंसी के बारे में सुना है, जिसकी एक यूनिट यानी एक Coin या सिक्का 1 लाख डॉलर के बराबर हो? इंडियन करेंसी में इसकी वैल्यू 87 लाख रुपये से ज़्यादा होगी. एक Coin की कीमत 87,16,106 रुपये होती है. हम बिटकॉइन की बात कर रहे हैं. बिटकॉइन एक आभासी यानी वर्चुअल कॉइन है. अमेरिका में डोनाल्ड ड्रंप के राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद से ये लगातार उछाल मार रहा है. 5 नवंबर को अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आने के बाद से इसकी कीमत 45% बढ़ चुकी है.

क्या सोना, क्या हीरा, क्या प्लैटिनम, दुनिया की सबसे क़ीमती धातुओं को भी इस बिटकॉइन ने कहीं पीछे छोड़ दिया है. बाकी देशों की करेंसी की तो बात ही क्या है. बिटकॉइन ने तो US डॉलर की वैल्यू को भी कम किया है. आइए जानते हैं आखिर बिटकॉइन का ये माजरा क्या है?

ये वर्चुअल करेंसी कैसे काम करती है ? ये कितने देशों में वैलिड :-

बिटकॉइन एक नई इनोवेटिव डिजिटल टेक्नोलॉजी या वर्चुअल करेंसी है. इसको 2008-2009 में सतोषी नाकामोतो नाम के एक सॉफ्टवेयर डेवलपर ने डेवलप किया था. बिटकॉइन को क्रिप्टोकरेंसी भी कहा जाता है. एक जटिल कम्‍प्‍यूटर एल्गोरिथम्स और कम्‍प्‍यूटर पावर से इस करेंसी को डेवलप किया जाता है, जिसे माइनिंग कहते हैं. कम्प्यूटर नेटवर्कों के जरिए इस करेंसी से बिना किसी इंटरमीडिएटर के ट्रांजैक्‍शन किया जा सकता है. इस डिजिटल करेंसी को डिजिटल वॉलेट में भी रखा जा सकता है.

सब जानते हैं कि किसी भी चीज़ को ख़रीदने या किसी सेवा के बदले में हमें कीमत चुकानी होती है. बदले में कोई करेंसी यानी मुद्रा देनी होती है. भारत में रुपया, अमेरिका में डॉलर, ब्रिटेन में पाउंड स्टर्लिंग वगैरह ऐसी ही करेंसी हैं. हर देश की करेंसी पर उसके सेंट्रल बैंक का कंट्रोल होता है, जो उसकी कीमत को एक निश्चित सीमा में बनाए रखने की कोशिश करती है.

कुछ बिटकॉइन

1. Ethereum (ETH)
2. Tether (USDT)
3. Binance Coin (BNB)
4. Solana (SOL)
5. USD Coin (USDC)
6. XRP
7. Dogecoin (DOGE)
8. Tron (TRX)
9. Toncoin (TON)
10. Cardano (ADA)

बिटकॉइन का इस्‍तेमाल

जिस तरह रुपये, डॉलर और यूरो खरीदे जाते हैं, उसी तरह बिटकॉइन की भी खरीद होती है. ऑनलाइन पेमेंट के अलावा इसको पारम्परिक मुद्राओं में भी बदला जाता है. बिटकॉइन की खरीद-बिक्री के लिए एक्सचेंज भी हैं, लेकिन उसका कोई औपचारिक रूप नहीं है. जबकि गोल्‍डमैन साक्‍स और न्‍यूयॉर्क स्‍टॉक एक्‍सचेंज तक ने इसे बेहद तेज और कुशल तकनीक कहकर इसकी तारीफ की है. इसलिए दुनियाभर के बिजनेसमैन और कई कंपनियां फाइनैंशियल ट्रांजेक्‍शन के लिए इसका इस्‍तेमाल खूब कर रहे हैं.

ध्यान देने वाली बात ये है कि इस करेंसी के पीछे कोई सपोर्ट नहीं है. न ही किसी देश या किसी बैंक की गारंटी है. कोई सोने और चांदी का भंडार भी इसके पीछे नहीं है. दूसरे शब्दों में कहें तो ये एक डिजिटल करेंसी है, जिस पर किसी बैंक का कंट्रोल नहीं है.

इसका नियंत्रण उन सभी के हाथ में है, जो बिटकॉइन के लेनदेन से जुड़े हैं… राजनीति की भाषा में कहें तो इसका बड़ा ही फेडरल नेचर है यानी संघीय चरित्र है. इसके नियंत्रण के लिए कम्प्यूटरों का एक नेटवर्क है, जिसमें कोई भी शामिल हो सकता है. इन कम्प्यूटरों के ज़रिए बिटकॉइन के लेनदेन के कुछ नियम होते हैं. इसी को माइनिंग कहते हैं, माइनिंग से आमतौर पर दिमाग में तस्वीर बनती है किसी खदान में खनन की. यहां माइनिंग से मतलब है वो प्रक्रिया जो बिटकॉइन नेटवर्क को बनाए रखती है और जिसके ज़रिए नए बिटकॉइन अस्तित्व में आते हैं. हर लेनदेन सार्वजनिक तौर पर पूरे नेटवर्क पर ब्रॉडकास्ट होता है.

अगर परंपरागत तरीके से बताएं तो ऐसे मान लीजिए कि एक सार्वजनिक खाता है, सबके सामने खुला हुआ, जिस पर हर वक्त सबकी निगाह रहती है. उसमें होने वाला हर लेनदेन सबकी निगाहों से गुजरता है. बिटकॉइन का अकाउंट बस ऐसा ही है. लेकिन किसी साधारण बही खाते या बैलेंस शीट से दूर तकनीकी पेचीदगियों से भरा हुआ… जहां कंप्यूटर सर्वरों के एक नेटवर्क पर ये बैलेंस शीट लगातार सबके सामने बनती, बदलती रहती है.

बिटकॉइन का इस्तेमाल आप किसी वस्तु या सेवा को खरीदने या बेचने के लिए कर सकते हैं… लेकिन कैसे… मान लीजिए आप एक दुकान चलाते हैं, लेन देन के लिए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं जिसके लिए एक फीस देनी पड़ती है. इसकी जगह आप बिटकॉइन का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिसकी फीस काफ़ी कम होती है.

शुरुआत के लिए आपको एक सॉफ्टवेयर वॉलेट की ज़रूरत होती है, जिसमें आपका बैलेंस रहे और जो आपको एक बिटकॉइन एड्रेस देता है. इस वॉलेट का तब तक कोई मतलब नहीं है, जब तक कि आपको कोई बिटकॉइन में पेमेंट नहीं करता या आप किसी क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज से पारंपरिक मुद्रा जैसे रुपया या डॉलर देकर बिटकॉइन नहीं ख़रीदते… इसके बाद ही ये आपके डिजिटल वॉलेट में आता है… बस यहीं से शुरू होती है वो चेन जो समझनी सबसे ख़ास है जिसे ब्लॉक चेन कहा जाता है.

इस ब्लॉकचेन में होता ये है कि जो भी आपको बिटकॉइन देता है वो माइनर्स के पूरे नेटवर्क पर ये जानकारी सार्वजनिक कर देता है. यानी ये बता देता है कि उसके एड्रेस पर जो बिटकॉइन अटैच्ड था उसे अब उसने आपके एड्रेस पर अटैच कर दिया है. वॉलेट सॉफ्टवेयर डिजिटली इस मैसेज को साइन कर देता है, जिसके बाद नेटवर्क से जुड़े सभी माइनिंग कंप्यूटर इस बात की पुष्टि करते हैं कि लेनदेन वास्तव में हुआ है.

कैसे हो सकता है फ्रॉड
दरअसल, बिटकॉइन रखने वाला हर व्यक्ति लेनदेन को डिजिटली साइन करता है, तो हर बिटकॉइन के मालिकाना हक़ का मैथमेटिकली पता लगाया जा सकता है. हालांकि, ये मैथेमेटिकल कैलकुलेशन बहुत ही जटिल होती है, लेकिन ये काफ़ी सुरक्षित है. फिर भी एक सवाल ये है कि क्या कोई पहले से बिका हुए बिटकॉइन आपको बेच कर चूना लगा सकता है… जिस तरह के डिजिटल फ्रॉड चल रहे हैं उसमें ये संभव है कि जिस आदमी ने आपको बिटकॉइन दिया वो किसी ऐसे बिटकॉइन की डिजिटल कॉपी हो जिसे उसने पहले ही खर्च कर दिया हो. इसी से बचने के लिए हर बिटकॉइन के लेनदेन का दुनिया भर के कंप्यूटरों में रिकॉर्ड रखा जाता है.

क्रिप्टोकरेंसी एक्सपर्ट अजीत खुराना बताते हैं, “बिटकॉइन में जब भी कोई लेनदेन होता है, तो माइनिंग कंप्यूटर इसे नए ब्लॉक में बदल देते हैं. माइनर्स नए ब्लॉक को वेरिफाई करते हैं. फिर इसे पहले से आए ब्लॉक्स में जोड़ देते हैं. यही है ब्लॉक चेन टैक्नॉलजी.”

टेक एक्सपर्ट अरुण सिंह बताते हैं, “क़रीब हर दस मिनट पर बिटकॉइन का ये लेनदेन माइनर्स द्वारा एक ग्रुप यानी ब्लॉक में जमा किया जाता है और स्थायी तौर पर ब्लॉकचेन में जोड़ दिए जाता है.”

अकाउंट से छेड़छाड़ संभव
बिटकॉइन के इस एकाउंट के साथ छेड़छाड़ लगभग असंभव है. जब भी कोई लेनदेन होता है तो नेटवर्क में अपने बिटकॉइन का मालिकाना हक़ साबित करने के लिए एक प्राइवेट key की ज़रूरत होती है. यानी पासवर्ड… जिसे व्यक्ति याद रख सकता है. इसके अलावा इस वर्चुअल करेंसी को ख़रीदने या बेचने के लिए किसी और चीज़ की ज़रूरत ही नहीं है. इस विचार को ब्रेन वॉलेट कहा जाता है.

अब सवाल ये है कि क्या बिटकॉइन को कैश में बदला जा सकता है… जी हां बिलकुल. इसके लिए ऑनलाइन कई क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज होते हैं, जहां लोग इस मुद्रा को कैश में बदल सकते हैं. भारत में क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज के ज़रिए बिटकॉइन को नकदी में बदला जा सकता है. इसके लिए बिटकॉइन बेचकर सीधे बैंक खाते में रुपये निकाले जा सकते हैं. बिटकॉइन को नकदी में बदलने के लिए, इन तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है: क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज, पी2पी प्लेटफ़ॉर्म, बिटकॉइन एटीएम.

भारत में बिटकॉइन को मान्यता नहीं है. तो भी लाखों लोग कैसे बिटकॉइन में निवेश कर रहे हैं.. क्या उनका पैसा ख़तरे में नहीं है. कैसे वो साफ़ सुथरे तरीके से बिटकॉइन में निवेश कर सकते हैं.

सतोशी नाकामोटो
सतोशी नाकामोटो कौन हैं ये आज तक पुख़्ता तौर पर पता नहीं चल पाया है. अक्टूबर 2008 में सतोशी नाकामोटो के नाम से साइन एक मैसेज आया जिसका टाइटल था Bitcoin P2P e-cash paper जिसमें बिटकॉइन बनाने का एलान किया गया. अगले दो साल तक सतोशी नाकामोटो नाम का एक शख़्स बिटकॉइन कम्युनिटी में एक्टिव रहा. ब्लॉकचेन के डेवलपमेंट के लिए दूसरों के संपर्क में रहा. जानकारों के मुताबिक, सतोशी का आख़िरी मैसेज दिसंबर 2010 में आया और उसके बाद वो गायब हो गया. कभी सामने आया ही नहीं.

कई लोगों ने दावा किया कि वो सतोशी नाकामोटो हैं, लेकिन साबित नहीं कर पाए. कंप्यूटर सॉफ्टवेयर से जुड़े एक व्यक्ति को सतोशी नाकामोटो बताया गया, तो उसने मना कर दिया. दुनिया भर में उसके इंटरव्यू लिए गए, लेकिन उसने इससे इनकार कर दिया. तो ये रहस्य बना ही हुआ है कि बिटकॉइन को किसी एक व्यक्ति ने बनाया या इसके पीछे कोई टीम है. वो है तो सामने क्यों नहीं आती… कोई तो है… और जब तक रहस्य बना हुआ है.

भारत में बिटकॉइन का भविष्‍य
भारत में कई योग्‍य और प्रतिभाशाली आईटी एक्‍सपर्ट्स हैं. इस लिहाज से भी यहां पर बिटकॉइन के लिए उचित जगह है. क्‍योंकि भारत के बहुत सारे लोग अमेरिका और यूरोप में काम कर रहे हैं. वहीं, बिटकॉइन से पहले की अपेक्षा पेमेंट करना अब सस्‍ता हो गया है. भारत के कई एनिमेटर्स और सॉफ्टवेयर डेवलपर्स एक साथ काम करते हैं और हमेशा बिटकॉइन के जरिए पेमेंट करते हैं. इसलिए भारत में इस वर्चुअल करेंसी के लिए जबरदस्त गुंजाइश है.

 

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button