रायपुर । राजधानी रायपुर में चाकूबाजी, और हत्या जैसे वारदातें लगातार जारी है। सोमवार की रात आमा सिवनी इलाके में दो लोगों की चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी गई थी तो वही कल यानि मंगलवार को पुरानी बस्ती थाना क्षेत्र में भी एक शराबी की गला घोंटने के बाद फावड़ा मारकर कत्ल कर दिया गया था।लगातार सामने आ रही इन आपराधिक घटनाओं ने शासन से लेकर प्रशासन और पुलिस के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी है।
इस बीच एक बड़ी खबर सामने निकलकर आई है। जिला कलेक्टर डॉ गौरव सिंह ने राजधानी के तीन कुख्यात बदमाशों के खिलाफ जिलाबदर की कार्रवाई की हैं। इस सम्बन्ध में आदेश जारी करते हुए कहा गया है कि 24 घंटे के अंदर जिला रायपुर तथा समीपवर्ती राजस्व जिला दुर्ग, धमतरी, बलौदा बाजार, महासमुंद जिले क्षेत्र से तीन माह की अवधि के लिए बाहर चले जाए और जब तक यह आदेश लागू रहेगा बिना वैधानिक पूर्वानुमति लिए इस जिले एवं उल्लेखित जिलों की सीमा में प्रवेश नहीं करना है l इन बदमाशों को इस आदेश का तुरंत पालन करने और पालन न करने पर उनके विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही के आदेश दिए हैं l
इन बदमाशों के खिलाफ कार्रवाई
- बदमाश मोहम्मद शहजाद के विरुद्ध वर्ष 2015 से लगातार मारपीट, चाकूबाजी, गुंडागर्दी, चोरी आदि के कुल 14 अपराध पंजीबद्ध है l
- बदमाश आशु छत्री के विरुद्ध वर्ष 2015 से लगातार हत्या के प्रयास, मारपीट, चाकूबाजी, गुंडागर्दी, जान से मारने की धमकी देने, चोरी, आर्म्स एक्ट आदि के कुल 20 अपराध पंजीबद्ध है l
- बदमाश चंदन भारती के विरुद्ध वर्ष 2014 से लगातार मारपीट, चाकू बाजी, गुंडागर्दी, अवैध शराब बिक्री के कुल 18 अपराध पंजीबद्ध है l
क्या होती है जिलाबदर की कार्रवाई?
दरअसल किसी क्षेत्र, थाना विशेष के पंजी में दर्ज आदतन अपराधी, जो आए दिन आपराधिक घटनाओं को अंजाम देते है या उन घटनाओं में उनकी संलिप्तता पाई जाती हैं। उनके खिलाफ ‘जिलाबदर’ की कार्रवाई की जाती है। हालांकि इसके लिए विशेष प्रावधान और कानून का प्रयोग किया जाता हैं।
भारतीय दंड विधान के अनुसार ऐसे अपराधी जिनके विरुद्ध, पुलिस थाने में दर्ज मुकदमों की संख्या 10 या उससे अधिक हो जाती है, पुलिस ऐसे आरोपी को निगरानीशुदा अपराधी की सूची में रखती हैं। वही इन निगरानीशुदा बदमाशों के स्वभाव में जब किसी तरह का बदलाव नहीं आता और उनके खिलाफ शिकायते मिलते रहते है तो थाना प्रभारी की रिपोर्ट पर जिले के पुलिस अधीक्षक या उनके समकक्ष अधिकारी जिला दंडाधिकारी यानि जिला कलेक्टर के समक्ष प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हैं। जिला दंडाधिकारी मौजूदा परिस्थितियों को पर विचार करते हुए ऐसे आरोपी के विरुद्ध जिला बदर की कार्रवाई कर आदेश पारित करते हैं।
जिलाबदर की कार्रवाई तीन माह, छह माह और एक वर्ष की हो सकती है। इस कार्रवाई के बाद अपराधी निर्धारित समय सीमा तक उस जिले अथवा जिले के दुसरे सीमावर्ती जिलों में प्रवेश नहीं कर सकते। अमूमन शांति भांग होने की आशंका में इस तरह की कार्रवाई की जाती है।