श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर रायपुर में अलौकिक दृश्य: शोभा यात्रा में ‘पंजा साहिब’ की झाँकी बनी आस्था का केंद्र
छत्तीसगढ़ सिख काउंसिल ने जीवंत किया गुरु जी के चमत्कार का दिव्य प्रसंग; वली कंधारी के अहंकार और मीठे जल की कहानी ने मोहा मन

रायपुर । सिख धर्म के संस्थापक एवं प्रथम गुरु, श्री गुरु नानक देव जी के 537वें प्रकाश पर्व के पावन अवसर पर राजधानी रायपुर श्रद्धा और आस्था के रंग में रंग गई। गुरुद्वारा स्टेशन रोड से रविवार को एक भव्य शोभा यात्रा एवं नगर कीर्तन का आयोजन किया गया, जिसने पूरे नगर में भक्तिमय माहौल का संचार किया। इस धार्मिक आयोजन का मुख्य आकर्षण “गुरुद्वारा श्री पंजा साहिब” की ऐतिहासिक झाँकी रही, जिसे छत्तीसगढ़ सिख काउंसिल द्वारा विशेष रूप से तैयार किया गया था।
ऐतिहासिक प्रसंग का जीवंत चित्रण
सैकड़ों श्रद्धालुओं के बीच निकाली गई इस झाँकी ने गुरु नानक देव जी की उदासी (यात्राओं) के एक अलौकिक प्रसंग को जीवंत कर दिया। यह झाँकी पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित वर्तमान गुरुद्वारा श्री पंजा साहिब के निर्माण से जुड़ी उस चमत्कारी घटना को दर्शा रही थी, जब गुरु जी हसन अब्दाल (पुराना नाम) पहुँचे थे।
झाँकी में दिखाया गया कि कैसे गुरु नानक देव जी अपने शिष्य भाई मर्दाना जी के साथ वहाँ पहुँचे, जहाँ जल का एकमात्र स्रोत पहाड़ी पर सूफी फकीर वली कंधारी के अधीन था। जब वली कंधारी ने अहंकारवश प्यासे भाई मर्दाना जी को पानी देने से मना कर दिया, तब गुरु नानक देव जी ने अपने दिव्य बल से एक पत्थर हटाया और वहीं से मीठे जल की अविरल धारा फूट पड़ी।
चट्टान का थमना और अहंकार का टूटना
इस चमत्कार से क्रोधित होकर वली कंधारी ने पहाड़ से एक विशाल चट्टान गुरु जी की ओर लुढ़का दी। कथा का यह क्षण सबसे अधिक प्रभावशाली रहा, जब गुरु जी ने शांत भाव से अपना पवित्र पंजा (हथेली) उठाया और वह विशालकाय चट्टान वहीं थम गई। जहाँ गुरु जी का हाथ लगा, वहाँ पत्थर पर पंजे का दिव्य निशान अंकित हो गया। इस अलौकिक घटना को देखकर वली कंधारी का अहंकार चूर-चूर हो गया और वह गुरु जी के चरणों में नतमस्तक हो गया। आज वही स्थान “गुरुद्वारा श्री पंजा साहिब” के नाम से जाना जाता है, जहाँ पंजे का वह पवित्र निशान आज भी विद्यमान है।
नई पीढ़ी को इतिहास से जोड़ने का प्रयास
इस विशेष झाँकी के निर्माण के पीछे के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए, छत्तीसगढ़ सिख काउंसिल के प्रदेश अध्यक्ष एवं छत्तीसगढ़ राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष (राज्यमंत्री दर्जा) अमरजीत सिंह छाबड़ा ने बताया कि गुरु नानक देव जी के जीवन, उनके उपदेशों और सिख धर्म के गौरवशाली इतिहास से नई पीढ़ी को परिचित कराने के उद्देश्य से यह झांकी तैयार की गई है। यह झाँकी गुरु जी के परमार्थ और सत्य के संदेश को प्रभावी ढंग से दर्शाती है।
शोभा यात्रा के दौरान गगन सिंह हंसपाल, गुरदीप सिंह टुटेजा, जसबीर होरा, इंदरजीत सिंह, दलविंदर सिंह, सागर छाबड़ा, राजविंदर खालसा सहित अनेक गणमान्य श्रद्धालु एवं समाजसेवी उपस्थित रहे। यह भव्य आयोजन नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए, भव्य कीर्तन, झाँकियों, वाहेगुरु के जयघोष और सत्संग के साथ संपन्न हुआ।



