फ़लस्तीन के राजदूत अब्दुल्ला अबू शावेश से डॉ.जॉन दयाल और विनीत तिवारी ने की मुलाकात,कहा-संकट की इस घड़ी में हम आपके साथ हैं

दिल्ली । इंडो-फ़लस्तीन नेसॉलिडेरिटी नेटवर्क के डॉ. जॉन दयाल और विनीत तिवारी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने भारत में फ़लस्तीन के राजदूत अब्दुल्ला अबू शावेश से मुलाकात कर फ़लस्तीनी लोगों के साथ अपनी एकजुटता और हमदर्दी व्यक्त की है ।

मुलाक़ात का मुख्य उद्देश्य

फ़लस्तीन में, विशेष रूप से ग़ज़ा और वेस्ट बैंक में जारी आदेश हिंसा को समाप्त करने के लिए इज़राएल और अमेरिका के समक्ष उनकी माँगों को रखना तथा लगातार जारी नरसंहार को तत्काल समाप्त कर इस विवाद को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में सुलझाने की वैश्विक माँग पर ज़ोर देना है।

राजदूत अबू शावेश ने प्रतिनिधिमंडल का किया आभार व्यक्त 

नवनियुक्त राजदूत अबू शावेश ने फ़लस्तीनी लोगों के प्रति एकजुटता व्यक्त करने के लिए प्रतिनिधिमंडल का आभार प्रकट किया। नवनियुक्त राजदूत अबू शावेश ने दशकों से इज़राएल और फ़लस्तीन के बीच जारी संघर्ष के बारे में विस्तार से बात की और ऐतिहासिक तथ्यों के हवाले से बताया कि फ़लस्तीन में सदियों से ईसाई, यहूदी और मुस्लिम लोग खुशी-खुशी साथ-साथ रहते आये थे । जिन्हें साम्राज्यवादी औपनिवेशिक ताक़तों ने आपस में बाँट दिया।

डॉ. जॉन दयाल ने की हिंसा की निंदा

इंडो-फ़लस्तीन सॉलिडेरिटी नेटवर्क (आईपीएसएन) की ओर से फ़लस्तीन के लोगों के प्रति पूर्ण एकजुटता व्यक्त करते हुए वरिष्ठ पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. जॉन दयाल ने हिंसा की निंदा करते हुए कहा, “यह युद्ध फ़लस्तीनी बच्चों के खिलाफ युद्ध है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुमान के अनुसार ग़ज़ा के लोगों पर इजरायल द्वारा फिर से हमले शुरू होने के बाद से, हर दिन 100 फ़लस्तीनी बच्चे मारे जा रहे हैं या घायल हो रहे हैं।” डॉ. दयाल ने कहा, “एक इंसान, मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार होने के नाते, मुझे इस बात का बहुत दु:ख है कि कैसे इज़राएल ने हर मानवीय कानून का उल्लंघन किया है। पत्रकार, डॉक्टर, पैरामेडिक्स और संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी, सभी को निशाना बनाया गया है, जिससे ग़ज़ा दुनिया का सबसे खतरनाक स्थान बन गया है।”

विनीत तिवारी ने गांधी जी के चरखे की एक प्रतिकृति भेंट करते हुए कहा-इंसाफ़ का संघर्ष निश्चित ही कामयाब

वरिष्ठ लेखक और मानवाधिकार कार्यकर्ता विनीत तिवारी ने प्रतिनिधिमंडल की ओर से राजदूत अबू शॉवेश को गांधी जी के चरखे की एक प्रतिकृति भेंट करते हुए कहा कि यह श्रम, प्रेम, सद्भाव और औपनिवेशिक ग़ुलामी से मुक्ति का प्रतीक है। फ़लस्तीनी जनता का इंसाफ़ का संघर्ष निश्चित ही कामयाब होगा।

डॉ. जया मेहता ने कहा संकट की घड़ी में हम आपके साथ है

वरिष्ठ अर्थशास्त्री डॉ. जया मेहता ने भी राजदूत अबू शॉवेश को और उनके ज़रिये फ़लस्तीनी जनता को अपनी शुभकामनाएँ प्रेषित कीं। साथ ही कहा कि इस संकट की घड़ी में हम सब आपके साथ है ।

इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार मनन कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता सुनीता कुमारी, युवा विद्यार्थी शीरीन छिब्बर एवं प्रतिनिधिमण्डल के अन्य सदस्यों ने भी राजदूत के समक्ष अपने विचार और चिंताएँ साझा कीं।

एकजुटता का एक पत्र दिया 

आईपीएसएन की ओर से फ़लस्तीनी राजदूत को डॉ. दयाल और विनीत तिवारी ने एकजुटता का एक पत्र दिया। पत्र में उल्लेखित है कि जब तक इज़राएल को सैन्य सामग्री की आपूर्ति बंद होनी चाहिए, ग़ज़ा और वेस्ट बैंक में इज़राएल को तत्काल हमले बंद करने चाहिए।

इज़राएल की घेराबंदी से फ़लस्तीनियो को नहीं मिल पा रही जीवनोपयोगी वस्तुएं

ज्ञात हो कि इज़राएल की घेराबंदी की वजह से फ़लस्तीनी लोगों को बाहरी देशों और संस्थाओं से रसद, दवा और जीवनवश्यक ज़रूरी सामग्री भी नहीं मिल पा रही है। पत्र में फ़लस्तीन के लिए मानवीय सहायता को फिर से शुरू करने की बात का भी समर्थन किया गया है। साथ ही आईपीएसएन ने इज़राएल की सरकार के फ़लस्तीन पर एकतरफ़ा युद्ध छेड़ने के लिए जिम्मेदार पदाधिकारियों पर युद्ध अपराध के लिए अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय में मुकदमा चलाने की वैश्विक माँग का भी समर्थन अपने पत्र में किया है।

प्रतिनिधिमंडल ने ज़ोर देते हुए कहा,”हम दुनिया के लाखों-करोड़ों लोगों के साथ मिलकर तत्काल न्यायपूर्ण और स्थायी शांति की माँग करते हैं।”

फ़लस्तीनी राजदूत अब्दुल्ला अबू शॉवेश ने इस गर्मजोश और भावुक मुलाक़ात का समापन इस आह्वान के साथ किया –

“नदी से समुद्र तक, हर कोई स्वतंत्र होगा”

राजदूत ने फ़लस्तीन का पारंपरिक गमछा ‘कूफ़िए’ पहनाकर किया स्वागत

जिसे प्रतिनिधिमंडल के सभी सदस्यों ने भी दोहराया। भारत और फ़लस्तीन के बीच दोस्ती के मज़बूत रिश्ते के प्रतीक के तौर पर प्रतिनिधिमंडल के सभी 17 सदस्यों को राजदूत ने फ़लस्तीन का पारंपरिक गमछा ‘कूफ़िए’ पहनाया।

इजरायल और फिलिस्तीन के बीच लड़ाई का क्या कारण है?

इज़राइल-फिलिस्तीन विवाद का सबसे बड़ा कारण येरूशलेम पर आधिपत्य स्थापित करना है, क्योंकि यह यहूदी , इसाई और इस्लाम का धार्मिक स्थल है। इसलिये इज़रायल और फिलिस्तीन दोनों इसे अपनी राजधानी बनाना चाहते हैं। शहर को विभाजित करने का तरीका इजरायल और फिलीस्तीनियों को विभाजित करने वाले मूलभूत मुद्दों में से एक रहा है।

गाजा पट्टी विवाद क्या है?

हमास गाजा पट्टी में एक फिलिस्तीनी सशस्त्र समूह और राजनीतिक आंदोलन है। 7 अक्टूबर 2023 को इसने इजरायल पर हमला किया, जिसमें लगभग 1,200 लोग मारे गए और 250 से अधिक बंधक बना लिए गए। इसके परिणामस्वरूप गाजा में बड़े पैमाने पर इजरायली सैन्य आक्रमण शुरू हो गया, जिसमें हजारों फिलिस्तीनी मारे गए।

इज़राइल ने गाजा को भी किया सीलबंद

इज़राइल ने गाजा को भी सीलबंद कर दिया है – भोजन, पानी, ईंधन, बिजली, चिकित्सा आपूर्ति और अन्य वस्तुओं तक पहुंच को अवरुद्ध कर दिया है। नतीजतन, लोग भुखमरी और बीमारी से मर रहे हैं। आज, गाजा नरसंहार और अभूतपूर्व मानवीय संकट का सामना कर रहा है जो दिन-प्रतिदिन बदतर होता जा रहा है।

भारत करता है समर्थन

भारत संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन की सदस्यता का भी समर्थन करता है। भारत ने 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हुए आतंकी हमलों और इजरायल-हमास संघर्ष में नागरिकों की जान जाने की कड़ी निंदा की है।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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