Breaking News: Supreme Court ने किया प्रशन – ‘जनता की असुविधा का हवाला देकर पूजा कैसे रोक दी गई’, जानिए पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट बुधवार (11 दिसंबर, 2024) को केरल के गुरुवयूर श्री कृष्ण मंदिर के प्रशासन के पक्ष में आए हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हो गया. मंदिर प्रशासन ने एकादशी पर की जाने वाली उदयस्थामन पूजा के प्राचीन अनुष्ठान को बंद करने का निर्णय किया था.

जस्टिस जे के माहेश्वरी और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने 7 दिसंबर के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर गुरुवयूर देवस्वम प्रबंधन समिति, केरल सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर प्रशासन की वेबसाइट पर प्रदर्शित दैनिक पूजा-अर्चना के कार्यक्रम में बदलाव नहीं किया जाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया, ‘जनता की असुविधा का हवाला देकर पूजा कैसे रोक दी गई. पूजा भगवान के लिए है. देवता की दिव्यता बढ़ाने के लिए इसलिए पब्लिक के लिए इसे रोका नहीं जा सकता है. मैनेजमेंट को भीड़ को नियंत्रित करने के लिए दूसरे उपाय खोजने चाहिए. ये कारण कहां तक जायज है, हमें इसकी जांच करनी होगी.’ कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि मंदिर की दैनिक पूजा में कोई बदलाव नहीं होना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि मंदिर की वेबसाइट पर पूजा का जो शेड्यूल मौजूद है, पूजा उसी तरह होनी चाहिए. शेड्यूल में कोई बदलाव न हो और न ही उससे कोई चीज हटाई जाए.

पीठ ने कहा, ‘हम अब हस्तक्षेप नहीं कर सकते. हम दूसरे पक्ष को नोटिस जारी करेंगे. प्रथम दृष्टया हम संतुष्ट हैं.’ उदयस्थामन पूजा का तात्पर्य सूर्योदय (उदय) से सूर्यास्त (अस्थामन) तक पूरे दिन मंदिर में की जाने वाली विभिन्न पूजा-अर्चनाओं से है. मंदिर प्रशासन ने हाल में भीड़ प्रबंधन में कठिनाइयों और दर्शन का समय बढ़ाने की श्रद्धालुओं की इच्छा का हवाला देते हुए एकादशी पर अनुष्ठान नहीं करने का निर्णय लिया था.

सुप्रीम कोर्ट मंदिर में पुजारी का अधिकार रखने वाले सदस्यों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इसमें कहा गया है कि ‘एकादशी’ मंदिर का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है. याचिका में कहा गया कि स्वीकृत तथ्य यह है कि उदयस्थामन अनुष्ठान 1972 से एकादशी के दिन किया जाता रहा है, जबकि वास्तव में यह उससे भी पहले से होता आ रहा है.

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि अनुष्ठानों को आदि शंकराचार्य द्वारा सुव्यवस्थित किया गया था और यह माना जाता है कि इसे बंद करना ठीक नहीं होगा.

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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