जस्टिस कुलदीप सिंह का निधन, थे भारत के पहले ‘ग्रीन जज’

सुप्रीम कोर्ट के पहले ‘ग्रीन जज’ के रूप में प्रसिद्ध जस्टिस कुलदीप सिंह का मंगलवार (26 नवंबर) को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया. जस्टिस सिंह ने पर्यावरण से जुड़े दो महत्वपूर्ण मामलों में अपनी सक्रियता और न्यायिक दृष्टिकोण से देशभर में अपनी छाप छोड़ी. ये मामले ताजमहल को प्रदूषण से बचाने और जंगलों की रक्षा से जुड़े थे. अब ये मामले सुप्रीम कोर्ट में दो अलग-अलग बेंचों द्वारा सुने जा रहे हैं.

1932 में पाकिस्तान के झेलम में जन्मे जस्टिस कुलदीप सिंह ने पंजाब यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की और 1959 में बैरिस्टर बने. उन्होंने पंजाब हाई कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की और 1971 तक पंजाब यूनिवर्सिटी लॉ कॉलेज में पार्ट-टाइम पढ़ाया. 1987 में उन्हें पंजाब का एडवोकेट जनरल नियुक्त किया गया और उसी साल वे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में दिल्ली आ गए.

14 दिसंबर 1988 को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त हुए जस्टिस सिंह का सफर इतना आसान नहीं था. कहा जाता है कि वे अक्सर विवादों में घिरे रहते थे. उनकी शपथ ग्रहण की प्रक्रिया में बदलाव ने उन्हें उस समय के चीफ जस्टिस बनने से वंचित कर दिया. इसके बावजूद उन्होंने पर्यावरण से जुड़े मामलों में अद्वितीय योगदान दिया.

जस्टिस सिंह ने पर्यावरणविद् एम सी मेहता की ओर से 1985 में दायर एक याचिका पर ताजमहल को औद्योगिक और ट्रैफिक पॉल्यूशन से बचाने के लिए सक्रिय भूमिका निभाई. इसके अलावा 1995 में टी एन गोडावरमन थिरुमुलपद की ओर से दायर मामले में उन्होंने जंगलों को बचाने और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगाने के लिए मजबूत कदम उठाए. इन दोनों मामलों में उनकी भूमिका के कारण उन्हें ‘ग्रीन जज’ का खिताब मिला.

जस्टिस कुलदीप सिंह का निधन न केवल न्यायिक क्षेत्र के लिए बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए भी एक बड़ी क्षति है. उनके दोनों बेटे परमजीत सिंह पटवालिया और दीपिंदर सिंह पटवालिया सीनियर वकील हैं. जस्टिस सिंह ने जो मिसाल कायम की वह आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी.

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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