पितृ पक्ष का चौथा दिन: जल तर्पण की विधि, दिशा, मंत्र और नियमों की संपूर्ण जानकारी

10 सितंबर 2025 को पितृ पक्ष के चौथे दिन पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए जल तर्पण का विशेष महत्व है। जानिए कौन, कैसे, किस दिशा में और किस मंत्र के साथ तर्पण करें।



Raipur – पितृ पक्ष हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र काल माना जाता है, जिसमें हम अपने पूर्वजों को श्रद्धा और सम्मान के साथ स्मरण करते हैं। इस वर्ष पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर 2025 को भाद्रपद पूर्णिमा से हुई है। आज 10 सितंबर को इसका चौथा दिन है, जिसे श्राद्ध और तर्पण के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस दिन जल तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

 

पितृ पक्ष 2025 के चौथे दिन 10 सितंबर को जल तर्पण की विधि, दिशा, मंत्र, समय और नियमों की संपूर्ण जानकारी। जानिए कौन, कैसे और किस दिशा में तर्पण करें। कुशा, वस्त्र, मंत्र और महिलाओं की भूमिका पर विस्तृत विवरण।


जल तर्पण क्या है

जल तर्पण एक वैदिक क्रिया है जिसमें श्रद्धा पूर्वक जल, तिल, जौ और दूध मिलाकर पूर्वजों को अर्पित किया जाता है। यह क्रिया पवित्रता, नियम और मंत्रों के साथ की जाती है।


जल तर्पण की विधि

  • तांबे या पीतल के पात्र में जल लें
  • उसमें काले तिल, जौ, दूध और थोड़ा सा कुशा डालें
  • अंजलि बनाकर तीन बार जल अर्पित करें
  • प्रत्येक बार निम्न मंत्र का उच्चारण करें:
    “ॐ पितृभ्यः नमः” — 3 बार
    “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” — 1 बार
  • तर्पण के बाद कौवे, गाय और कुत्ते को भोजन कराना आवश्यक है

तर्पण के लिए दिशा और उंगली का चयन

तर्पण किसके लिएदिशाउंगलीमंत्र
पितृ (पूर्वज)दक्षिणअंगूठाॐ पितृभ्यः नमः
देवता गणपूर्वसभी उंगलियाँॐ देवताभ्यः नमः
ऋषि-मुनिउत्तरसभी उंगलियाँॐ ऋषिभ्यः नमः
गुरु जनउत्तरसभी उंगलियाँॐ गुरुभ्यः नमः
भगवानपूर्वसभी उंगलियाँॐ नमो भगवते वासुदेवाय

कुशा का महत्व और अंगूठी का नियम

  • कुशा को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है
  • जल तर्पण करते समय कुशा की अंगूठी अनामिका उंगली में धारण करनी चाहिए
  • यह अंगूठी तर्पण की ऊर्जा को केंद्रित करती है

तर्पण का सर्वोत्तम समय

  • कुतुप मुहूर्त: सुबह 11:53 से दोपहर 12:44 तक
  • रौहिण मुहूर्त: दोपहर 12:44 से 01:34 तक
  • अपराह्न काल: दोपहर 01:34 से 04:04 तक
  • यदि इन समयों में संभव न हो, तो सूर्योदय से सूर्यास्त तक किसी भी समय तर्पण किया जा सकता है

वस्त्र और आचरण

  • पुरुष: धोती और अंगवस्त्र, जनेऊ दाएं कंधे पर
  • महिलाएं: सादा और स्वच्छ वस्त्र, बाल खुले न हों
  • स्नान के बाद ही तर्पण करें
  • मन, वाणी और शरीर की पवित्रता बनाए रखें

कौन कर सकता है तर्पण

  • परिवार का सबसे बड़ा पुरुष सदस्य
  • पुत्र, पौत्र, भाई, भतीजा
  • महिलाएं भी तर्पण कर सकती हैं, विशेष रूप से जब पुरुष सदस्य उपलब्ध न हों या वे स्वयं श्रद्धा से करना चाहें

यदि मृत्यु तिथि ज्ञात न हो तो क्या करें

  • ऐसे में अमावस्या तिथि को तर्पण करना उचित माना जाता है
  • इस वर्ष पितृ पक्ष की अमावस्या 21 सितंबर 2025 को है

क्या नहीं करना चाहिए पितृ पक्ष में

  • विवाह, गृहप्रवेश, नामकरण जैसे शुभ कार्य
  • प्याज, लहसुन, मांसाहार का सेवन
  • बाल कटवाना, नाखून काटना
  • अपवित्र वस्त्र पहनना
  • झूठ बोलना या अपशब्द कहना

विशेष जानकारी

  • यदि संभव हो तो किसी पवित्र नदी के किनारे तर्पण करें
  • तर्पण के बाद ब्राह्मण भोजन कराना श्रेष्ठ माना जाता है
  • तर्पण के दौरान मौन रहना या मंत्रों का उच्चारण करना उत्तम होता है
  • तर्पण के बाद पितरों के नाम का स्मरण करें और आशीर्वाद की प्रार्थना करें

आज की तिथि:

  • 10 सितंबर 2025, बुधवार
  • पितृ पक्ष का चौथा दिन
  • भाद्रपद शुक्ल पक्ष, चतुर्थी तिथि

Disclaimer :

यह लेख धार्मिक मान्यताओं और सार्वजनिक स्रोतों पर आधारित जानकारी के आधार पर तैयार किया गया है। www.the4thpillar.live इस लेख में दी गई धार्मिक विधियों, मंत्रों या उपायों की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है। पाठकों से अनुरोध है कि किसी भी धार्मिक अनुष्ठान से पहले योग्य पुरोहित या धार्मिक विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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