रायपुर। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने छत्तीसगढ़ में धान संग्रहण केंद्रों से 84 हजार मीट्रिक टन धान की कमी को गंभीर भ्रष्टाचार करार देते हुए भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है। वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने दावा किया कि यह घोटाला पिछले साल के 1000 करोड़ के घोटाले से भी बड़ा होगा, क्योंकि सरकार ने जानबूझकर नियमों में बदलाव कर घोटाले को आसान बनाया।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने 72 घंटे के भीतर धान उठाव के पुराने नियम को बदल कर धान के नुकसान की आड़ में उसे गायब करने का रास्ता खोल दिया है। छत्तीसगढ़ की 2038 प्राथमिक शाख समितियों के अंतर्गत संचालित 2739 संग्रहण केंद्रों में भाजपा नेताओं को प्रभारी नियुक्त किया गया है, और उन्हीं के कार्यकाल में 84 हजार मीट्रिक टन धान का ग़ायब होना इस बात का प्रमाण है कि यह चोरी सरकार के संरक्षण में हुई।
वर्मा ने यह भी कहा कि रायपुर, बस्तर, बिलासपुर, दुर्ग और सरगुजा संभाग में स्टॉक के आंकड़ों में भारी अंतर है—जिससे साफ है कि प्रदेशव्यापी स्तर पर धान घोटाला किया गया है। केवल रायपुर संभाग में 17,048 मैट्रिक टन, जबकि दुर्ग में 28,246 मैट्रिक टन धान कम पाया गया।
प्रदेश कांग्रेस का यह भी आरोप है कि उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा के गृह ज़िले कवर्धा के पंडरिया क्षेत्र में सिर्फ तीन संग्रहण केंद्रों में ही 3 करोड़ 36 लाख रुपये का धान नदारद मिला, जो कि राज्यव्यापी अनियमितता का प्रतीक है। पचरी, दवा गुड़ान, सरइसेत, बघर्रा जैसे केंद्रों में हजारों क्विंटल धान की गड़बड़ी प्रमाणित हो चुकी है।
वर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त भाजपाइयों को बचाने के लिए ना तो निष्पक्ष जांच करवा रही है और ना ही कोई कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की कथित किसान हितैषी छवि सिर्फ दिखावा है, जबकि असलियत में यह सरकार किसानों और सहकारी संस्थाओं के साथ विश्वासघात कर रही है।