रायपुर । जिला सहकारी बैंक रायपुर में हुए करोडो के घोटाले पर अब नाबार्ड ने रिपोर्ट माँगा है। राजधानी के बैंक में बैंककर्मियों ने करोड़ो का रुपये फर्जीवाड़ा किया, जिसकी जाँच अब नाबार्ड करेगा। नाबार्ड ने री- कैंसिलेशन करने बैंक प्रबंधन को लिखा है।
जिसके बाद बैंक प्रबंधन द्वारा आनन फानन में दर्जन भर से अधिक कर्मचारी लगाकर दस्तावेजों को अपडेट किया जा रहा है। विश्वश्त जानकारी अनुसार बैंक में साल 2010 के बाद से अब तक री-कैंसिलेशन नहीं हुआ है। बैंक प्रबंधन की मनमानी से करोडो का घोटाला होता रहा,और अपने चहेते ऑडिट फर्मों से ऑडिट रिपोर्ट लेकर खानापूर्ति करते रहे।
गबन की जानकारी नाबार्ड तक पहुंचने पर नाबार्ड ने बीते 14 सालो का री- कैंसिलेशन करने आदेशित किया है। जिसके बाद घोटालेबाजो की धड़कन बढ़ी हुई है।
उधर बैंक को करोड़ो चुना लगाने वाले कर्मियों के साथ ऑडिट फर्मों पर भी बैंक प्रबंधन मेहरबान है। जिन ऑडिट फर्मों ने करोड़ों के घोटाले को छिपाया। उन्हें नोटिस देकर खानापूर्ति की गई, जबकि घोटाले में ऑडिट फर्म भी शामिल है। बैंक प्रबंधन ने साल 2024-25 के लिए बैंक के सभी 75 शाखाओं में ऑडिट करने टेंडर जारी किया है।
सीईओ ने दुर्ग का फार्मूला राजधानी में भी अपनाया
अपेक्षा व्यास वर्तमान में जिला सहकारी बैंक रायपुर में बतौर सीईओ पदस्थ है। यहां के सीओडी शाखा में भी साढ़े पांच करोड़ से अधिक का गबन बैंक कर्मियों ने मिलकर किया है। बैंक को चूना लगाने वाले तीन कर्मियों पर सितंबर 2023 दर्ज किया हुआ था, घोटाले में शामिल बाकी अन्य कर्मियों को ना तो सस्पेंड किया गया है ,ना ही पुलिस में अपराध दर्ज कराया है। चर्चाओं के अनुसार व्यास द्वारा दुर्ग में अपनाए गए फार्मूले को राजधानी में उपयोग किया जा रहा है।
इस तरह दुर्ग बैंक को लगाया चूना और किया घोटाला
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक दुर्ग के तत्कालीन सीईओ अपेक्षा व्यास पर गड़बड़ी और आर्थिक अनियमित की शिकायत पंजीयन सहकारिता विभाग से की गई है। शिकायत में व्यास पर गंभीर आरोप लगाया गया है ,जिसके अनुसार जिला सहकारी बैंक दुर्ग में सीईओ रहते अपेक्षा व्यास ने जिला सहकारी बैंक दुर्ग में सीईओ रहते हुए नियमों का उल्लंघन कर थोक में कर्मचारियों को ट्रांसफर किया। विभिन्न बैंक शाखों में कार्यरत 470 कर्मियों में से 450 का तबादला 1 साल के भीतर किया गया था। जिसमें लेन नियम अनुसार 10 से 15 फ़ीसदी से ज्यादा कर्मियों का तबादला एक साथ नहीं होना चाहिए पर श्रीमती व्यास ने 94 फ़ीसदी कर्मियों का तबादला एक साथ कर दिया था।
दरअसल अपेक्षा व्यास लगातार दुर्ग जिले में 14 वर्षों से अधिक समय से पदस्थ रही इस दौरान उनका तबादला राजनाथ का हुआ पर 6 महीने के बाद दुर्गा वापसी हो गई।
2 लाख लेकर बनाया गया प्रभारी शाखा प्रबंधक
शिकायत कर्ता योगेंद्र दिल्लीबार और लक्ष्मी नारायण साहू ने शिकायत पंजीयन को भेजे शिकायत में कहा कि जिला सहकारी बैंक दुर्ग अंतर्गत बालोद बेमेतरा और दुर्गा के बैंक शाखों में पैसे लेकर कनिष्ठ सहायक लेखापाल और पर्यवेक्षकों से दो-दो लाख रूपए लेकर प्रभारी शाखा प्रबंधक बनाया गया है।
सोरम समिति के सदस्य लक्ष्मी नारायण साहू ने कहा कि बेमेतरा जिला अंतर्गत सेवा सहकारी समिति मारो और गुंजोरा के तत्कालीन समिति प्रबंधक और कर्मियों को नियमों के विपरीत बहाल किया गया। जिला सहकारी बैंक मारो और सहकारी समिति मारो में तत्कालीन समिति प्रबंधक श्याम सुंदर कश्यप और लिपिक राजा वर्मा ने 42 लाख 12 हजार 126 रुपए का गवन किया, तो गुंजोरा समिति में 44 लाख 47 लाख 580 रुपए का घोटाला किया गया।
जांच में तत्कालीन शाखा प्रबंधक अवध राम खडबंदे, लिपिक तरुण कुमार ,राजा वर्मा और समिति प्रबंधक श्याम सुंदर कश्यप को सस्पेंड किया गया था, पर किसी के खिलाफ भी अपराध दर्ज नहीं कराया गया और कथित तौर पर लेनदेन कर आरोपितों को बहाल कर दिया गया।
दोगूनी कीमतों पर होती थी तालपत्री की खरीदी
जिला सहकारी बैंक दुर्ग में सीईओ ने 100 करोड़ से अधिक का तालपत्री खरीदी में घोटाला किया ।अधिकारी ने राजनीतिक संरक्षण में दोगुनी कीमतों पर ताल पत्री की खरीदी की और दबाव पूर्वक भुगतान कराया।
सहकारिता विभाग तक पहुंची शिकायत चौंकाने वाली है। शिकायतकर्ता योगेंद्र दिल्लीवार और लेखू दास साहू के अनुसार सीईओ रहते व्यास ने जिला सहकारी बैंक दुर्ग के अंतर्गत आने वाले 311 सहकारी समितियां के धान खरीदी केंद्रों में दोगुनी कीमत में तालपत्री ,भूसा और सुतली की सप्लाई कराई।
भिलाई निवासी एक ठेकेदार को सभी सहकारी समितियां में सप्लाई का ठेका दिया गया था। जो वर्तमान में भी कांटा मशीन सहित अन्य सामानों की सप्लाई कर रहा है। सीईओ ने सभी शाखा प्रबंधकों से दबाव पूर्वक भुगतान कराया और जिन्होंने भुगतान करने से इनकार किया उन्हें हटाकर सहायक लेखपालों को प्रभारी शाखा प्रबंधक बनाकर भुगतान कराया गया था।
रेस्ट हाउस में होती थी बैठक
जिला सहकारी बैंक दुर्ग घोटाले की कलाई बैंक के कर्मचारी खोल रहे हैं। बैंकिंग अधिकारियों के अनुसार 14 साल की सर्विस में व्यास 11 साल तक जिला सहकारी बैंक दुर्ग में पदस्थ रही इस दौरान जमकर गड़बड़ियां हुई। साल 2019 से लेकर 2021 तक बैंक का ऋण संतुलन बिगड़ गया, तो दोगुनी कीमतों पर ताल पत्री खरीदी की शिकायत हुई।
बैंकिंग सूत्रों के अनुसार पाटन विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री के ओएसडी के साथ पाटन के रेस्ट हाउस में दुर्ग जिला अंतर्गत सभी शाखाओं के जिला सहकारी बैंकों के शाखा प्रबंधकों की बैठक लेकर उन्हें बिलिंग करने हिदायत दी गई थी। जिन्होंने इनकार किया तो वैसे शाखा प्रबंधकों को हटाकर लेखपाल को प्रभारी शाखा प्रबंधक बनाकर भुगतान कराया गया था। जांच रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ बेमेतरा जिले में ही 20 करोड़ से अधिक का घोटाला हुआ है जिसकी रिपोर्ट डीसीसीबी मुख्यालय में धूल खा रही है।