रायपुर । जांजगीर में हुई घटना के दौरान अपनी ड्यूटी करते-करते पैर में बुलेट (गोली) लगने से घायल गार्ड को 15 जनवरी की रात लगभग एक से डेढ़ बजे के बीच अम्बेडकर अस्पताल लाया गया। जहां उसी दिन अस्थि रोग विभाग के डॉक्टरों ने मरीज का इमरजेंसी ऑपरेशन कर बायीं जांघ के अंदर फंसे बुलेट को सफलतापूर्वक निकाला।
डॉक्टरों के मुताबिक बुलेट की चोट इतनी गहरी थी कि मरीज के जांघ की सबसे लम्बी हड्डी फीमर चकनाचूर हो गई थी। जांघ के सफल ऑपरेशन के बाद मरीज अभी अस्थि रोग विभाग में डॉक्टरों की देखरेख में भर्ती है।
घायल मरीज को जैसे ही अम्बेडकर अस्पताल लाने की सूचना मिली डीन डॉ. विवेक चौधरी और अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने अस्थि रोग विभाग के डॉक्टरों की टीम को अलर्ट कर दिया था जिससे समय रहते तुरंत ऑपरेशन हो सके।
घायल का उपचार करने वाली टीम के प्रमुख डॉ. राजेन्द्र अहिरे के अनुसार, 15 जनवरी की रात करीब एक से डेढ़ बजे के बीच मरीज सिम्स बिलासपुर से रेफर होकर अम्बेडकर अस्पताल पहुंचा। यहां इमरजेंसी में ड्यूटी कर रहे डॉक्टरों को पहले ही केस के आने की सूचना मिल चुकी थी। मरीज के आते ही उसे प्रारंभिक उपचार दिया और उसकी स्थिति को स्थिर (स्टेबल) किया।
इमरजेंसी में मरीज की सभी प्रकार की जांच कराई। सुबह होते-होते जांच की सभी रिपोर्ट आ गई थी। उसके बाद मरीज के ऑपरेशन की योजना बनाई गई। अस्थि रोग विभागाध्यक्ष डॉ. रविकांत दास के मार्गदर्शन में डॉ. राजेन्द्र अहिरे, डॉ. सौरभ जिंदल, डॉ. अजिन फिलिपोस, डॉ. मनोज पल्ली एवं एनेस्थीसिया के डॉ. ए. शशांक तथा डॉ. सर्वप्रिया की टीम ने करीब दो घंटे तक ऑपरेशन किया।
डॉ. अहिरे एवं डॉ. सौरभ जिंदल के अनुसार, बुलेट इंजरी होने से बायीं जांघ की फीमर हड्डी कई टुकड़ों में टूट गई थीं। सर्जरी करके बुलेट निकाला और साथ में हड्डी को प्लेट से फिक्स कर दिया गया। बुलेट फिमोरल आर्टरी के करीब था इसलिए बहुत ही सावधानीपूर्वक निकाला गया। उसके बाद हड्डी को फिक्स करने के लिए 10 होल का लम्बा लॉकिंग प्लेट लगाया गया।
ऑपरेशन चुनौतीपूर्ण इसलिए था कि बुलेट को निकालते – निकालते खून की नस के कटने का डर था, लेकिन डॉक्टरों की कुशल टीम की बदौलत नस को कोई नुकसान नहीं हुआ और ऑपरेशन भी सफल रहा।