पितृ पक्ष का चौथा दिन: जल तर्पण की संपूर्ण विधि, दिशा, मंत्र और नियम, पूर्वजों की शांति के लिए आज का दिन अत्यंत शुभ



11 सितंबर 2025, गुरुवार—आज पितृ पक्ष का चौथा दिन है। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष को पूर्वजों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। इस दौरान श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे कर्म किए जाते हैं। विशेष रूप से जल तर्पण को पितरों को प्रसन्न करने का श्रेष्ठ उपाय माना गया है। इस लेख में हम आपको जल तर्पण की विधि, दिशा, मंत्र, समय, वस्त्र, कुशा का प्रयोग और इससे जुड़ी अन्य धार्मिक मान्यताओं की विस्तृत जानकारी देंगे।


पितृ पक्ष 2025 की तिथियां और आज का महत्व

  • पितृ पक्ष की शुरुआत: 7 सितंबर 2025 (चंद्र ग्रहण के दिन)
  • समापन: 21 सितंबर 2025 (सूर्य ग्रहण के दिन)
  • आज: चौथा दिन, जो उन पितरों के लिए श्राद्ध हेतु उपयुक्त है जिनकी मृत्यु चतुर्थ तिथि को हुई थी। यदि किसी को अपने पूर्वज की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है, तो वे अमावस्या (21 सितंबर) को तर्पण कर सकते हैं।

जल तर्पण की विधि और सामग्री

  • स्थान: किसी पवित्र नदी, तालाब, या घर के आंगन में पूर्वजों का स्मरण करते हुए।
  • दिशा:
    • पितरों के लिए: दक्षिण दिशा
    • देवताओं के लिए: पूर्व दिशा
    • ऋषि-मुनियों के लिए: उत्तर दिशा
    • गुरु जनों के लिए: ईशान कोण (उत्तर-पूर्व)
  • हाथ की मुद्रा:
    • पितरों को जल अर्पण करते समय दाहिने हाथ के अंगूठे से जल छोड़ना चाहिए
    • देवताओं को जल अर्पण करते समय सभी दाहिने (Right) हाथ की उंगलियों का प्रयोग करें
    • ऋषियों के लिए सभी दाहिने (Right) हाथ की उंगलियों का प्रयोग करें
  • कुशा की अंगूठी:
    • दाहिने हाथ की अनामिका में धारण करें
  • सामग्री: तांबे का लोटा, कुशा, पुष्प, काले तिल, अक्षत (चावल), जल और दूध

जल तर्पण का समय

  • श्रेष्ठ समय: प्रातः 11:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक
  • वैकल्पिक समय: सूर्योदय से लेकर दोपहर तक
  • रात्रि में तर्पण वर्जित है

वस्त्र और आचरण

  • वस्त्र: शुद्ध, सफेद या हल्के रंग के वस्त्र पहनें। पुरुष धोती और अंगवस्त्र, महिलाएं साड़ी या सलवार-कुर्ता पहन सकती हैं।
  • आचरण: शांत चित्त, पवित्रता और श्रद्धा आवश्यक है। तर्पण से पहले स्नान करें।

क्या महिलाएं जल तर्पण कर सकती हैं?

  • हां, महिलाएं भी जल तर्पण कर सकती हैं यदि वे पवित्रता और श्रद्धा से इसे करें। विशेष रूप से विधवा महिलाएं या वे जिनके परिवार में पुरुष नहीं हैं, तर्पण कर सकती हैं।

मंत्र और उच्चारण

  • पितरों के लिए मंत्र:
    ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।
    ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।
  • उच्चारण की संख्या: 5, 7 या 11 बार अंजलि से जल अर्पित करते समय

क्या करना चाहिए और क्या नहीं

करना चाहिए:

  • पूर्वजों का स्मरण और नामोच्चारण
  • तर्पण के बाद भोजन का दान ब्राह्मण को देना
  • काले तिल, वस्त्र, अन्न का दान
  • संयमित आचरण और व्रत

नहीं करना चाहिए:

  • मांसाहार, मद्यपान, तामसिक भोजन
  • बाल कटवाना, नाखून काटना
  • विवाह, मांगलिक कार्य
  • अपवित्र वस्त्र पहनना

विशेष जानकारी

  • यदि किसी को पूर्वज की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है, तो वे अमावस्या (21 सितंबर) को तर्पण कर सकते हैं।
  • तर्पण करते समय दोनों हाथों से अंजलि बनाकर जल अर्पित करें।
  • तर्पण के बाद “पितृगण तृप्त हो” कहकर प्रार्थना करें।

डिस्क्लेमर:
यह लेख धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारी का उद्देश्य जनजागरूकता है। पाठकों से अनुरोध है कि किसी भी धार्मिक क्रिया को अपनाने से पहले योग्य पंडित या विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।
प्रस्तुतकर्ता: www.the4thpillar.live

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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