Friday, January 17, 2025
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WEF की रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक किसी हो जाएगी नौकरियों की दुनिया, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) की एक नई रिपोर्ट ने दुनियाभर में दहशत फैला दी है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 2030 तक नौकरियों की दुनिया में कैसे बदलाव आएंगे और कौन लोग अपनी नौकरी खो देंगे.

रिपोर्ट में बताया गया है कि टेक्नोलॉजी इतनी तेजी से बढ़ रही है कि वह इंसानों की नौकरियां छीन लेगी. रोबोट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) वो काम करने लगेंगे जो आज इंसान करते हैं. 2030 तक दुनिया भर में नौकरियों में बड़े पैमाने पर बदलाव आएंगे. कुछ नौकरियां तो बिल्कुल ही खत्म हो जाएंगी, जबकि कुछ नई नौकरियां पैदा होंगी. 2030 तक कुल मिलाकर 7.8 करोड़ नई नौकरियां पैदा होंगी. लेकिन, यह भी सच है कि 9.2 करोड़ पुरानी नौकरियां खत्म हो जाएंगी.

यह रिपोर्ट 1000 से ज्यादा बड़ी कंपनियों के विचारों पर आधारित है, जिनमें 55 देशों के 1.4 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं. यह रिपोर्ट बताती है कि आने वाले समय में नौकरियों की दुनिया कैसी होगी? नई तकनीक और बदलते हालात में किस तरह की नौकरियां खत्म हो जाएंगी और कौन-सी नौकरियां पैदा होंगी?

2025 में दुनियाभर में नौकरियों के बाजार में कई बदलाव हो रहे हैं. कोविड-19 महामारी, महंगाई, युद्ध, जलवायु परिवर्तन और आर्थिक मंदी ने नौकरियों की स्थिति को और भी अस्थिर कर दिया है. दुनिया की अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है, लेकिन 2025 में विकास दर सिर्फ 3.2% रहने का अनुमान है. अर्थव्यवस्था में सुधार और महंगाई कम होने से दुनिया भर में बेरोजगारी दर घटकर 4.9% हो गई है, जो 1991 के बाद सबसे कम है. लेकिन, यह खुशखबरी सभी के लिए नहीं है. मध्यम आय वाले देशों में तो बेरोजगारी कम हुई है, लेकिन कम आय वाले देशों में यह बढ़कर 5.3% हो गई है.

2020 में जब दुनिया भर में बेरोजगारी अपने चरम पर थी, तब पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए बेरोजगारी दर 6.6% थी. लेकिन 2025 में पुरुषों के लिए यह दर घटकर 4.8% हो गई है, जबकि महिलाओं के लिए यह अभी भी 5.2% है. अमीर देशों में यह अंतर 0.4% है, लेकिन यह अंतर एक दशक से भी ज्यादा समय से चला आ रहा है. कोविड के बाद भी इसमें कोई खास सुधार नहीं हुआ है.

दुनिया भर में 13% नौजवान बेरोजगार हैं. यह दर काफी चिंताजनक है. वो नौजवान जो न तो नौकरी कर रहे हैं, न पढ़ाई कर रहे हैं और न ही कोई प्रशिक्षण ले रहे हैं, ऐसे दुनिया भर में 21.7% नौजवान NEETs की श्रेणी में आते हैं.

अमीर देशों में NEETs की दर सिर्फ 10.1% है. मध्यम आय वाले अमीर देशों में यह दर 17.3% है, जबकि मध्यम आय वाले गरीब देशों में यह दर बढ़कर 25.9% हो जाती है. गरीब देशों में यह दर सबसे ज्यादा 27.6% है.

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया भर में 60% कंपनियां मानती हैं कि डिजिटल तकनीक से उनका काम पूरी तरह बदल जाएगा. इंटरनेट और कंप्यूटर का इस्तेमाल बढ़ने से नौकरियों में बड़े बदलाव आएंगे. यह बदलाव दुनिया के सभी हिस्सों में देखा जा रहा है. डिजिटल तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल से ही नई तकनीकें जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और रोबोटिक्स का इस्तेमाल बढ़ेगा.

सर्वे में दुनिया भर की कंपनियों से पूछा गया कि नई तकनीकें उनके काम को कैसे बदल रही हैं. सर्वे में 9 मुख्य तकनीकों को शामिल किया गया था. 58% कंपनियों का मानना है कि रोबोट और मशीनें उनके काम को बदल देंगे. 41% कंपनियों का मानना है कि ऊर्जा के क्षेत्र में नई तकनीक से उनके काम पर असर पड़ेगा. 86% कंपनियों का मानना है कि AI से उनके काम में सबसे ज्यादा बदलाव आएगा. AI एक ऐसी तकनीक है जिससे कंप्यूटर इंसानों की तरह सोच सकते हैं और सीख सकते हैं.

रिपोर्ट का अनुमान है कि 17 करोड़ नई नौकरियां पैदा होंगी, जो आज की कुल नौकरियों का 14% है. वहीं, 9.2 करोड़ पुरानी नौकरियां खत्म हो जाएंगी, जो आज की कुल नौकरियों का 8% है. इस तरह 2030 तक नौकरियों में कुल 7.8 करोड़ (7%) की बढ़ोतरी होगी. सर्वे के मुताबिक, 2030 तक ये नौकरियां सबसे ज्यादा मांग में होंगी: बिग डेटा स्पेशलिस्ट, फिनटेक इंजीनियर, मशीन लर्निंग स्पेशलिस्ट, सॉफ्टवेयर और एप्लिकेशन डेवलपर.

बिग डेटा स्पेशलिस्ट वे लोग हैं जो बड़ी मात्रा में डेटा का विश्लेषण करते हैं और उससे महत्वपूर्ण जानकारी निकालते हैं. फिनटेक इंजीनियर वे लोग हैं जो फाइनेंस और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके नए उत्पाद और सेवाएं बनाते हैं. मशीन लर्निंग स्पेशलिस्ट कंप्यूटर को इंसानों की तरह सोचने और सीखने के लिए प्रोग्राम करते हैं. सॉफ्टवेयर और एप्लिकेशन डेवलपर कंप्यूटर प्रोग्राम और मोबाइल एप बनाते हैं.

सिक्योरिटी मैनेजमेंट स्पशिलिस्ट की नौकरी सबसे तेजी से बढ़ने वाली नौकरियों में से एक है. सिक्योरिटी मैनेजमेंट स्पशिलिस्ट कंपनियों और संगठनों को साइबर हमलों, आतंकवाद और अन्य खतरों से बचाने में मदद करते हैं. इसके अलावा, इंफोरमेशन सिक्योरिटी एनालिसिस की नौकरी भी काफी मांग में है. ये कंप्यूटर सिस्टम और नेटवर्क को हैकर्स और अन्य साइबर खतरों से बचाने का काम करते हैं.

जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण के बढ़ते महत्व के कारण इस क्षेत्र से जुड़ी नौकरियों में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. ऑटोनॉमस और इलेक्ट्रिक व्हीकल स्पेशलिस्ट बिना ड्राइवर के चलने वाली गाड़ियां और इलेक्ट्रिक गाड़ियां बनाते और मरम्मत करते हैं. एनवायरमेंट इंजीनियर पर्यावरण को साफ रखने और प्रदूषण कम करने के लिए काम करते हैं. रिन्यूअल एनर्जी इंजीनियर वे लोग हैं जो सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल करके बिजली बनाने के तरीके ढूंढते हैं.

सर्वे में बताया गया है कि 2030 तक दुनिया भर में ऐसी नौकरियां खत्म हो जाएंगी, जिनमें ज्यादा तकनीकी ज्ञान की जरूरत नहीं होती. ऑनलाइन पेमेंट और टिकट बुकिंग के बढ़ते इस्तेमाल की वदह से कैशियर और टिकट क्लर्क की नौकरियों की जरूरत कम हो रही है. AI और ऑटोमेशन के कारण एडमिनिस्ट्रेटिव असिस्टेंट और एक्जीक्यूटिव सेक्रेटरी की नौकरियों का काम भी मशीनें करने लगेंगी. डिजिटल मीडिया के बढ़ते उपयोग से प्रिंटिंग वर्कर का काम कम हो रहा है. अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर और AI के कारण अकाउंटेंट और ऑडिटर नौकरियों की भी मांग कम हो रही है.

नौकरियां क्यों हो रही हैं खत्म? इसकी वजह ये है कि इंटरनेट और कंप्यूटर का इस्तेमाल बढ़ने से इन नौकरियों की जरूरत कम हो रही है. AI से कंप्यूटर वो काम करने लगेंगे जो आज इंसान करते हैं. रोबोट भी इन नौकरियों को करने लगेंगे. दुनिया भर में लोगों की उम्र बढ़ रही है, जिससे काम करने वालों की संख्या कम हो रही है. आर्थिक मंदी के कारण भी नौकरियां कम हो रही हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 तक खेती के क्षेत्र में 3.5 करोड़ नई नौकरियां पैदा होंगी. क्योंकि जलवायु परिवर्तन से निपटने और पर्यावरण को बचाने के लिए खेती में नए तरीके अपनाए जा रहे हैं, जिससे नौकरियों की मांग बढ़ रही है. खेती में भी डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल बढ़ रहा है, इससे नए तरह के काम पैदा हो रहे हैं. खाने-पीने की चीजों की बढ़ती कीमतों के कारण भी खेती को बढ़ावा मिल रहा है. आज दुनिया भर में 20 करोड़ से ज्यादा लोग खेती से जुड़े काम करते हैं. आने वाले समय में यह संख्या और भी बढ़ेगी.

2030 तक इन नौकरियों में भी होगी बढ़ोतरी:

  • डिलीवरी ड्राइवर: ऑनलाइन खरीदारी बढ़ने से डिलीवरी ड्राइवरों की मांग बढ़ रही है
  • बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन वर्कर: शहरों का विकास होने और नए घर बनने से भवन निर्माण कर्मचारियों की जरूरत बढ़ रही है
  • सेल्समैन: नए उत्पाद और सेवाएं बाजार में आने से सेल्समैन की मांग बढ़ रही है
  • फूड प्रोसिसिंग वर्कर्स: पैकेज्ड फूड की बढ़ती मांग से खाद्य प्रसंस्करण कर्मचारियों की जरूरत बढ़ रही है.
  • यूनिवर्सिटी और कॉलेज के प्रोफेसर: ज्यादा से ज्यादा लोग उच्च शिक्षा हासिल कर रहे हैं, जिससे यूनिवर्सिटी और कॉलेज के प्रोफेसरों की मांग बढ़ रही है.
  • स्कूल टीचर: बच्चों की बढ़ती संख्या और शिक्षा के बढ़ते महत्व के कारण स्कूल टीचर्स की भी मांग बढ़ रही है.

नई तकनीक नौकरियों में सबसे ज्यादा बदलाव ला रही है. रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल से 1.9 करोड़ नई नौकरियां पैदा होंगी. लेकिन, 90 लाख पुरानी नौकरियां भी खत्म कर देगी. AI से 1.1 करोड़ नई नौकरियां पैदा होंगी. लेकिन, यह 90 लाख पुरानी नौकरियां भी खत्म कर देगी. रोबोट और ऑटोमेशन से 50 लाख नौकरियां खत्म हो जाएंगी.

कुछ नौकरियां ऐसी हैं जो सिर्फ तकनीक की वजह से नहीं, बल्कि कई अन्य कारणों से भी बढ़ रही हैं. ऑनलाइन खरीदारी बढ़ने और लोगों की व्यस्त जिंदगी के कारण डिलीवरी ड्राइवरों की मांग बढ़ रही है. साथ ही, नई तकनीक जैसे GPS और डिलीवरी ऐप भी इस नौकरी को आसान बना रहे हैं. बुज़ुर्गों की बढ़ती संख्या और स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती मांग से नर्सों की जरूरत बढ़ रही है.

कुछ ऐसी नौकरियां हैं जिनके बारे में पहले कभी नहीं सोचा गया था कि वो खत्म हो सकती हैं, लेकिन अब AI के कारण वे भी खतरे में हैं. AI अब इतना तरक्की कर गया है कि वह ग्राफिक डिजाइन और कानूनी काम भी कर सकता है. इसलिए, इन नौकरियों की मांग कम हो रही है. 2023 की रिपोर्ट में ग्राफिक डिजाइनर की नौकरी को बढ़ने वाली नौकरी माना गया था और कानूनी सचिव का तो जिक्र ही नहीं था. लेकिन, अब AI के कारण इन नौकरियों का भविष्य खतरे में है.

आजकल मशीनें और कंप्यूटर इतने तेज हो गए हैं कि वे इंसानों की तरह काम कर सकते हैं. इसी रिपोर्ट में बताया गया है कि आज 47% काम इंसान करते हैं, 22% काम मशीनें करती हैं और 30% काम इंसान और मशीनें मिलकर करते हैं. 2030 तक यह अनुमान है कि इंसान, मशीनें और दोनों मिलकर लगभग बराबर-बराबर काम करेंगे. आज इंसान जितना काम करते हैं, 2030 तक उसमें 15% की कमी आ जाएगी.

2030 तक मशीनें इंसानों से ज्यादा काम करने लगेंगी. लेकिन, इसका यह मतलब नहीं है कि इंसानों के लिए काम नहीं बचेगा. 2030 तक काम की कुल मात्रा भी बढ़ जाएगी. इसका मतलब है कि इंसानों और मशीनों, दोनों के लिए काफी काम होगा. नई तकनीक से इंसान और मशीनें दोनों ही ज्यादा काम कर पाएंगे और ज्यादा तरक्की कर पाएंगे.

अगर कंपनियां ज्यादातर पैसा मशीनों और कंप्यूटर प्रोग्राम से ही कमाएंगी, तो इंसानों को नौकरी और पैसा कैसे मिलेगा?  इस समस्या का हल है इंसान और मशीन का सहयोग. रिपोर्ट में कहा गया है कि हमें ऐसी तकनीक बनानी होगी जो इंसानों का साथ दे, न कि उनकी जगह ले. हमें नए कौशल सीखने होंगे ताकि हम मशीनों के साथ मिलकर काम कर सकें. इसके लिए हमें अपनी पढ़ाई और प्रशिक्षण पर ध्यान देना होगा. आज हम जो फैसले लेंगे, वही तय करेंगे कि भविष्य में इंसानों और मशीनों के बीच कैसा संबंध होगा. हमें ऐसे फैसले लेने होंगे जिससे इंसानों और मशीनों, दोनों को फायदा हो.

बीमा और पेंशन उद्योग में 95% से ज्यादा काम मशीनें करने लगेंगी. टेलीकॉम में भी 95% से ज्यादा काम मशीनें करने लगेंगी. मेडिकल और हेल्थ सेक्टर में में आधे से ज्यादा काम इंसान और मशीनें मिलकर करेंगे. गवर्मेंट और पब्लिक सेक्टर में भी आधे से ज्यादा काम इंसान और मशीनें मिलकर करेंगे. तेल, गैस, कैमिकल, फाइनेंशियल सर्विस, कैपिटल मार्केट और इलेक्ट्रॉनिक्स में ऑटोमेशन इतना ज्यादा होगा कि इंसानों का काम बहुत कम रह जाएगा.

 

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