देश में जातिगत जनगणना मोदी सरकार का ऐतिहासिक निर्णय है:सीएम साय

रायपुर । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आगामी जनगणना में जातियों की गणना को भी सम्मिलित करने का निर्णय लिया है। इस पर सीएम विष्णुदेव साय ने कहा, इस निर्णय की जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है। सामाजिक सद्भाव और देश के सर्वांगीण विकास की दृष्टि से यह निर्णय अभिनंदनीय है।

कांग्रेस पर साधा निशाना

सीएम साय ने कहा, कांग्रेस पार्टी आजादी के बाद से ही हमेशा जातिगत जनगणना का विरोध करती आई है। आजादी के बाद की किसी भी जनगणना में कांग्रेस ने जातियों की गणना नहीं की। यहां तक कि वर्ष 2010 में तत्कालीन कांग्रेसनीत यूपीए सरकार में अधिकांश राजनीतिक दलों में जाति जनगणना पर सहमति थी, लेकिन कांग्रेस ने तब भी इसे होने नहीं दिया था। अब भी वह जातियों को आपस में लड़ाकर केवल अपना राजनीतिक हित साधना चाह रही थी।

सीएम विष्णुदेव साय ने कहा, जनगणना केंद्र का विषय है, लेकिन कई राज्यों ने सर्वे के माध्यम से जातियों की जनगणना की है। अनेक राज्यों में यह बिल्कुल राजनीतिक ढंग से किया गया है। ऐसे सर्वें से समाज के सद्भाव को नुकसान पहुंचा है। ऐसी परिस्थितियों में सामाजिक ताना-बाना को मजबूत करने जनगणना के माध्यम से जातियों की गणना को भी सम्मिलित करना ऐतिहासिक निर्णय है। छत्तीसगढ़वासी इस महत्वपूर्ण निर्णय का स्वागत करते हैं। 3 करोड़ प्रदेशवासियों की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सहृदय आभार व्यक्त करते हैं।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस बात की दी थी जानकारी

गौरतलब है कि, केंद्र सरकार ने देश में आगामी जनगणना के साथ जातीय जनगणना कराने का निर्णय लिया है। इस बात की जानकारी केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स (CCPA) की बैठक में यह अहम फैसला लिया गया।

वैष्णव ने कहा कि देश में 1947 के बाद से जातीय जनगणना नहीं हुई, जबकि कांग्रेस सरकारों ने केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से जाति सर्वेक्षण कराए। उन्होंने कहा, “जातीय जनगणना को मूल जनगणना में सम्मिलित किया जाना चाहिए। यह समाज की संरचना को समझने और नीतियों के निर्माण में सहायक होगा।”

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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