गोवर्धन पर्वत और नंदी महाराज की स्थापना से गूंजा नेऊरडीह, जनपद अध्यक्ष शकुंतला सेन ने कहा-धार्मिक आयोजन हमारी संस्कृति की आत्मा हैं
ग्राम पंचायत नेऊरडीह में नंदी महाराज और गोवर्धन पर्वत की भव्य स्थापना, जनपद अध्यक्ष शकुंतला सेन ने की पूजा-अर्चना

रायपुर/धरसीवां । ज़िला रायपुर के धरसीवां ब्लॉक की ग्राम पंचायत नेऊरडीह में आज एक अत्यंत धार्मिक और ऐतिहासिक आयोजन संपन्न हुआ। इस पावन अवसर पर, गौमाता के प्रिय नंदी महाराज और भगवान कृष्ण से जुड़े पूजनीय गोवर्धन पर्वत की विधिवत स्थापना की गई। इस भव्य समारोह ने पूरे गाँव और आसपास के क्षेत्रों में आस्था और भक्ति की एक नई लहर का संचार किया।

इस पुनीत कार्य को संपन्न कराने के लिए, क्षेत्र की प्रतिष्ठित हस्ती और जनपद अध्यक्ष शकुंतला ढिलेंद्र सेन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। उन्होंने समारोह में पहुंचकर, पूर्ण विधि-विधान और पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार पूजा-अर्चना की और नंदी महाराज व गोवर्धन पर्वत की स्थापना का उद्घाटन किया। उनकी उपस्थिति ने आयोजन की गरिमा को और बढ़ा दिया।

जनपद अध्यक्ष शकुंतला ढिलेंद्र सेन ने इस अवसर को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए, ईश्वर के प्रति समर्पण और धार्मिक मूल्यों के संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह के धार्मिक आयोजन हमारी संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखते हैं। नंदी महाराज और गोवर्धन पर्वत की स्थापना न केवल इस ग्राम पंचायत के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए शुभ और प्रेरणादायक है। यह हमें प्रकृति और ईश्वर के प्रति अपने कर्तव्यों का स्मरण कराता है। हमें धर्म के मार्ग पर चलते हुए, समाज और राष्ट्र के कल्याण के लिए कार्य करते रहना चाहिए।

ग्राम पंचायत नेऊरडीह की सरपंच पार्वती बंजारे ने इस अवसर पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह स्थापना समारोह गाँव में सामुदायिक सद्भाव और धार्मिक चेतना को बढ़ावा देने वाला सिद्ध होगा। उन्होंने नंदी महाराज और गोवर्धन पर्वत की स्थापना को धर्म और आस्था का प्रतीक बताया।
स्थानीय ग्रामीणों ने इस आयोजन में अभूतपूर्व उत्साह के साथ भाग लिया। सभी ने श्रद्धापूर्वक नंदी महाराज और गोवर्धन पर्वत के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित किया।

स्थापना समारोह के दौरान, पूरे वातावरण को भक्तिमय बनाने के लिए भजन-कीर्तन, प्रसाद वितरण और धार्मिक कथाओं का भी आयोजन किया गया। इन आयोजनों ने भक्तों को आध्यात्मिकता से जोड़कर एक दिव्य अनुभव प्रदान किया। नेऊरडीह की यह पहल क्षेत्र में धार्मिक आयोजनों और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हुई है, जो आने वाले समय में भी गाँववासियों को प्रेरणा देती रहेगी।



