रायपुर । उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ के मुख्य न्यायाधीश एवं न्यायिक अकादमी के मुख्य संरक्षक न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा के नेतृत्व में, छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी, बिलासपुर द्वारा आज नव नियुक्त सिविल न्यायाधीश (कनिष्ठ श्रेणी) के लिए प्रथम चरण के इंडक्शन ट्रेनिंग कार्यक्रम (3 माह) का शुभारंभ किया गया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 30 जून, 2025 से 27 सितम्बर, 2025 तक आयोजित किया जाएगा। उक्त कार्यक्रम में न्यायमूर्ति रजनी दुबे, न्यायाधीश, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी की गरिमामयी उपस्थिति रही।
मुख्य न्यायाधीश ने अपने प्रभावशाली संबोधन में नव नियुक्त न्यायिक अधिकारियों को न्यायिक सेवा में चयनित होने पर बधाई दी एवं ध्यान आकर्षित किया कि, “न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति केवल एक नौकरी नहीं है, बल्कि यह एक पवित्र उत्तरदायित्व है।” विधि के शासन को बनाए रखने एवं सामान्य नागरिक को न्याय सुनिश्चित करने के लिए उन्हें यह पवित्र उत्तरदायित्व सौंपा गया है। उन्होंने सतत् अध्ययन, न्यायिक आचार संहिता एवं विनम्रता के महत्व को रेखांकित किया, एवं नव नियुक्त न्यायिक अधिकारियों को प्रशिक्षण के प्रति समर्पण एवं ईमानदारी से जुड़ने हेतु प्रेरित किया, क्योंकि इस प्रशिक्षण अवधि के दौरान रखी गई नींव उनके भविष्य के न्यायिक आचरण एवं क्षमता को आकार देगी।
मुख्य न्यायाधीश ने समय की पाबंदी, तैयारी और धैर्य को एक अच्छे न्यायाधीश की पहचान बताया, साथ ही स्मरण कराया कि “विलंबित न्याय, अन्याय के समान है और कभी-कभी, जल्दबाज़ी में किया गया न्याय भी अन्याय ही होता है।” इसलिए गति और न्याय के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। अब आप न्याय के संरक्षक हैं, उस स्तर पर जहाँ सामान्य नागरिक न्याय प्रणाली से पहली बार जुड़ता है। यहीं, निचली अदालतों में, न्याय की सच्ची छवि जनता के मन में बनती है।” उन्होंने आशा व्यक्त की कि न्यायिक सेवा की यह यात्रा निरंतर अध्ययन, निर्भीक स्वतंत्रता और न्याय के प्रति अटूट समर्पण से परिपूर्ण होगी।
कार्यक्रम में उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ के रजिस्ट्रार जनरल, रजिस्ट्री एवं न्यायिक अकादमी के अधिकारीगण की भी उपस्थिति रही।