SCO में भारत ने अजरबैजान की सदस्यता रोकी, पाकिस्तान ने आर्मेनिया से बढ़ाए रिश्ते: बदलते कूटनीतिक समीकरणों पर भारत की चुप्पी
भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में अजरबैजान की पूर्ण सदस्यता का विरोध किया, जिसे पाकिस्तान का करीबी सहयोगी माना जाता है। वहीं पाकिस्तान ने आर्मेनिया से राजनयिक संबंध स्थापित कर क्षेत्रीय समीकरणों को नया मोड़ दिया है।

रायपुर, 2 सितंबर 2025: शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के मंच पर भारत और अजरबैजान के बीच कूटनीतिक खींचतान तेज हो गई है।
चीन के तियानजिन शहर में आयोजित 25वें SCO शिखर सम्मेलन में अजरबैजान ने पूर्ण सदस्यता के लिए आवेदन किया था, जिसे भारत ने रोक दिया। इस घटनाक्रम ने क्षेत्रीय राजनीति में हलचल पैदा कर दी है।
अजरबैजान ने भारत पर आरोप लगाया है कि उसने पाकिस्तान से उसकी नजदीकी के चलते SCO में उसकी सदस्यता का विरोध किया।
अजरबैजानी मीडिया न्यूज़.एजेड की रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने अजरबैजान के आवेदन का समर्थन किया, लेकिन भारत ने इसे शंघाई भावना के खिलाफ बताते हुए अस्वीकार कर दिया। भारत की ओर से इस आरोप पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
अजरबैजान-पाकिस्तान की नजदीकी और भारत विरोधी रुख
अजरबैजान लंबे समय से पाकिस्तान का रणनीतिक सहयोगी रहा है। दोनों देशों ने सैन्य अभ्यास, हथियारों की आपूर्ति और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक-दूसरे का समर्थन किया है।
अजरबैजान ने भारत के खिलाफ पाकिस्तान के सैन्य अभियानों की खुलकर सराहना की है और कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का पक्ष लिया है। यही कारण है कि भारत ने SCO में अजरबैजान की सदस्यता पर आपत्ति जताई, जिसे कई विशेषज्ञ भारत का कूटनीतिक मास्टरस्ट्रोक मान रहे हैं।
पाकिस्तान की नई पहल: आर्मेनिया से राजनयिक संबंध
इस बीच पाकिस्तान ने एक बड़ा कूटनीतिक कदम उठाते हुए आर्मेनिया से राजनयिक संबंध स्थापित करने की घोषणा की है।
तियानजिन में SCO सम्मेलन के दौरान पाकिस्तानी विदेश मंत्री मुहम्मद इशाक डार और आर्मेनिया के विदेश मंत्री अरारत मिर्जोयान ने औपचारिक रूप से इस संबंध की शुरुआत की। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब अमेरिका की मध्यस्थता में अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच शांति समझौता हुआ है।
पाकिस्तान ने दशकों तक आर्मेनिया को एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता नहीं दी थी, क्योंकि वह अजरबैजान के समर्थन में खड़ा रहा था।
लेकिन अब बदलते क्षेत्रीय समीकरणों के तहत पाकिस्तान ने आर्मेनिया से संबंध सुधारने की कोशिश की है। अजरबैजानी मीडिया का दावा है कि यह पहल उनके देश के साथ गुप्त बातचीत के बाद ही संभव हुई।
भारत के लिए क्या है रणनीतिक संदेश?
भारत ने हाल के वर्षों में आर्मेनिया को सैन्य सहायता दी है और कश्मीर मुद्दे पर उसका समर्थन हासिल किया है। पाकिस्तान और आर्मेनिया के बीच संबंधों की स्थापना से भारत की रणनीति पर असर पड़ सकता है।
हालांकि, आर्मेनियाई सूत्रों का कहना है कि इस नए संबंध का भारत-आर्मेनिया रिश्तों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत ने SCO मंच पर अजरबैजान की सदस्यता रोककर यह स्पष्ट संदेश दिया है कि वह पाकिस्तान समर्थक देशों को क्षेत्रीय संगठनों में सहज प्रवेश नहीं देने वाला।
वहीं पाकिस्तान की आर्मेनिया से बढ़ती नजदीकी दक्षिण काकेशस में शक्ति संतुलन को बदल सकती है।
निष्कर्ष
SCO मंच पर भारत, अजरबैजान और पाकिस्तान के बीच उभरती कूटनीतिक खींचतान ने क्षेत्रीय राजनीति को नया मोड़ दिया है।
भारत की चुप्पी और पाकिस्तान की सक्रियता इस बात की ओर इशारा करती है कि आने वाले समय में दक्षिण एशिया और काकेशस क्षेत्र में नए गठजोड़ और समीकरण देखने को मिल सकते हैं।