पैगंबर मुहम्मद के जन्मदिन पर देश में शांति, करुणा और भाईचारे का संदेश: पीएम मोदी
मिलाद-उन-नबी के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी शुभकामनाएं, कहा- यह पवित्र दिन समाज में खुशहाली लाए. देशभर में विशेष नमाज, जुलूस और धार्मिक सभाओं का आयोजन.

उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट के माध्यम से शांति, करुणा और सेवा के मूल्यों को अपनाने का संदेश दिया. यह दिन इस्लाम के संस्थापक पैगंबर मुहम्मद के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जिसे भारत सहित दुनिया के कई देशों में बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है.
पीएम मोदी का संदेश
अपने संदेश में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, यह पवित्र दिन हमारे समाज में शांति और खुशहाली लाए. करुणा, सेवा और न्याय के मूल्य सदैव हमारा मार्गदर्शन करें. ईद मुबारक. यह संदेश देश में धार्मिक सद्भाव और भाईचारे की भावना को मजबूत करता है.
Best wishes on the occasion of Milad-un-Nabi.
May this sacred day bring with it peace and well-being in our society. May the values of compassion, service and justice always guide us.
Eid Mubarak!
— Narendra Modi (@narendramodi) September 5, 2025
क्या है मिलाद-उन-नबी
मिलाद-उन-नबी का शाब्दिक अर्थ है पैगंबर का जन्म. इसे मौलिद या बारावफात के नाम से भी जाना जाता है. यह त्योहार इस्लामी कैलेंडर के तीसरे महीने रबी-अल-अव्वल की 12 तारीख को मनाया जाता है, जबकि शिया मुस्लिम इसे 17 रबी-अल-अव्वल को मनाते हैं.
यह दिन पैगंबर मुहम्मद के जीवन, उनके आदर्शों और मानवता के लिए दिए गए संदेशों को याद करने का अवसर है.
पैगंबर मुहम्मद: जीवन और शिक्षाएं
पैगंबर मुहम्मद का जन्म लगभग 570 ईस्वी में मक्का शहर में हुआ था. उनके पिता अब्दुल्ला का निधन उनके जन्म से पहले ही हो गया था और माता अमीना का निधन तब हुआ, जब वह छह वर्ष के थे.
उनका पालन-पोषण उनके दादा अब्दुल मुत्तलिब और चाचा अबू तालिब ने किया. 40 वर्ष की आयु में उन्हें मक्का के पास हीरा गुफा में ध्यान करते समय अल्लाह का पहला संदेश फरिश्ता जिब्रील अलैहिस्सलाम के माध्यम से मिला, जिसे बाद में कुरान के रूप में संकलित किया गया.
पैगंबर ने अपने जीवन में एकेश्वरवाद (तौहीद), भाईचारे, समानता और करुणा का संदेश दिया. उन्होंने महिलाओं के अधिकारों, गरीबों की सहायता और सामाजिक न्याय पर विशेष जोर दिया. उनकी शिक्षाएं आज भी दुनिया भर के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं.
भारत और अन्य देशों में उत्सव
भारत में मिलाद-उन-नबी के अवसर पर देशभर में विशेष नमाज और जुलूसों का आयोजन किया जाता है. लोग घरों में मिठाइयां बनाते हैं और गरीबों में बांटते हैं. दरगाहों और मस्जिदों को सजाया जाता है.
धार्मिक सभाओं में पैगंबर के जीवन और उनके उपदेशों पर चर्चा की जाती है. मलेशिया, श्रीलंका और इंडोनेशिया जैसे देशों में भी यह त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है. हालांकि, सऊदी अरब और कतर जैसे कुछ देशों में वहाबी और सलाफी विचारधारा के कारण जन्मदिन जैसे आयोजनों को उचित नहीं माना जाता, इसलिए वहां यह त्योहार सार्वजनिक रूप से नहीं मनाया जाता.
बारावफात का महत्व
मिलाद-उन-नबी को बारावफात भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है बारहवां दिन और इंतकाल. मान्यता है कि पैगंबर मुहम्मद इसी महीने की 12 तारीख को बीमार हुए थे और उनका इंतकाल भी इसी दिन हुआ था.
इसलिए यह दिन खुशी के साथ-साथ शोक का भी प्रतीक है. यह पर्व न केवल पैगंबर के जन्मदिन का उत्सव है, बल्कि यह उनकी सरल जीवनशैली, मानवता के प्रति उनके प्रेम और उनके सार्वभौमिक संदेशों को याद करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है. यह हमें इंसानियत और समानता के मूल्यों को अपनाने की शिक्षा देता है.