सड़कों पर गौवध का मंजर, गौठानों की तालाबंदी से गायों की जान पर बन आई : सुशील आनंद शुक्ला

बिलासपुर में 25 गायों की मौत से मची हलचल, कांग्रेस ने उठाए सवाल—‘कागजी गौ-अभ्यारण और शुतुरमुर्गी शासन से मौतों की जिम्मेदारी कौन लेगा?

रायपुर। छत्तीसगढ़ में सड़कों पर दुर्घटनाग्रस्त होकर गायों की लगातार हो रही मौतों ने सरकार की गौ संरक्षण नीति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि गाय केवल राजनीति का साधन बन गई है, संरक्षण का कोई ठोस तंत्र मौजूद नहीं है।

उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले डेढ़ साल में गौठानों को बंद करने और गौ अभ्यारण जैसी योजनाओं को केवल कागजों तक सीमित रखने से प्रदेश में गौवंशी पशुओं की संख्या में तेज गिरावट आई है। उनके मुताबिक, बिना वैकल्पिक व्यवस्था के गौठानों में ताले लगाने से रोजाना दर्जनों गायें खुले में घूम रही हैं और दुर्घटना का शिकार होकर बेमौत मारी जा रही हैं। किसान भी खुली चराई से त्रस्त हैं और आम राहगीर भी इन हादसों की चपेट में आ रहे हैं।

हालिया घटनाएँ:

  • बिलासपुर में हाल ही में 25 गायों की हाईवे पर कुचल कर मौत हो गई।
  • इससे पहले 13 जुलाई को रतनपुर-पेंड्रा मार्ग पर 14 गायें एक साथ मारी गईं।
  • राजधानी के पास किरना में 18 गौवंशी पशुओं को ठोकर मार कर मौत के घाट उतार दिया गया।

सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने सरकार को बार-बार निर्देशित किया है कि मवेशियों को सड़कों से हटाया जाए, लेकिन सरकार की कार्रवाई केवल ‘कागजी औपचारिकता’ बनकर रह गई है। उन्होंने भाजपा की गौ संरक्षण नीति को ‘दिशाहीन और दुर्भावनापूर्ण’ बताया, साथ ही दावा किया कि कांग्रेस सरकार द्वारा स्थापित लगभग 10,000 गौठानों में 8,000 आत्मनिर्भर बन चुके थे, पर भाजपा सरकार संचालन में पूरी तरह विफल रही है।

कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने आरोप लगाया कि गौ अभ्यारण योजना भाजपा-शासित राज्यों में पहले ही असफल साबित हो चुकी है, और छत्तीसगढ़ में भी इसे ‘कमीशन आधारित दिखावा’ तक सीमित किया जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने शीघ्र ठोस कदम नहीं उठाए, तो कांग्रेस पार्टी गौरक्षा को लेकर प्रदेशव्यापी आंदोलन करेगी।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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