बेलगावी में कांग्रेस पार्टी की कार्यसमिति की बैठक,पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बेलगावी रवाना

रायपुर । पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश रायपुर से बेलगावी (कर्नाटक) के लिए देर रात्रि रवाना हुए। और मध्य रात्रि बेलगावी पहुंच गए ।

बेलगावी वही जगह है, जहां 100 वर्ष पहले पूज्य बापू महात्मा गांधी जी कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे। बेलगावी में 26 दिसंबर को विस्तारित CWC की विशेष बैठक होगी। जिसका नाम ‘नव सत्याग्रह’ रखा गया है. क्योंकि 100 साल पहले गांधी जी ने सत्याग्रह का ऐलान बेलगावी से ही किया था। अब उसी जगह से कांग्रेस ‘नव सत्याग्रह का संकल्प’ लेकर आगे बढ़ेगी।

वहीं 27 दिसंबर को यहाँ एक विशाल ‘जय बापू-जय भीम-जय संविधान’ रैली आयोजित होगी।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने इंस्टाग्राम पर पोस्ट करते हुआ लिखा है कि मुझे यह सोचते हुए आँखों के आगे वह चित्र बन रहा है जब 26 दिसंबर 1924 को इसी बेलगावी (कर्नाटक) में कांग्रेस के 39वें अधिवेशन के अवसर पर सर्वसम्मति से गांधी जी को पहली बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया होगा। यह अधिवेशन आज़ादी की लड़ाई में मील का पत्थर साबित हुआ।

इस अधिवेशन में देश के कोने-कोने से हजारों लोग आए। अधिवेशन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को कांग्रेस की कमान मिली और बतौर अध्यक्ष गांधी जी ने जो संदेश दिए, उनका आजादी की लड़ाई में जोरदार असर देखा गया।

साल 2024, उसी ऐतिहासिक अधिवेशन का शताब्दी वर्ष है। 100 साल की इस यात्रा में देश ने कई उतार-चढ़ाव देखे। इन तमाम उतार-चढ़ावों के दौरान गांधी जी के वही संदेश आज के भारत के लिए भी बेहद जरूरी और प्रासंगिक बने हुए हैं।

आखिर इस सम्मेलन में गांधी जी ने क्या कहा था?

  • महात्मा गांधी जी ने सभी देशवासियों से अपने आपसी मतभेदों को भुला, एकजुट होकर अत्याचारी ब्रिटिश हूकुमत के खिलाफ लड़ाई लड़ने का आह्वान किया था। खिलाफत आंदोलन के बाद हिंदुओं और मुसलमानों के बीच उपजी खाई को पाटकर पूरे देश को एकता के सूत्र में पिरोया।
  • स्वराज के संकल्प पर बात करते हुए गांधी जी ने कहा कि जब तक हम जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के आधार पर एक-दूसरे के साथ भेदभाव करेंगे, उन्हें अछूत मानते रहेंगे, तब तक स्वराज का संकल्प अधूरा ही रहेगा।
  • गांधी जी ने कहा कि जब तक देश के शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं जैसे जागरूक लोगों की राजनीति में भागीदारी नहीं होगी, तब तक देश में परिवर्तन का संकल्प मुश्किल होगा।
  • गांधी जी ने स्वतंत्रता सेनानियों को बताया कि अंग्रेजों की तानाशाही के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार अहिंसा और विनम्रतापूर्वक अवज्ञा है। अगर हम अंग्रेजों का कहा नहीं करेंगे तो उनकी व्यवस्था खुद ही ध्वस्त हो जाएगी। इसी के कुछ साल बाद 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई।

अब 100 साल बाद यानी 2024 की बात करते हैं। ये एक ऐसा दौर है जब BJP बाबा साहेब के संविधान की धज्जियां उड़ाकर, देश के नायकों का अपमान कर, जाति-धर्म के आधार पर नफरत भड़काकर देश की एकता को खंडित करना चाहती है। नफरत और हिंसा के इस दौर में भी कांग्रेस पार्टी गांधी के दिखाए मार्ग पर चलकर उनके दिए संस्कारों, सीखों और मूल्यों को मजबूती से आत्मसात करने को तत्पर है।

कांग्रेस पार्टी की विस्तारित कार्यसमिति की बैठक उसी बेलगावी में 26 दिसंबर को होने जा रही है, जहां से गांधी जी ने भारत को सद्भाव, एकता, प्रेम और तानाशाह ताकतों के प्रति अवज्ञा का मूल्य सिखाया था।

कांग्रेस पार्टी और उसके करोड़ों कार्यकर्ता आज सत्य, अहिंसा और प्रेम के गांधीवादी आदर्शों को पुनर्जीवित करने के लिए पूरी निष्ठा से तत्पर हैं।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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