छत्तीसगढ़ विधानसभा में जल जीवन मिशन पर गरमाया माहौल, अधूरे कार्यों के बावजूद ठेकेदारों को भुगतान का आरोप
विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार, फर्जी दस्तावेजों से टेंडर प्राप्त करने और अधूरे कार्यों के बावजूद भुगतान जैसे गंभीर आरोपों पर विपक्ष ने सरकार को घेरा। मंत्री अरुण साव ने 6 ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट करने और एक पर एफआईआर दर्ज होने की जानकारी दी।

रायपुर, 16 दिसंबर 2025: छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन सदन में जल जीवन मिशन को लेकर तीखी बहस देखने को मिली। प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायक धरमलाल कौशिक ने सरकार पर आरोप लगाया कि जल जीवन मिशन के अंतर्गत अधूरे कार्यों के बावजूद ठेकेदारों को पूरी राशि का भुगतान कर दिया गया है, जो भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।
धरमलाल कौशिक ने कहा कि कई स्थानों पर पाइपलाइन बिछाने का कार्य अधूरा है, फिर भी ठेकेदारों को भुगतान कर दिया गया, जो जनधन की बर्बादी है। उन्होंने इस मामले में ईडी जांच की मांग भी की है।
इस पर जवाब देते हुए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री अरुण साव ने कहा कि भुगतान का निर्धारण तकनीकी अधिकारियों द्वारा कार्य मूल्यांकन के आधार पर किया जाता है और जितना कार्य हुआ है, उतने का ही भुगतान किया गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर टेंडर लेने वाले ठेकेदारों पर सख्त कार्रवाई की है।
फर्जी दस्तावेजों से टेंडर, एक पर FIR, छह फर्म ब्लैकलिस्ट
मंत्री अरुण साव ने सदन में बताया कि महाराष्ट्र के फर्जी दस्तावेजों के आधार पर छत्तीसगढ़ में टेंडर लेने वाले मेसर्स विजय वी. सालुंखे के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। इसके अलावा, उसी दस्तावेज का उपयोग कर छह अन्य ठेकेदारों ने भी टेंडर प्राप्त किए थे, जिन्हें अब ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है।
ब्लैकलिस्ट की गई फर्मों में शामिल हैं:
- ए.के. कंस्ट्रक्शन
- विक्रम टेली इंफ्रा
- गणपति कंस्ट्रक्शन
- आनंद कंस्ट्रक्शन
- धर्मेश कुमार
- सोमवंशी एनवायरमेंट
यह कार्रवाई मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली एपेक्स कमेटी द्वारा की गई है।
विपक्ष की मांग: उच्च स्तरीय जांच हो
धरमलाल कौशिक ने मंत्री के जवाब को असंतोषजनक बताते हुए कहा कि यदि ठेकेदारों पर कार्रवाई हुई है तो यह स्पष्ट करता है कि गड़बड़ी हुई है। उन्होंने मांग की कि इस पूरे मामले की जांच केंद्रीय एजेंसी से कराई जाए, ताकि दोषियों को सजा मिल सके और भविष्य में ऐसी अनियमितताओं पर रोक लगे।



