एकता अस्पताल रायपुर ने बचाई मासूम की जान: श्वास नली में फंसे गाजर के टुकड़े को ब्रोंकोस्कोपी से निकाला, माता-पिता के लिए चेतावनी जारी
रायपुर के निजी अस्पताल में दुर्लभ सफल ऑपरेशन। गाजर के टुकड़े के श्वास नली में फंसने से बच्चा कई दिनों से खांसी और बुखार से पीड़ित था। सीटी स्कैन भी नहीं पकड़ पाया था रुकावट। शिशु रोग विशेषज्ञों ने माता-पिता को दांत आने तक बच्चों को सख्त चीज़ें न खिलाने की सख्त सलाह दी।

रायपुर, 04 नवंबर 2025: एक बड़ी लापरवाही ने राजधानी रायपुर में एक 2 वर्षीय मासूम की जान जोखिम में डाल दी। मां द्वारा खिलाए जा रहे गाजर का एक छोटा टुकड़ा खांसी आने के कारण बच्चे की श्वास नली में फंस गया। कई दिनों तक खांसी और सांस की तकलीफ से जूझने और कई जांचों के बाद, आखिरकार एकता अस्पताल रायपुर में ब्रोंकोस्कोपी (दूरबीन विधि) के माध्यम से बच्चे की जान बचाई जा सकी। यह घटना छोटे बच्चों के माता-पिता के लिए एक गंभीर चेतावनी है।
जांच में भी नहीं आया पकड़ में
मिली जानकारी के अनुसार, करीब 2 साल का बच्चा गाजर के छोटे टुकड़े खा रहा था। उसी दौरान अचानक खांसी आने से गाजर का एक टुकड़ा उसके दाएं श्वास नली (Bronchus) में चला गया। इसके तुरंत बाद बच्चे को लगातार खांसी, तेज बुखार और सांस लेने में गंभीर तकलीफ होने लगी।

परिवार ने तुरंत एक शिशु रोग विशेषज्ञ से संपर्क किया, लेकिन समस्या की जड़ को तुरंत नहीं पहचाना जा सका। बच्चे की स्थिति बिगड़ने पर उसे एकता अस्पताल रायपुर में भर्ती कराया गया। बच्चे की हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने सीटी स्कैन सहित कई जांचें करवाईं, लेकिन श्वास नली में फंसे गाजर के जैविक टुकड़े को सामान्य जांचों में ठीक से पहचान नहीं मिल पाई। डॉक्टरों ने निमोनिया और संक्रमण मानकर इलाज शुरू किया, लेकिन खांसी और बुखार में कोई सुधार नहीं हुआ।
ब्रोंकोस्कोपी से मिली सफलता
बच्चे की लगातार बिगड़ती स्थिति और दवाओं का कोई असर न होते देख डॉक्टरों को संदेह हुआ कि श्वास नली में कोई बाहरी वस्तु (Foreign Body Aspiration) फंसी हो सकती है। एक जटिल प्रक्रिया अपनाते हुए श्वास नली की ब्रोंकोस्कोपी दूरबीन पद्धति से जांच की गई। इस प्रक्रिया में, डॉक्टर ने बच्चे की दाईं ओर की श्वास नली में फंसे गाजर के टुकड़े को सफलतापूर्वक बाहर निकाला।

डॉक्टरों के अनुसार, यह ऑपरेशन अत्यंत नाजुक था, क्योंकि बच्चों की श्वास नली बहुत संकरी होती है और ऐसे जैविक पदार्थ समय के साथ फूलकर श्वास नली को लगभग पूरी तरह बंद कर देते हैं, जिससे जान का खतरा बढ़ जाता है। समय पर सही निदान और ब्रोंकोस्कोपी की उपलब्धता से ही बच्चे की जान बचाई जा सकी।
बच्चों के लिए सख्त आहार: जानलेवा जोखिम
शिशु रोग विशेषज्ञों ने इस घटना को लेकर सभी माता-पिता के लिए एक महत्वपूर्ण परामर्श जारी किया है।
- सख्त सलाह: डॉक्टरों का स्पष्ट परामर्श है कि बच्चों को तब तक मूंगफली, गाजर, मेवा, या किसी भी प्रकार की कड़ी, चिकनी या छोटी गोल चीज़ें (जैसे टॉफी, कैंडी) खाने को न दें, जब तक कि उनके सभी दांत ठीक से न निकल आएं और वे भोजन को ठीक से चबाना न सीख जाएं। बच्चों में चबाने और निगलने की क्रिया का तालमेल पूरी तरह से विकसित नहीं होता है, जिससे खाने का टुकड़ा आसानी से श्वास नली (Windpipe) में जा सकता है।
- लक्षण और कार्रवाई: यदि बच्चे को खाते समय अचानक खांसी आए, सांस लेने में दिक्कत हो, होंठ नीले पड़ने लगें, या सांस रुकने की शिकायत हो, तो तुरंत बिना देर किए शिशु रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें। ऐसे मामलों में विलंब जीवन के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
- प्राथमिक उपचार: छोटे बच्चों के गले में भोजन फंसने पर प्रशिक्षित व्यक्तियों द्वारा ही हेमलिच मैनुवर जैसे प्राथमिक उपचार देने का प्रयास करना चाहिए, लेकिन इसके बाद भी तत्काल अस्पताल ले जाना जरूरी है।
चिकित्सा विशेषज्ञों ने जोर दिया है कि बच्चों को खिलाते समय माता-पिता की अतिरिक्त सावधानी और सही समय पर इलाज ही बच्चों के स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक श्रेयस्कर है।



