छत्तीसगढ़ भारतमाला परियोजना में 200 करोड़ से अधिक का मुआवजा घोटाला, हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिकाएं खारिज कीं, कई अधिकारी फरार
छत्तीसगढ़ के 11 जिलों में मुआवजा वितरण में गड़बड़ी, ईओडब्ल्यू और एसीबी की संयुक्त कार्रवाई में तीन पटवारी गिरफ्तार, पांच अधिकारी फरार।

रायपुर, 31 अक्टूबर 2025 — भारतमाला परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण मुआवजा वितरण में हुए बहुचर्चित घोटाले ने छत्तीसगढ़ प्रशासन को हिला कर रख दिया है। 43 करोड़ रुपये से शुरू हुई जांच अब 200 करोड़ रुपये से अधिक के भ्रष्टाचार की आशंका तक पहुंच चुकी है, जिसमें कई वरिष्ठ अधिकारी, पटवारी और निजी कारोबारी शामिल पाए गए हैं।
ईओडब्ल्यू ने इस मामले में 8 हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें धारा 7C, 12 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधित 2018) और धारा 409, 467, 468, 471, 420, 120B आईपीसी के तहत मामला दर्ज किया गया है।
इससे पहले प्रॉपर्टी डीलर हरमीत खनूजा, कारोबारी विजय जैन, केदार तिवारी और उनकी पत्नी उमा तिवारी को भी गिरफ्तार किया गया था, जिन्हें बाद में कोर्ट से जमानत मिल गई। जांच में सामने आया कि एक ही जमीन को कई टुकड़ों में बांटकर फर्जी नामांतरण कराए गए, जिससे सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ।
राज्य के 11 जिलों — रायपुर, दुर्ग, धमतरी, कांकेर, कोंडागांव, कोरबा, रायगढ़, जशपुर, राजनांदगांव, बिलासपुर और जांजगीर-चांपा में मुआवजा वितरण में गड़बड़ियों की जांच चल रही है। 1349 किसानों ने पाटन ब्लॉक में भूमि अधिग्रहण से जुड़ी अनियमितताओं पर आवेदन दिए हैं।
राजस्व विभाग की सचिव रीना बाबा साहेब कंगाले ने अवकाश पर होने का हवाला देते हुए टिप्पणी से इनकार कर दिया। धमतरी कलेक्टर अविनाश मिश्रा ने मामले की जांच कराने की बात कही है।
राज्य सरकार ने विस्तृत जांच रिपोर्ट केंद्र को भेज दी है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय इस मामले को सीबीआई या ईडी को सौंपने पर विचार कर रहा है। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर सीबीआई जांच की मांग की है, वहीं रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से चर्चा की है।
ईओडब्ल्यू और एसीबी अब फरार अधिकारियों की संपत्तियों को कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू करने जा रही है। इस मामले में राजस्व विभाग से लेकर एनएचआई तक के अधिकारी जांच के दायरे में हैं।



