सरकारी समर्थन से आ रही ‘भारत टैक्सी’, नवंबर से शुरू होगा पायलट प्रोजेक्ट; Ola-Uber की कमीशनखोरी को देगी चुनौती

केंद्र सरकार के सहकारिता मंत्रालय के तहत, देश की पहली सहकारी टैक्सी सेवा 'भारत टैक्सी' का पायलट प्रोजेक्ट नवंबर 2025 में दिल्ली में 650 गाड़ियों के साथ शुरू होने वाला है। यह सेवा निजी कैब एग्रीगेटर्स Ola और Uber के उच्च कमीशन मॉडल को चुनौती देगी। इस नए मॉडल में ड्राइवरों को अपनी सवारी पर कोई कमीशन नहीं देना होगा। इसके बजाय, वे एक मामूली दैनिक, साप्ताहिक या मासिक सदस्यता शुल्क चुकाएंगे और अपनी पूरी कमाई का स्वामित्व रखेंगे। इस पहल का उद्देश्य ड्राइवरों को आर्थिक मजबूती देना और यात्रियों को सरकारी निगरानी में एक भरोसेमंद और पारदर्शी परिवहन विकल्प प्रदान करना है, जिससे सर्ज प्राइसिंग जैसी समस्याओं से राहत मिलेगी।



रायपुर, 01 नवंबर, 2025: भारत के शहरी परिवहन बाजार में एक बड़ा बदलाव आने वाला है। केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय और राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस डिवीजन (NeGD) के सहयोग से देश की पहली सहकारी टैक्सी सेवा भारत टैक्सी सर्विस जल्द ही सड़कों पर दौड़ने के लिए तैयार है। यह पहल उन लाखों ड्राइवरों और यात्रियों के लिए एक बड़ा समाधान लेकर आई है, जो पिछले कई सालों से निजी ऐप-आधारित टैक्सी प्लेटफॉर्म की मनमानी से जूझ रहे थे।

पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत और विस्तार योजना

भारत टैक्सी का महत्वाकांक्षी पायलट प्रोजेक्ट नवंबर 2025 में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शुरू किया जाएगा। यह शुरुआती चरण 650 गाड़ियों और उनके मालिक-चालकों के साथ शुरू होगा।

यदि दिल्ली में यह परीक्षण सफल होता है, तो दिसंबर 2025 में इसका पूर्ण रूप से रोलआउट किया जाएगा। दिल्ली के बाद यह सेवा मुंबई, पुणे, लखनऊ, जयपुर और भोपाल जैसे 20 प्रमुख महानगरीय क्षेत्रों में विस्तारित होगी। सरकार का लक्ष्य महत्वाकांक्षी है: वर्ष 2030 तक इस सहकारी प्लेटफॉर्म में 1 लाख से अधिक ड्राइवर शामिल होने की उम्मीद है। विस्तार की यह योजना सुनिश्चित करेगी कि यह सेवा ज़िला मुख्यालयों और ग्रामीण क्षेत्रों तक भी पहुंचे, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा।

Ola-Uber को कैसे मिलेगी कड़ी टक्कर?

भारत टैक्सी का मॉडल निजी कैब एग्रीगेटर्स Ola और Uber से मौलिक रूप से अलग है और यही इसकी सबसे बड़ी ताकत है।

  • कमीशन खत्म, मेंबरशिप मॉडल: निजी प्लेटफॉर्म पर ड्राइवरों को अपनी कमाई का 20 प्रतिशत से 25 प्रतिशत तक कमीशन के रूप में कंपनियों को देना पड़ता है। भारत टैक्सी इस कमीशनखोरी को पूरी तरह खत्म कर देगी। इसके बजाय, ड्राइवर एक सहकारी संस्था के सदस्य बनेंगे और एक मामूली दैनिक, साप्ताहिक या मासिक सदस्यता शुल्क का योगदान करेंगे। इस मॉडल से ड्राइवर अपनी राइड से होने वाली पूरी कमाई अपने पास रखेंगे, जिससे उनकी शुद्ध आय में 25 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है।
  • ड्राइवर बने सह-मालिक: भारत टैक्सी का संचालन सहकार टैक्सी कोऑपरेटिव लिमिटेड (STCL) नामक एक बहु-राज्य सहकारी संस्था करेगी। इस संस्था के तहत ड्राइवर केवल काम करने वाले नहीं होंगे, बल्कि उन्हें सम्मानपूर्वक सारथी (Saarthis) कहा जाएगा और वे सहकारी संस्था के सह-मालिक होंगे। उन्हें प्रमुख निर्णयों में अपनी बात रखने और लाभ वितरण में हिस्सेदारी का अधिकार मिलेगा।
  • पारदर्शी और स्थिर किराया: निजी एग्रीगेटर्स की सबसे बड़ी समस्या ‘सर्ज प्राइसिंग’ (मांग बढ़ने पर मनमाना किराया) है। सरकारी निगरानी के तहत काम करने वाली भारत टैक्सी में किराया संरचना पारदर्शी और विनियमित होगी, जिससे यात्रियों को किराए में स्थिरता और विश्वसनीयता मिलेगी।

यात्रियों और अर्थव्यवस्था के लिए लाभ

यह सरकारी-समर्थित सेवा न केवल ड्राइवरों के लिए बेहतर आय सुनिश्चित करेगी, बल्कि यात्रियों को भी लाभ देगी। उन्हें निजी कंपनियों के मुकाबले सरकार की देखरेख में एक भरोसेमंद, सुरक्षित और किफायती परिवहन विकल्प मिलेगा। इसके अलावा, भारत टैक्सी प्लेटफॉर्म DigiLocker और UMANG जैसी सरकारी डिजिटल सेवाओं के साथ एकीकृत होगा, जिससे दस्तावेज़ सत्यापन और सेवा एक्सेस सुरक्षित और सहज हो जाएगा।

यह पहल प्रधानमंत्री के “सहकार से समृद्धि” के विजन के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य प्रौद्योगिकी और सहकारिता को मिलाकर भारतीय परिवहन बाजार में एक fairer, more reliable (अधिक निष्पक्ष, अधिक भरोसेमंद) और sustainable (टिकाऊ) मोबिलिटी इकोसिस्टम स्थापित करना है।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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