भारत ही नहीं, नेपाल से लेकर त्रिनिडाड तक गूंजा दशहरा: जानिए किन-किन देशों में मनाया गया विजयदशमी का पर्व

दशहरा केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पर्व नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान, फिजी, मॉरीशस, इंडोनेशिया और कैरिबियन देशों में भी बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। हर देश में इसकी परंपराएं और उत्सव का रंग अलग है।



रायपुर, 2 अक्टूबर 2025: भारत में दशहरा या विजयदशमी का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, जो रावण दहन, रामलीला, दुर्गा पूजा और सांस्कृतिक आयोजनों के साथ मनाया जाता है। लेकिन यह पर्व अब केवल भारत तक सीमित नहीं रहा। दुनिया के कई देशों में भारतीय संस्कृति और हिंदू परंपराओं के प्रभाव के चलते दशहरा का उत्सव बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

भारत में दशहरा का स्वरूप

भारत में दशहरा का पर्व नवरात्रि के नौ दिनों की पूजा के बाद दसवें दिन मनाया जाता है। उत्तर भारत में रामलीला मंचन के बाद रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं। पश्चिम बंगाल में यह दुर्गा पूजा के विसर्जन के साथ जुड़ा होता है, जबकि दक्षिण भारत के मैसूर में शाही जुलूस और सजे हुए हाथियों के साथ पारंपरिक उत्सव होता है।

नेपाल: दशैं के रूप में उत्सव

नेपाल में दशहरा को ‘दशैं’ कहा जाता है, जो वहां का सबसे लंबा और प्रमुख हिंदू पर्व है। यह दो सप्ताह तक चलता है और देवी दुर्गा की पूजा के साथ मनाया जाता है। अंतिम दिन बुजुर्गों से टीका और जमारा लेकर आशीर्वाद लिया जाता है। काठमांडू घाटी में तलवार जुलूस और मंदिरों में विशेष पूजा होती है।

बांग्लादेश: दुर्गा पूजा के रूप में विजयदशमी

बांग्लादेश में दशहरा दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है। यहां भव्य पंडाल सजाए जाते हैं, सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं और देवी की मूर्तियों का विसर्जन संगीत और नृत्य के साथ किया जाता है।

श्रीलंका: तमिल समुदाय में पूजा और परंपरा

श्रीलंका में विशेष रूप से तमिल हिंदू समुदाय दशहरा मनाता है। देवी दुर्गा की पूजा, पारिवारिक अनुष्ठान और सांस्कृतिक आयोजनों के माध्यम से यह पर्व मनाया जाता है।

पाकिस्तान: सिंध क्षेत्र में हिंदू समुदाय का उत्सव

पाकिस्तान के सिंध क्षेत्र में हिंदू समुदाय दशहरा मनाता है। रामायण मंचन, पूजा और सामूहिक भोज के साथ यह पर्व वहां धार्मिक एकता और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक बन गया है।

मॉरीशस: सामुदायिक एकता का पर्व

मॉरीशस में हिंदू समुदाय दशहरा को देवी दुर्गा की पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों के साथ मनाता है। यह पर्व वहां सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करता है।

फिजी: रंग-बिरंगे सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ उत्सव

फिजी में इंडो-फिजियन समुदाय दशहरा को रंग-बिरंगे कार्यक्रमों, नृत्य और संगीत के साथ मनाता है। यह पर्व साहस, नैतिकता और अच्छाई के मूल्यों को सम्मानित करता है।

त्रिनिडाड और टोबैगो: रामलीला और रावण दहन की परंपरा

त्रिनिडाड, गयाना और सूरीनाम जैसे कैरिबियन देशों में दशहरा की परंपरा भारतीय प्रवासियों द्वारा जीवित रखी गई है। यहां खुले मैदानों में रामलीला मंचन और रावण दहन होता है, जो उत्तर भारतीय परंपरा की याद दिलाता है।

इंडोनेशिया: बाली और जावा में स्थानीय शैली में उत्सव

इंडोनेशिया के बाली और जावा क्षेत्रों में दशहरा स्थानीय हिंदू परंपराओं के साथ मनाया जाता है। यहां देवी पूजा और सांस्कृतिक अनुष्ठान होते हैं, जो भारतीय मूल्यों से प्रेरित हैं।

निष्कर्ष:
दशहरा अब एक वैश्विक पर्व बन चुका है, जो न केवल धार्मिक आस्था बल्कि सांस्कृतिक एकता और नैतिक मूल्यों का प्रतीक है। भारत से बाहर बसे हिंदू समुदायों ने इस पर्व को अपनी परंपराओं के साथ जीवित रखा है, और हर देश में इसका स्वरूप स्थानीय संस्कृति के अनुसार ढल गया है।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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