स्वतंत्रता दिवस विशेष:नमक कानून तोड़ने पर ठाकुर अर्जुन सिंह की हुई थी जिले से पहली गिरफ्तार

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रायपुर ।  सहारनपुर की भूमि ने एक से बढ़कर एक स्वतंत्रता सेनानियों को जन्म दिया है। जो आजादी के दीवाने रहते हुए अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए कई बार जेल गए और अंग्रेजी हुकूमत की कड़ी से कड़ी यातनाओं को हंसी खुशी सहा। ऐसा ही एक नाम भावसी रायपुर निवासी ठाकुर अर्जुन सिंह का है, जिनकी चर्चा किए बिना स्वतंत्रता संग्राम की बात करना बेमानी होगा।

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ठाकुर अर्जुन सिंह का जन्म सन 1892 में भावसी रायपुर गांव के जमीदार परिवार में हुआ था। वह बचपन से ही स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने लगे, जिसके चलते कई बार जेल गए और अंग्रेजी हुकूमत की यातनाएं सही। परंतु अपने उद्देश्य से टस से मस नहीं हुए। 8 मार्च 1930 को मोरा गांव में कांग्रेस की कॉन्फ्रेंस हुई, जिसमें ठाकुर अर्जुन सिंह के आह्वान पर लोगों ने नमक कानून तोड़ा गया।

जिस पर अंग्रेजी हुकूमत द्वारा राजद्रोह का आरोप लगाते हुए जिले में पहली गिरफ्तारी की गई। उनकी गिरफ्तारी की खबर लगते ही देवबन्द, रुड़की, नानौता तथा सरसावा आदि स्थानों पर सभाएं होनी शुरू हो गई, जिनमें लोगों द्वारा कौमी सप्ताह मनाते हुए विदेशी कपड़ों की होली जलाई जाने लगी।

अंग्रेजी हुकूमत इतनी डर गई थी कि ठाकुर अर्जुन सिंह के मुकदमे की सुनवाई जेल में ही कर उन्हें एक वर्ष की कठोर सजा सुना दी गई। चार मार्च 1931 को गांधी-इरविन समझौते के तहत उनकी रिहाई हो पाई। 1932 में आन्दोलन दोबारा शुरू होने पर अंग्रेजों ने उन्हें फिर से छह माह के लिए जेल में डाल दिया। इसके बाद उन्होंने अनेक आन्दोलनों का नेतृत्व किया और जेल जाते रहे। ठाकुर अर्जुन सिंह आजाद भारत के जिला पंचायत के प्रथम बोर्ड के अध्यक्ष बने और लगातार दस वर्षों तक अध्यक्ष रहे। उनके स्वतन्त्रता संग्राम में भागीदारी करने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा ताम्रपत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया और नानौता ब्लॉक कार्यालय में लगी शिलापट्ट पर नाम अंकित किया गया था।

Richa Sahay

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