पंचांग: 21 सितंबर 2025 का राहुकाल, शुभ मुहूर्त और पंचांग, जानिए आज के दिन क्या करें और क्या नहीं

आज रविवार को सर्वपितृ अमावस्या और सूर्य ग्रहण का संयोग, राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त की टकराहट में क्या है धार्मिक दृष्टिकोण से सही निर्णय।




राहुकाल क्या होता है और क्यों होता है

राहुकाल हिंदू पंचांग के अनुसार दिन का वह समय होता है जिसे अशुभ माना जाता है। यह काल हर दिन अलग-अलग समय पर आता है और इसका निर्धारण सूर्योदय के समय से किया जाता है। राहुकाल का संबंध राहु ग्रह से है, जिसे छाया ग्रह माना जाता है और ज्योतिष में इसे भ्रम, बाधा और अनिश्चितता का प्रतीक माना गया है।

इस समय में कोई भी नया या शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, व्यापार की शुरुआत, वाहन खरीदना या कोई धार्मिक अनुष्ठान आरंभ करना वर्जित माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि राहुकाल में शुरू किए गए कार्यों में बाधाएं आती हैं, सफलता में विलंब होता है या परिणाम विपरीत हो सकते हैं।

हालांकि, इस समय में नियमित कार्य, अध्ययन, ध्यान, मंत्र जाप, और पितृ तर्पण जैसे कर्म किए जा सकते हैं।


आज का राहुकाल: 21 सितंबर 2025

आज रविवार को राहुकाल का समय दोपहर 4:48 बजे से शाम 6:19 बजे तक रहेगा1। इस समय किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से बचना चाहिए।

यदि राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त एक साथ पड़ जाए तो क्या करें

अभिजीत मुहूर्त को दिन का सबसे शुभ समय माना जाता है, जो हर दिन लगभग 24 मिनट तक रहता है। यदि यह राहुकाल के साथ आ जाए, तो ज्योतिषाचार्यों की राय में अभिजीत मुहूर्त की शुभता राहुकाल की अशुभता को निष्क्रिय कर सकती है। लेकिन फिर भी, यदि कार्य अत्यंत महत्वपूर्ण हो, तभी इस समय का चयन करें और मंत्र जाप या पूजा से वातावरण को शुद्ध करें।


आज के शुभ मुहूर्त

  • अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:46 बजे से दोपहर 12:34 बजे तक2
  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:43 बजे से 5:31 बजे तक
  • गोधूलि मुहूर्त: शाम 6:01 बजे से 6:37 बजे तक
  • प्रदोष काल: शाम 6:31 बजे से रात 7:41 बजे तक

इन समयों में विवाह, गृह प्रवेश, वाहन खरीद, नया व्यापार आरंभ, या कोई धार्मिक अनुष्ठान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।


आज का पंचांग: 21 सितंबर 2025

  • वार: रविवार
  • मास: आश्विन (कृष्ण पक्ष)
  • तिथि: अमावस्या (रात्रि 1:23 बजे तक), उसके बाद प्रतिपदा
  • नक्षत्र: पूर्वाफाल्गुनी (सुबह 9:32 बजे तक), फिर उत्तराफाल्गुनी
  • योग: शुभ (रात 7:52 बजे तक), फिर शुक्ल योग
  • करण: चतुष्पद, नाग
  • सूर्योदय: सुबह 6:09 बजे
  • सूर्यास्त: शाम 6:19 बजे
  • चंद्रमा की स्थिति: सिंह राशि में दोपहर तक, फिर कन्या राशि में प्रवेश12

आज का धार्मिक महत्व

आज अश्विन माह की अमावस्या तिथि है जिसे सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है। यह पितृपक्ष का अंतिम दिन होता है, जब उन सभी पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध किया जाता है जिनकी पुण्यतिथि ज्ञात नहीं होती या जिनका श्राद्ध किसी कारणवश नहीं हो सका हो।

इस दिन पितरों को तर्पण, पिंडदान, ब्राह्मण भोज और दान के माध्यम से विदाई दी जाती है। पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाकर पितरों को स्मरण करना और आशीर्वाद लेना अत्यंत फलदायी माना जाता है।

आज के दिन सूर्य ग्रहण भी है, लेकिन भारत में दृश्य नहीं होने के कारण इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा2


निष्कर्ष

21 सितंबर 2025 का दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। सर्वपितृ अमावस्या, सूर्य ग्रहण और शुभ योगों के संयोग से यह दिन पितृ तर्पण, ध्यान और आत्मशुद्धि के लिए उपयुक्त है। राहुकाल के समय से बचकर अभिजीत मुहूर्त का लाभ उठाना आज के दिन को सफल बना सकता है।


डिस्क्लेमर:
यह समाचार www.the4thpillar.live द्वारा प्रस्तुत किया गया है। इसमें दी गई जानकारी वैदिक पंचांग, ज्योतिषीय गणनाओं और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। यह केवल मार्गदर्शन हेतु है। किसी भी शुभ कार्य के लिए व्यक्तिगत ज्योतिषीय सलाह लेना उचित होगा। इस जानकारी की सटीकता और पूर्णता की कोई गारंटी नहीं दी जाती।

Richa Sahay

ऋचा सहाय — पत्रकारिता और न्याय जगत की एक सशक्त आवाज़, जिनका अनुभव दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय है। वर्तमान में The 4th Pillar की वरिष्ठ समाचार संपादक के रूप में कार्यरत ऋचा सहाय दशकों से राजनीति, समाज, खेल, व्यापार और क्राइम जैसी विविध विषयों पर बेबाक, तथ्यपूर्ण और संवेदनशील लेखन के लिए जानी जाती हैं। उनकी लेखनी की सबसे खास बात है – जटिल मुद्दों को सरल, सुबोध भाषा में इस तरह प्रस्तुत करना कि पाठक हर पहलू को सहजता से समझ सकें।पत्रकारिता के साथ-साथ ऋचा सहाय एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं। LLB और MA Political Science की डिग्री के साथ, उन्होंने क्राइम मामलों में गहरी न्यायिक समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण स्थापित किया है। उनके अनुभव की गहराई न केवल अदालतों की बहसों में दिखाई देती है, बल्कि पत्रकारिता में उनके दृष्टिकोण को भी प्रभावशाली बनाती है।दोनों क्षेत्रों में वर्षों की तपस्या और सेवा ने ऋचा सहाय को एक ऐसा व्यक्तित्व बना दिया है जो ज्ञान, निडरता और संवेदनशीलता का प्रेरक संगम है।

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