आज पितृ पक्ष का पांचवां दिन: जानें जल तर्पण की विधि, नियम और महत्व


आज 12 सितंबर 2025 को पितृ पक्ष की पंचमी तिथि है, जो उन पितरों के लिए विशेष है जिनकी मृत्यु तिथि पंचमी को हुई थी। जानें इस दिन कैसे करें तर्पण और श्राद्ध।
क्या है पितृ पक्ष और इसका महत्व
पितृ पक्ष हिंदू धर्म में 16 दिनों की एक महत्वपूर्ण अवधि है, जो भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू होकर अश्विन अमावस्या तक चलती है। इस दौरान, लोग अपने दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे अनुष्ठान करते हैं। यह माना जाता है कि इन अनुष्ठानों के माध्यम से पितृ प्रसन्न होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। शास्त्रों के अनुसार, जो व्यक्ति पितृ पक्ष में अपने पितरों का श्राद्ध और तर्पण नहीं करता, उसे पितृ दोष का सामना करना पड़ता है। यह समय हमें अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर देता है।
आज पितृ पक्ष का पांचवां दिन: पंचमी श्राद्ध
आज, 12 सितंबर 2025 को पितृ पक्ष की पंचमी तिथि है। इसे ‘अविवाहित पंचमी’ भी कहा जाता है, क्योंकि यह विशेष रूप से उन अविवाहित पूर्वजों (पुरुष और महिला दोनों) के लिए समर्पित है जिनकी मृत्यु इसी तिथि को हुई थी। इसके अलावा, इस तिथि पर उन सभी पितरों का तर्पण किया जा सकता है जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है या जिनके लिए कोई विशेष तिथि तय नहीं की गई है।
जल तर्पण की विधि और नियम
जल तर्पण एक अत्यंत महत्वपूर्ण और सरल अनुष्ठान है, जिसके माध्यम से हम अपने पितरों को जल अर्पित करते हैं।
- तर्पण का सबसे अच्छा समय: तर्पण का सबसे अच्छा समय सूर्योदय के बाद और दोपहर 12 बजे से पहले होता है। पूरे दिन में भी इसे कभी भी किया जा सकता है, लेकिन दोपहर 12 बजे से पहले करना सबसे उत्तम माना जाता है।
- पहनावे का ध्यान रखें: तर्पण करते समय स्वच्छ और बिना सिला हुआ धोती या वस्त्र पहनना चाहिए। कपड़े सफेद या हल्के रंग के होने चाहिए, क्योंकि ये सात्विक ऊर्जा का प्रतीक हैं।
- कुशा की अंगूठी: तर्पण करते समय दाहिने हाथ की अनामिका उंगली (रिंग फिंगर) में कुशा घास की एक पवित्र अंगूठी बनाकर धारण करना अनिवार्य है।
- तर्पण का तरीका: जल तर्पण हमेशा किसी नदी के किनारे या घर पर किसी बड़े पात्र में करना चाहिए। जल तर्पण के लिए तांबे के लोटे में जल, गंगाजल (यदि उपलब्ध हो तो), जौ के दाने, काले तिल और थोड़े से चावल मिलाएं।
किसके लिए किस दिशा में और किस उंगली से करें तर्पण?
- देवतागण: देवताओं को तर्पण करते समय आपका मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए। लोटे को दोनों हाथों से पकड़कर, सीधे हाथ की तर्जनी उंगली से जल प्रवाहित करें।
- ऋषि मुनि: ऋषियों को तर्पण करते समय आपका मुख उत्तर दिशा में होना चाहिए। जल को दोनों हाथों की अनामिका और कनिष्ठिका उंगली (छोटी उंगली) के बीच से प्रवाहित करें।
- पितृगण: पितरों को तर्पण करते समय आपका मुख दक्षिण दिशा में होना चाहिए। जल को बाएं हाथ की हथेली पर दाहिने हाथ की अंगूठे से प्रवाहित करें।
जल तर्पण के लिए मंत्र और संख्या
जल तर्पण करते समय प्रत्येक जल की अंजुली के साथ एक विशेष मंत्र का जाप किया जाता है।
- पितृ तर्पण मंत्र: “ॐ पितृभ्यः नमः।” इस मंत्र का उच्चारण करते हुए 3 बार जल प्रवाहित करें।
- पितृ गायत्री मंत्र: “ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो पितृ प्रचोदयात्।” इस मंत्र का 108 बार जाप करने से विशेष लाभ मिलता है।
- अज्ञात तिथि के लिए मंत्र: यदि किसी पूर्वज की मृत्यु तिथि ज्ञात न हो, तो केवल “गोत्रे अस्मत (गोत्र का नाम) अमुक (पूर्वज का नाम) शर्मा पितृ देवताये नमः” मंत्र का जाप करें।
महिलाओं के लिए विशेष जानकारी
शास्त्रों के अनुसार, महिलाएं भी जल तर्पण कर सकती हैं, खासकर जब परिवार में कोई पुरुष न हो। हालांकि, पारंपरिक रूप से यह कार्य पुरुषों द्वारा ही किया जाता रहा है। यदि कोई महिला यह अनुष्ठान कर रही है, तो वह भी पुरुषों की तरह ही नियमों का पालन कर सकती है।
पितृ पक्ष में क्या करें और क्या न करें?
- क्या करें:
- अपने पितरों के निमित्त श्रद्धा से श्राद्ध और तर्पण करें।
- ब्राह्मणों, गरीबों और गायों को भोजन कराएं।
- कौवों को रोटी खिलाएं, क्योंकि कौवों को पितरों का रूप माना जाता है।
- सात्विक भोजन का सेवन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- क्या न करें:
- कोई भी नया और शुभ कार्य जैसे गृह प्रवेश, विवाह या नया व्यापार शुरू न करें।
- मांस-मदिरा और तामसिक भोजन का सेवन न करें।
- नाखून और बाल न काटें।
- नए कपड़े न खरीदें और न पहनें।
अज्ञात तिथि वाले पूर्वजों का तर्पण
यदि किसी व्यक्ति को अपने पूर्वज की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है, तो उन्हें निराश होने की आवश्यकता नहीं है। ऐसे सभी पूर्वजों के लिए सर्व पितृ अमावस्या के दिन तर्पण और श्राद्ध किया जाता है। इस दिन तर्पण करने से उन सभी पितरों को शांति मिलती है जिनकी तिथि ज्ञात नहीं है।
डिस्क्लेमर: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं, ज्योतिष और पंचांग की सामान्य गणनाओं पर आधारित है। व्यक्तिगत परिस्थितियों और स्थान के अनुसार समय और प्रभाव में भिन्नता हो सकती है। किसी भी महत्वपूर्ण अनुष्ठान की शुरुआत से पहले किसी विशेषज्ञ से परामर्श करना उचित है। www.the4thpillar.live इस जानकारी की सटीकता की कोई गारंटी नहीं लेता है।